आज से हिन्दू नववर्ष का हुआ आगमन, हर राशि पर पड़ेगा खास प्रभाव, ज्योतिषाचार्यों से जानें आपका राशिफल

विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च यानि आज गुड़ी पड़वा और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हो चुकी है। इस वर्ष संवत्सर का नाम 'कालयुक्त' रहेगा, जो 15 अप्रैल तक प्रभावी होगा, इसके बाद 'सिद्धार्थ' संवत्सर प्रारंभ होगा

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Sourabh Bhatnagar
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इस वर्ष नव विक्रम संवत्सर 2082 का शुभारंभ 30 मार्च 2025 रविवार को गुड़ी पड़वा और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ होगा। इस वर्ष की खास बात यह है कि इसका राजा और मंत्री दोनों ही सूर्यदेव होंगे। इसके अलावा, वर्ष की शुरुआत 'कालयुक्त' नामक संवत्सर से होगी, जो 15 अप्रैल तक रहेगा। इसके बाद 'सिद्धार्थ' नामक संवत्सर प्रारंभ होगा, लेकिन पूरे वर्ष संकल्पादि में 'कालयुक्त' का ही प्रयोग किया जाएगा। इस संवत्सर का प्रभाव जनजीवन, राजनीति, मौसम, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर व्यापक रूप से पड़ेगा।

विक्रम संवत हिंदू पंचांग के अनुसार 60 वर्षों का एक चक्र होता है, जिसमें हर संवत्सर का अलग नाम और प्रभाव होता है। इस बार 53वां संवत्सर 'कालयुक्त' प्रारंभ हो रहा है, जिसे 15 अप्रैल के बाद 'सिद्धार्थ' के रूप में जाना जाएगा।

इस वर्ष सूर्यदेव के राजा और मंत्री होने से शासन में अनुशासन बढ़ेगा, लेकिन सख्त नीतियों के कारण जनता को कुछ कठोर फैसलों का सामना भी करना पड़ सकता है। भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी, जिससे प्रशासनिक क्षेत्र में सुधार देखने को मिलेगा। वहीं, धर्म, अध्यात्म, विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उन्नति होगी।

मौसम और कृषि पर प्रभाव

भोपाल के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित भंवरलाल शर्मा ने द सूत्र से बातचीत में बताया कि कालयुक्त संवत्सर में अनाज की पैदावार अच्छी होती है, लेकिन अनियमित मौसम की संभावना बनी रहेगी। इस वर्ष गर्मी की तीव्रता अधिक रहने के संकेत हैं। मानसून के दौरान कुछ क्षेत्रों में अधिक बारिश और कुछ क्षेत्रों में सूखे की स्थिति बन सकती है।

स्वास्थ्य और महामारी का प्रभाव

पंडित शर्मा का कहना है कि इस संवत्सर में नए और अज्ञात बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ नई चुनौतियां देखने को मिलेंगी, इसलिए सतर्कता जरूरी है। आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का महत्व बढ़ेगा और लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दिशा में अधिक प्रयासरत होंगे।

राशियों पर प्रभाव और उपाय

  • मेष: शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी। कार्यक्षेत्र में संघर्ष रहेगा, लेकिन परिश्रम से सफलता मिलेगी। उपाय: हर शनिवार पीपल में जल चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • वृष: विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए सफलता का समय है। आर्थिक लाभ मिलेगा। उपाय: भगवान का भजन करें और शिवजी की आराधना करें।
  • मिथुन: यह वर्ष अत्यंत शुभ रहेगा। नई संभावनाएं बनेंगी। उपाय: गौमाता की सेवा करें और गणेशजी की स्तुति करें।
  • कर्क: ढैय्या शनि समाप्त होंगे, जिससे सुख-समृद्धि बढ़ेगी। भूमि-भवन के योग बन सकते हैं। उपाय: गुरुवार को पीले वस्त्र पहनें और पीली वस्तु दान करें।
  • सिंह: ढैय्या शनि लगेंगे। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा, लेकिन निर्णय लेने में सावधानी बरतें। उपाय: हर शनिवार पीपल की सात परिक्रमा करें।
  • कन्या: भय में कमी होगी, लेकिन मानसिक तनाव रह सकता है। उपाय: भगवान शिव की उपासना करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • तुला: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में कमी आएगी। करियर में नए अवसर मिलेंगे। उपाय: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • वृश्चिक: ढैय्या शनि समाप्त होंगे, लेकिन अष्टम गुरु स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। उपाय: गुरु की शांति के लिए पीले वस्त्र धारण करें।
  • धनु: ढैय्या शनि प्रारंभ होंगे। कार्यक्षेत्र में परिवर्तन संभव है। उपाय: पीपल में जल चढ़ाएं और हनुमानजी की पूजा करें।
  • मकर: ईमानदारी से कार्य करें, लेकिन दूसरों को सुधारने की कोशिश से बचें। उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार को चोला चढ़ाएं।
  • कुंभ: अंतिम ढैय्या चल रही है। राहु-केतु का प्रभाव रहेगा। मानसिक अस्थिरता रह सकती है। उपाय: मछलियों और पक्षियों को दाना डालें।
  • मीन: साढ़ेसाती शनि का दूसरा ढैय्या प्रारंभ होगा। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। उपाय: माता-पिता की सेवा करें और बड़ों का आशीर्वाद लें।

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