चातुर्मास: सृष्टि संचालन शिव संभालते हैं; दान-पुण्य और नियम पालन से जीवन संवारें

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अमिताभ का बंगला

हिंदू धर्म का चौथा महीना आषाढ़ होता है। इस महीने के एकादशी के दिन से चार महीने के लिए देव सो जाते हैं। हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। चातुर्मास से चार महीने ( श्रावण, भाद्रपद, अश्र्विन, कार्तिक) से है। चातुर्मास में मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इस दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है।

धार्मिक दृष्टिकोण

धार्मिक दृष्टिकोण से चातुर्मास का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में चार महीने के लिए विश्राम करते हैं। इस दौरान सृष्टि के संचालन का काम भगवान शिव संभालते हैं। चातुर्मास में ही सावन आता है।

क्या करना चाहिए

चातुर्मास का समय साधना के लिए उचित माना जाता है। इन चार महीनों में सावन का महीना सबसे महत्तवपूर्ण माना जाता है। इस महीने में भागवत कथा, भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए, धार्मिक अनुष्ठान और दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है।

सेहत ठीक रखने की जरुरत

इन चार महीनों में खान-पान और व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। इन चार महीनों के दौरान व्यक्ति की पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है। इसके अलावा भोजन और पानी में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। इस समय पानी को उबालकर पीना ज्यादा लाभकारी होता है।

इन बातों का रखे ख्याल

चातुर्मास मास का पहला महीना सावन होता है। इस महीने हरी पत्तेदार सब्जी खाने से बचना चाहिए। दूसरा माह भाद्रपद होता है। इस महीने दही खाने से बचना चाहिए। चातुर्मास का तीसरा महीने अश्र्विन होता है जिसमें दूध से परहेज बताया गया है। चातुर्मास का अतिंम माह कार्तिक में दालों का सेवन नहीं करना चाहिए।

इन नियमों का कर सकते है पालन

इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठाना अच्छा माना जाता है। उठने के बाद नहा कर और ज्यादा वक्त समय मौन रहना चाहिए। वैसे साधुओं के नियम कड़े होते है। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए।

साधना का महीना