सनातन धर्म में प्रति वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है, इस दिन जगतपति भगवान श्री रामचंद्र जी और जगत माता सीता जी का विवाह हुआ था। इस दिन ही अयोध्या के राजा राम ने जनकपुरी में जाकर के अपने गुरु विश्वामित्र के आदेश पर राजा जनक के संकट को दूर करने के लिए भगवान शिव के धनुष को तोड़ा था और माता सीता से उनका स्वयंवर हुआ था।
अविवाहितों को मिल जाता है मनचाहा जीवन साथी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन अविवाहितों के विवाह में देरी होती है, अगर वें इस विवाह पंचमी के दिन श्रद्धापूर्वक माता सीता एवं भगवान श्रीरामचन्द्र का विधिपूर्वक पूजन करते हैं, उनको शीघ्र ही मनाचाहा जीवन साथी मिल जाता है
इस शुभ मुहूर्त में करें पूजन
इस विवाह पंचमी के दिन रवि योग, ध्रुव योग, और सर्वार्थ सिद्धि शुभ योग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि दिसंबर को बजकर 59 मिनट पर आरंभ होगी और पंचमी तिथि का समापन दिसंबर को 12 बजकर 7 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार ही विवाह पंचमी का त्यौहार 6 दिसंबर 2024 शुक्रवार को मनाया जाएगा।
जिनके विवाह में देरी हो रही हो वे शीघ्र विवाह के लिए विवाह पंचमी के दिन 21राम-जानकी स्तुति का पाठ
॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं।।
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं।।
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं।।
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं।।
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो।।
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली।।
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम, अङ्ग फरकन लगे।
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