रायसेन जिले के भगदेई में है त्रेता युगीन शिवालय और जल गुफा, यहां जामवंत और उनके भाई रीछडमल ने की थी लीलाएं

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रायसेन जिले के भगदेई में है त्रेता युगीन शिवालय और जल गुफा, यहां जामवंत और उनके भाई रीछडमल ने की थी लीलाएं

पवन सिलावट, RAISEN. रायसेन जिले की बरेली तहसील के ग्राम जामगढ़-भगदेई। जो जामवंत और उनके भाई रीछडमल की लीलाओं से भरा पड़े हैं। जामवंत ने त्रेता युग से लेकर द्धापर युग तक इसी स्थान पर लीलाएं की हैं। यहां शिवालय और जल गुफा है, जो करीब 200 मीटर है। यहां 12 महीने पानी भरा रहता है। इस गुफा में 27 दिन तक श्रीकृष्ण और जामबंत के बीच भीषण युद्ध हुआ था। जामवंत के पद चिहृ और खजाने का बीजक, जामवंत  का गिल्ली-डंडा, भगदेई में जामवंत के हाथों बना शिव मंदिर, यहां विश्व की अनोखी शिवजी की मूर्ति स्थापित है। यह ​स्थान भोपाल से 135 और जबलपुर से 175 दूर NH-12 पर खरगोन से उत्तर-पश्चिम दिशा में हैं। यहां से आधा किलोमीटर सफर कर पहुंचेगे त्रेता युगीन शिवालय और जल गुफा है। 



प्राचीन ​स्थल की खासियतें




  • शिवालय से आधा किलोमीटर दूर 200 मीटर ऊंचाई और ऊबड़-खाबड़ मार्ग से 700 मीटर चढ़ाई चढ़कर पहुंचते हैं। जामवंत की वहीं गुफा, जिसमें श्रीकृष्ण और जामवंत के बीच स्यमन्तक मणि की चोरी के कलंक को लेकर 27 दिन तक भीषण युद्ध हुआ था।  


  • 500 वर्ष प्राचीन लज्जा गोरी का अंबा मंदिर, जहां पुजारी सिर काटकर थाल में रखकर पूजन करता था। 

  • प्राचीन बाबड़ी और प्राचीन समाधि, जो मन मोह लेती हैं। 

  • प्राचीन बाराही माता का मंदिर, जहां आज भी शेर वरदान मांगने आता हैं। 

  • 1949 से आज तक संचालित संस्कृति पाठशाला और विंध्याचल पर्वत माला जो बार-बार अपनी और आने को आकर्षित करती हैं। यह ब्रह्मलीन चित्रकूट बाले महाराजजी ने प्रारंभ की थी, जो तालाब के किनारे रमणीय हैं।

  • तालाब के बीचों-बीच गिल्ली हैं। भगदेई के तालाब के बीचों-बीच डंडा हैं, जिसे जामवंत और रिछड़मल खेलते थे। 

  • जामवंत के पद चिहृ, जो आधा किलोमीटर तक मिलते हैं। यह दोनों पैर हैं और यह चलते हुए दायां पैर बायां पैर के निशान हैं। आगे कूल्हे घुटने और फिर पैरो की निशान हैं।



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    काले पत्थर का प्राचीन मंदिर



    जामगढ़ से लगा हुआ भगदेही गांव में यह मंदिर स्थित है। यह काले पत्थर का बना हुआ है और मंदिर का शिखर अधूरा है। ताज्जुव इस बात का है कि मंदिर ऐसे पत्थरों का बना हुआ है, जो मंदिर के दूर-दूर तक स्थित नहीं है। इस मंदिर के पत्थरों पर सुन्दर कलाकृतियां उकेरी गई हैं। नर-नारियों के चित्रों को भी सुन्दर ढंग से उकेरा गया है। इस मंदिर के आसपास काफी मात्रा में मूर्तियां बिखरी पड़ी हुई हैं। सभी मूर्तियां खंडित अवस्था में हैं। इस मंदिर के पीछे भी एक किवदंती है कि इस मंदिर को रीछराज जामवंत ने ही एक ही रात में बनाया है। जब जामवंतजी मंदिर का निर्माण कर रहे थे, तब मंदिर तो पूरा बन गया था सिर्फ मंदिर के कलश का निर्माण ही शेष था। तभी किसी ने आटा पीसने के चक्की चला दी तो जामवंतजी ने समझा कि सुबह हो चुकी है और गांव के लोग जाग चुके हैं। तब रीछराज ने बगैर कलश की स्थापना किए हुए ही अपनी गुफा की ओर दौड़ लगा दी, जिनके पैरों के निशान पत्थरों पर आज भी अंकित हैं।



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    मंदिर के पुजारी ने कहा-  शासन नहीं दे रहा ध्यान 



    जामगढ़ में स्थित शिव मंदिर के पुजारी ने बताया कि हम पीढ़ियों से इस मंदिर में पूजा कर रहे हैं। मंदिर के चारो ओर अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य है। समय-समय पर मंदिर के लिए सरकार कुछ कर रही है, ऐसा सुना जाता है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। शासन मंदिर पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। 



    गांव के चौकीदार ने कहा- नेता आते हैं और चले जाते हैं 



    ग्राम भगदेई के चौकीदार शिवनारायण ने बताया कि ये मंदिर आज जैसी स्थिति में हैं। वैसा ही मैं बचपन से देखता आ रहा हूं। कई नेता, पत्रकार यहां आते हैं और फोटो खींचकर चले जाते हैं। लेकिन मंदिर के जीणोद्धार के बारे में कोई कुछ नहीं कहता। मंदिर को पर्यटन के लिए विकसित किया जाना चाहिए।




      


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