/sootr/media/media_files/2025/11/13/vivah-panchami-2025-2025-11-13-13-29-50.jpg)
Latest Religious News:हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का बहुत खास और पवित्र महत्व है। यह शुभ तिथि हर साल अगहन (मार्गशीर्ष महीना) माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को आती है। इस साल यह पर्व 25 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा।
इसी दिन त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। यह विवाह जनकपुर (मिथिला) में संपन्न हुआ था। यह तिथि उनकी वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है। वाल्मीकि रामायण में इस विवाह का रोचक वर्णन मिलता है। आइए जानें...
/sootr/media/post_attachments/ibnkhabar/uploads/2025/05/draupadi-9-2025-05-373dd704dcad355951363b738e29dc8a-16x9-265436.jpg)
सीता स्वयंवर में राजा जनक की अनोखी शर्त
राजा जनक अपनी पुत्री माता सीता (Vivah Panchami 2025) को बहुत प्रेम करते थे। उन्होंने अपनी पुत्री के विवाह के लिए एक कठिन शर्त रखी थी। यह शर्त इतनी मुश्किल थी कि बड़े-बड़े बलशाली राजा भी इसे पूरा नहीं कर पाए।
माता सीता के स्वयंवर में राजा जनक ने एक अत्यंत कठिन शर्त रखी थी। शर्त यह थी कि जो भी बलशाली पुरुष भगवान शिव के बहुत भारी और विशाल धनुष को उठा पाएगा।
धनुष उठाने के बाद उस पर प्रत्यंचा (डोरी) चढ़ाना भी अनिवार्य था। राजा जनक ने यह शर्त रखी थी कि जो भी वीर इस चुनौती को पूरा करेगा, उसी महान पुरुष के साथ माता सीता का शुभ विवाह होगा।
ये खबर भी पढ़ें...
शिवलिंग की पूजा से मिलते हैं अद्भुत लाभ, जानें शिव महापुराण में क्या है लिखा
/sootr/media/post_attachments/all_images/why-was-ram-not-invited-in-sita-swayamvar-1722508691231-16_9-900247.webp?impolicy=website&width=1200&height=900)
राजा जनक ने यह शर्त क्यों रखी थी
राजा जनक ने यह कठिन शर्त जानबूझकर रखी थी। इसके पीछे एक खास कारण छिपा था। दरअसल, देवी सीता ने बचपन में खेल-खेल में भगवान शिव का भारी धनुष एक हाथ से उठा लिया था।
इस अलौकिक चमत्कार को देखकर राजा जनक ने तभी यह प्रतिज्ञा ले ली थी। उन्हें लगा कि उनकी पुत्री का पति कोई साधारण पुरुष नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने ठान लिया कि केवल कोई असाधारण और अत्यधिक शक्तिशाली पुरुष ही सीता के लिए योग्य वर होगा।
/sootr/media/post_attachments/blog/wp-content/uploads/2022/11/30185351/%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%AF%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A5%9C%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%96%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A5%A4-781337.jpg)
स्वयंवर में रावण का शामिल होना
राजा जनक ने माता सीता के विवाह के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया। इस स्वयंवर में दूर-दूर से बलशाली राजा शामिल हुए। लंकापति रावण भी सीता से विवाह की इच्छा लेकर आया था।
बड़े-बड़े राजाओं ने धनुष उठाने का बहुत प्रयास किया। बलशाली होने के बावजूद कोई भी राजा शर्त पूरी नहीं कर सका। वे सभी धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने में पूरी तरह विफल रहे।
ये खबर भी पढ़ें...
मार्गशीर्ष माह की एकादशी से व्रत शुरू करने पर क्या अद्भुत लाभ मिलता है, कैसे करें सही विधि से पूजा
/sootr/media/post_attachments/hindi/sites/default/files/styles/zm_700x400/public/2024/01/23/2596152-ram-sita-vivah-484451.jpg?itok=mUWl04tM)
भगवान राम ने कैसे जीता सीता स्वयंवर
जब सभी राजा असफल हो गए, तब भगवान राम ने धनुष की ओर देखा। उन्होंने गौर किया कि सभी राजा सिर्फ अपनी शक्ति का प्रयोग कर रहे थे।
राम का विनम्र भाव: भगवान राम ने धनुष को उठाने से पहले भगवान शिव को प्रणाम किया।
सरलता से उठाया: उन्होंने माता सीता की तरह ही विनम्र भाव और सरलता से धनुष उठाया।
धनुष टूटना: उन्होंने इतनी आसानी से धनुष उठाया कि प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया।
विवाह संपन्न: इस तरह भगवान राम ने स्वयंवर जीता और माता सीता से उनका विवाह संपन्न हुआ।
यह स्वयंवर न केवल शक्ति का, बल्कि विनम्रता और श्रद्धा (माता सीता और प्रभु श्रीराम) की जीत का प्रतीक था।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। dharm news today
ये खबर भी पढ़ें...
Kaal Bhairav Jayanti 2025: सिर्फ एक रात की पूजा से दूर हो जाएगा हर संकट, जानें कैसे
नवंबर में कब है विवाह पंचमी 2025, इस दिन पूजा करने से मिलेता सौभाग्य और दांपत्य सुख का वरदान
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us