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उज्जैन में महाकाल की सवारी एक विशेष धार्मिक जुलूस है जो भगवान महाकालेश्वर के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाने के लिए निकाली जाती है। यह सवारी हर साल श्रावण और भाद्रपद मास में निकाली जाती है जब भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं।
इसमें महाकाल की मूर्ति को रथ पर सवार करके शहरभर में घुमाया जाता है। इस सवारी में हजारों भक्त शामिल होते हैं, जो भगवान शिव के दर्शन करने और आशीर्वाद लेने के लिए उमड़ते हैं।
यह आयोजन भक्तों के लिए एक अद्भुत धार्मिक अनुभव होता है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इस सवारी की शुरुआत कैसे हुई और किसने की थी। चलिए जानें....
महाकाल सवारी का इतिहासप्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, महाकाल की सवारी की परंपरा बहुत पुरानी है। इस परंपरा का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। राजा भोज ने इस परंपरा को शोभा दी थी और इसे नियमित रूप से मनाने की शुरुआत की थी। 11वीं शताब्दी में राजा भोज ने महाकाल की सवारी को रथों और हाथियों के साथ और भी भव्य बना दिया था। इसके बाद, मुगल सम्राट अकबर और जहांगीर ने भी इस सवारी में भाग लिया था और सिंधिया वंश के राजाओं ने इसे और भी शानदार रूप में पेश किया। |
महाकाल सवारी का आयोजन
महाकाल की सवारी का आयोजन हर साल सावन और भाद्रपद के महीनों में होता है। यह सवारी प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को निकलती है।
हालांकि, सबसे बड़े और भव्य जुलूस का आयोजन महाशिवरात्रि के अवसर पर होता है। यह जुलूस महाकाल के भक्तों की भक्ति और उनकी श्रद्धा को दर्शाता है। सवारी में महाकाल के रथ को चांदी से सजाया जाता है और फूलों से भी इसे सजाया जाता है।
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सवारी का धार्मिक महत्व
महाकाल की सवारी न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सवारी उज्जैन शहर की समृद्ध संस्कृति और धरोहर को दर्शाती है।
इस जुलूस में कलाकारों, संगीतकारों और नर्तकों का आयोजन होता है, जो इसे और भी रंगीन बनाते हैं। महाकाल की सवारी की विशेषता यह है कि इसमें तलवारबाज, घुड़सवार और हाथी भी शामिल होते हैं, जो इस जुलूस को और भी भव्य बनाते हैं।
महाकाल की सवारी में शामिल होने के लिए लाखों भक्त उज्जैन पहुंचते हैं और इसमें महाकाल के जयकारे गूंजते हैं। इस अवसर पर भक्त महाकाल के नाम का जाप करते हैं और उन्हें फल, फूल, मिठाई और दूध अर्पित करते हैं। यह सवारी भगवान महाकाल की शक्ति, महिमा और कृपा का प्रतीक मानी जाती है।
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महाकाल सवारी में शामिल होने के लाभ
महाकाल की सवारी में शामिल होने से भक्तों को शांति, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह अवसर भक्तों को भगवान शिव के करीब लाता है और उन्हें आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
महाकाल के दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और उनके पापों से मुक्ति मिलती है। सवारी में भाग लेने वाले भक्त उत्साह से भरे होते हैं। जुलूस के मार्ग में भव्य सजावट होती है और वातावरण शिव भक्ति से भरा होता है।
भगवान महाकाल की मूर्ति रथ पर रखी जाती है और पूरे नगर में इसे घुमाया जाता है। इसके साथ ही ढोल-नगाड़े की आवाजें और भक्तों के जयकारे माहौल को और भी दिव्य बना देते हैं।
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