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राम जी के अनसुने रहस्य: हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम का नाम सुनते ही हम उन्हें एक आदर्श और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में याद करते हैं। उनके जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें और घटनाएं आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय हैं। उनकी जीवन यात्रा और उनके कार्यों ने समाज को बहुत कुछ सिखाया है। 6 अप्रैल 2025 को पूरे देश में रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा।
तो इस खास अवसर पर, हम भगवान श्रीराम से जुड़ी कुछ अनसुनी और रहस्यमयी बातें जानेंगे, जो शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्रीराम के जीवन के ये रहस्य उनकी महानता को और भी गहरा और प्रेरणादायक बनाते हैं।
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राम जी का वनवास
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, राम जी का वनवास उनकी मां कौशल्या की इच्छा पर हुआ। राजा दशरथ ने राम को राजगद्दी सौंपने का निर्णय लिया था, लेकिन रानी कैकेयी के लालच में आकर उसने राम को 14 वर्षों के लिए वनवास भेज दिया। राम ने शांति से यह आदेश स्वीकार किया और वन की ओर प्रस्थान किया।
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श्रीराम की 12 कलाएं
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, राम और कृष्ण दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं, लेकिन कृष्ण के पास 16 कलाएं थीं, जबकि राम जी में सिर्फ 12 कलाएं थीं। इसका कारण यह है कि राम जी सूर्यवंशी थे और सूर्य की 12 कलाएं होती हैं। मान्यता है कि राम जी में सूर्यदेव की समस्त कलाएं थीं।
रथ भेजा इंद्रदेव ने
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब राम और रावण के बीच युद्ध शुरू हुआ, तो रावण ने मायारथ पर युद्ध किया। राम जी पैदल ही उसकी ओर बढ़े, लेकिन शास्त्रों के अनुसार, इंद्रदेव ने राम की मदद के लिए अपना दिव्य रथ भेजा था। रथ का सारथी मातलि थे।
विभीषण को दी लंका
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, रावण को हराने के बाद भगवान राम ने रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया। यह दिखाता है कि राम जी न्यायप्रिय थे और परिवार के सभी सदस्यों को सम्मान देते थे।
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कौवे को मिला खास वरदान
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इंद्रदेव के पुत्र जयंत ने राम जी की परीक्षा लेने के लिए कौवे का रूप धारण किया और सीता माता के पैरों पर चोंच मारी, जिससे माता घायल हो गईं। राम जी ने क्रोध में आकर उसे बाण मारा, जिससे उसकी एक आंख फूट गई। बाद में राम जी ने कौवे को वरदान दिया कि तुमको भोजन देने से पितृ प्रसन्न होंगे।
अहिल्या देवी को श्राप से मुक्त किया
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान राम ने अहिल्या देवी को गौतम ऋषि द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति दिलाई थी। अहिल्या को पत्थर बनने का श्राप दिया गया था, और राम जी ने ही उन्हें अपने पांवों से स्पर्श करके फिर से जीवनदान दिया। श्रीराम का जीवन और उनके कार्य हमारे लिए आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक आदर्श के रूप में हमेशा प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
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