Bhopal.
मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का कैसे मजाक बनाकर रख दिया गया है, यह उसका उदाहरण है। सत्र 2019—20 में 5 स्टूडेंट ने बीएचएमएस कोर्स (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery) में प्रवेश के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (National Eligibility cum Entrance Test- NEET) यानी नीट की परीक्षा दी। नीट एग्जाम क्लीयर होने के बाद काउंसलिंग में आयुष विभाग ने इन स्टूडेंट को धार का इंदिरा गांधी मेमोरियल (IGM) होम्योपैथिक कॉलेज एलॉट किया, जहां इन 5 स्टूडेंट ने एडमीशन लिया, पर तीन साल बीत जाने के बाद भी यह स्टूडेंट एक ही क्लास में है। कारण इनका कभी एग्जाम ही नहीं लिया गया। कॉलेज प्रबंधन मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर और यूनिवर्सिटी आईजीएम कॉलेज धार को दोष दे रही है। इन सबके बीच सत्र 2019—20 में नीट से प्रवेश लेने वाले 5 और कॉलेज लेवल काउंसलिंग के माध्यम से प्रवेश लेने वाले 95 स्टूडेंट का भविध्य अधर में लटक गया है।
एफीलेशन को लेकर उलझा है मामला
दरअसल पूरा मामला कॉलेज के एफीलेशन को लेकर उलझा हुआ है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेज को मान्यता मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी जबलपुर देती है। यूनिसर्विटी के रजिस्ट्रार डॉ. प्रभात बुधौलिया का कहना है कि आईजीएम होम्योपैथिक कॉलेज धार ने यूनिवर्सिटी से सिर्फ 2015—16 यानी एक सत्र के लिए एफीलेशन लिया था, इसके बाद आने वाले सत्रों के लिए न तो एफीलेशन लिया और न ही इससे संबंधित कोई प्रक्रिया की। इसलिए यूनिवर्सिटी 2019—20 सत्र के न तो एग्जाम ले रही है और न ही नामांकन जारी कर रही है। इससे उलट आईजीएम होम्योपैथिक कॉलेज धार के डायरेक्टर डॉ. आईएम शेख का कहना है कि उनके पास एफीलेशन है, वह सभी जरूरी कार्रवाई कर चुके हैं। यूनिवर्सिटी जिद पर अड़ी है और जानबूझकर स्टूडेंट के एग्जाम नहीं करवा रही है।
बड़ा सवाल : एफीलेशन नहीं तो एलाटमेंट और नामांकन जारी कैसे हुआ
बीएचएमएस कोर्स कर अपना भविष्य संवारने वाले इन स्टूडेंट का सपना चकना चूर हो गया है और जिम्मेदार एक दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं। यहां बड़ा सवाल यह भी है कि यदि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. प्रभात बुधौलिया की मान भी ले कि कॉलेज के पास एफीलेशन नहीं है तो फिर नीट एग्जाम के बाद आयुष विभाग ने एडमीशन के लिए स्टूडेंट को यह कॉलेज एलॉट ही क्यों किया। रजिस्ट्रार के अनुसार एफीलेशन नहीं होने से नामांकन भी जारी नहीं हुए, जबकि स्टूडेंट के पास नामांकन नंबर है।
दो बार परीक्षा देने से रोका
स्टूडेंट को यूनिवर्सिटी ने दो बार परीक्षा देने से रोका। सबसे पहले 2020 में कोविड महामारी के कारण परीक्षा नहीं ली गई। सितंबर 2021 में परीक्षा हुई तो इन स्टूडेंट को यह कहकर परीक्षा का एडमिट कार्ड नहीं दिया गया कि कॉलेज का एफीलेशन नहीं है। 4 मई 2022 से परीक्षा शुरू हुई। इस परीक्षा के लिए स्टूडेंट को एडमिट कार्ड भी जारी हुए। स्टूडेंट परीक्षा केंद्र पीजी कॉलेज धार पहुंचे, लेकिन यूनिवर्सिटी ने तत्काल मेल कर इन स्टूडेंट को फिर परीक्षा देने से रोक दिया।
कोर्ट की अवमानना का लगा है केस
अपना भविष्य खत्म होते देख स्टूडेंट ने लगातार कॉलेज प्रबंधन और यूनिवर्सिटी की शिकायत की, पर जब कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो मामला कोर्ट भी पहुंचा। आईजीएम होम्योपैथिक कॉलेज धार के डायरेक्टर डॉ. आईएम शेख का कहना है कि यूनिवर्सिटी हाईकोर्ट का भी आदेश नहीं मान रही है, जिसके बाद कोर्ट में अवमानना का केस भी लगा है। हमारे सभी एडमीशन गर्वमेंट द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप ही हुए हैं।
यदि बच्चों ने कोई गलत कदम उठाया तो कौन होगा दोषी?
नरेंद्र पाटीदार कहते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी का एडमीशन नीट क्लीयर होने के बाद धार कॉलेज में कराया। अब तक वह 4 से 4.5 लाख रूपए फीस के भर चुके है, पर बेटी एक ही क्लास में है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी के विवाद के कारण बच्चों का भविष्य तो खराब हो ही रहा है, लेकिन उनकी मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ रहा है। यदि किसी कारण बच्चों ने कोई गलत कदम उठा लिया तो इसका दोषी कौन होगा? वहीं धार कॉलेज में प्रवेश लेने वाली हिमांशी पाटीदार कहती हैं कि हमारा भविष्य खराब हो चुका है। इसका दोषी कौन है आयुष विभाग, कॉलेज या यूनिवर्सिटी।