दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। महिला अभ्यर्थियों को एनडीए परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को सेना को फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान सेना ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है, जिस पर जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय "लिंग भेदभाव" पर आधारित है।
ग्रेजुएशन के बाद सेना में आने की अनुमति
वकील(lawyer) कुश कालरा याचिकाकर्ता(Petition) ने कोर्ट को बताया था कि महिलाओं को ग्रेजुएशन (Graduation) के बाद ही सेना में आने की अनुमति है। उनके लिए न्यूनतम आयु भी 21 साल रखी गई है। जबकि लड़कों को 12वीं के बाद ही एनडीए (NDA) में शामिल होने दिया जाता है। इस तरह से महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बेहतर पद जाने की संभावना कम हो जाती है। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने की।
याचिका में क्या लिखा था
याचिका में लिखा गया था कि सेना में युवा अधिकारियों की नियुक्ति करने वाले नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) और नेवल एकेडमी में सिर्फ लड़कों को ही दाखिला मिलता है। ऐसा करना उन योग्य लड़कियों के मौलिक अधिकारों का हनन है, जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहती हैं।याचिका में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के पिछले साल आए उस फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए कहा गया था।