BHOPAL : कैडर के नाम पर आरएसके ने दांव पर लगाई 20 साल की वरिष्ठता, ठगा महसूस कर रहे 2.50 लाख शिक्षक

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Praveen Sharma
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BHOPAL : कैडर के नाम पर आरएसके ने दांव पर लगाई 20 साल की वरिष्ठता, ठगा महसूस कर रहे 2.50 लाख शिक्षक

Bhopal. राज्य शिक्षा केंद्र आरएसके (Rajya shiksha kendra, RSK) द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता (Quality Of Education) के नाम पर राज्य शिक्षा संवर्ग (State Education cadre) बनाकर इसमें जोड़े गए शिक्षकों को धर्मसंकट में डाल दिया है। जुलाई 2018 में बने इस कैडर के कारण शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक और अध्यापकों की पुरानी नौकरी बेमानी साबित हो रहे है। आरएसके प्रदेश भर के करीब ढाई लाख शिक्षकों की वरिष्ठता (Seniority) उसी दिन से मानने पर अड़ा है जिस दिन से ये कैडर बना है। इससे इन 2 लाख 50 हजार शिक्षकों को अपनी वरिष्ठता के साथ क्रमोन्नति, पदोन्नति और ग्रेज्युटी पर असर पड़ता दिख रहा है। साथ ही अपनी पेंशन को लेकर भी शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है।



जानकारी के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र ने जुलाई 2018 में राज्य शिक्षा सेवा संवर्ग का गठन किया है। अब प्रायमरी और मिडिल स्कूलाें (Primary and middle Schools) के सभी शिक्षकों को इस संवर्ग में शामिल कर लिया गया है। अभी तक इन शिक्षकों की स्थापना संबंधी सारे दायित्व लोक शिक्षण संचालनालय के पास थे, लेकिन इस संवर्ग के बनने के बाद मिडिल तक के सारे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की स्थापना संबंधी जिम्मेदारी भी आरएसके को मिल गई है। अनिवार्यता के फेर में सभी शिक्षक इस कैडर में शामिल तो हो गए है, लेकिन अब सभी ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसकी वजह है कि कई दौर की चर्चा के बाद भी आरएसके के अधिकारी किसी की भी वरिष्ठता जुलाई 2018 से पहले की मानने को तैयार नहीं है। जबकि अधिकांश शिक्षक 1998, 2001 एवं 2003 में भर्ती हुए थे। अब यदि कैडर की डेट मान्य की गई तो पुरानी सेवा अवधि गिनती में आएगी ही नहीं, वहीं आगे भी मिलने वाली सुविधाओं पर प्रश्नचिंह लग जाएगा। इसी चिंता में सारे शिक्षक आंदोलन के मूड में आ गए है। मंगलवार 23 जुलाई को मप्र शासकीय शिक्षक संगठन के बैनर तले शिक्षकों ने प्रदेश भर में जिला स्तर पर रैली निकालकर प्रदर्शन किया। साथ ही कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपे।



क्या बोले संगठन के नेता



मप्र शासकीय शिक्षक संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने बताया कि विभाग में हर स्तर पर अधिकारियों को इस विसंगति से अवगत करा दिया है। बावजूद इसके कोई हल निकालने अधिकारी तैयार नहीं है। अब शिक्षक दिवस के बाद प्रदेश भर में शिक्षक भोपाल में एकत्रित होंगे। शिक्षक अपनी वरिष्ठता से खिलवाड़ नहीं होने देंगे। इससे उनकी वरिष्ठता ही खत्म नहीं हो रही है, बल्कि क्रमोन्नति, पदोन्नति, समयमान वेतनमान के साथ ही पेंशन पर भी असर पड़ेगा। 40 साल की नौकरी करके भी सेवानिवृत्ति के बाद बाकी जिंदगी आर्थिक तंगी में बिताना पड़ेगी। इसलिए सारे शिक्षकों में आक्रोश है।



कितनी महंगी पड़ेगी आरएसके की जिद



- सभी शिक्षकों को 20 से 22 साल की अपनी वरिष्ठता गंवाना पड़ेगी

- 12 वर्ष की सेवा अवधि पर मिलने वाली क्रमोन्नति लटक जाएगी

- पदोन्नति के लाभ से ये शिक्षक वंचित रह जाएंगे

- पुरानी पेंशन योजना का लाभ किसी को नहीं मिलेगा

- सेवानिवृत्ति के समय पेंशन में कमी हो जाएगी




ज्ञापन

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ज्ञापन का दूसरा पेज

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ये हैं शिक्षकों की मांगें



- शिक्षाकर्मी, गुरूजी, संविदा शाला शिक्षक से अपनी नौकरी शुरू कर अध्यापक होते हुए राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्त हुए संवर्ग की सेवा अवधि की गणना देय स्वत्वों के लिए प्रथम नियुक्ति दिनांक से की जाए। 

- वर्ष 2006 और उसके बाद संविदा शाला शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए ऐसे कर्मचारी जो 12 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं को तत्काल प्रथम क्रमोन्नति प्रदान की जाए। साथ ही वर्ष 1998 में नियुक्त शिक्षा कर्मियों को द्वितीय क्रमोन्नति प्रदान की जाए।  

- अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण बिना शर्त 30 दिनों में निराकृत होने का प्रावधान किया जाए। 

- मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशनयोजना पुनः बहाल कर हमें भी उसका लाभ प्रदान किया जाए। 

‘- ग्रेज्युटी की सुविधा का पूर्ण लाभ प्रदान किया जाए। 

- पद स्वीकृति नहीं मिली है, का हवाला देकर प्रदेश के हजारों नव नियुक्त माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों को मासिक वेतन से तथा माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर अध्यापक संवर्ग से राज्य शिक्षा सेवा से वंचित रखा जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इसका तत्काल निराकरण हो। 


मप्र के शिक्षकों की वरिष्ठता पर संकट आरएसके की जिद जुलाई 2018 में बना संवर्ग पेंशन पर पड़ेगा असर जिलों में निकाली रैली आंदोलन की तैयारी Crisis on seniority of MP teachers RSK's insistence cadre formed in July 2018 will affect pension rally in districts preparation for agitation