पद्म पुराण के मुताबिक योगिनी एकादशी सभी पापों को नाश करती है।ये इस साल 5 जुलाई को है। इस दिन व्रत करने से शारीरिक और मानसिक कष्ट खत्म होते है।इससे रूप, गुण और यश भी बढ़ता है। ऐसी मान्याता है कि इस व्रत का फल 88 ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना होता है।
भगवान कृष्ण ने सुनाई थी कथा
इस व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एक कथा सुनाई थी, जिसमें राजा कुबेर के श्राप से काढ़ी होकर हेममाली नामक यक्ष मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचे। ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादेशी व्रत करने की सलाह दी। यक्ष ने ऋषि की बात मान कर व्रत किया और दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चला गया।
सादा भोजन और कथा सुनना
व्रत करने वाले को दशमी तिथि की रात से ही तामसिक भोजन छोड़कर सादा खाना खाना चाहिए। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर उनकी पूजा करें। ध्यान रहे कि इस दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरूर सुननी चाहिए। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान है।