नई दिल्ली. 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court on cbse marks policy) ने CBSE स्टूडेंट्स को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने एक फैसले में CBSE की एक मार्क्स पॉलिसी को खारिज (Marks policy rejected in supreme court) कर दिया है। इसके बाद अब स्टूडेंट्स को अपना बेस्ट मार्क्स चुनने (Best marks option) का विकल्प खुला रहेगा। यानी इंप्रूवमेंट एग्जाम के नंबर फाइनल नहीं माने जाएंगे, बल्कि मुख्य परीक्षा और इंप्रूवमेंट एग्जाम, दोनों में से जिसमें बेहतर नंबर होंगे, उसे अंतिम माना जाएगा। ये फैसला CBSE 10th और 12th बोर्ड (cbse 10th and 12 th board policy) पर लागू होगा।
कोर्ट ने इसलिए खारिज की: जस्टिस AM खानविलकर और जस्टिस CT रविकुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा कि CBSE ने इंप्रूवमेंट एग्जाम में मिले नंबरों को ही अंतिम मानने की नीति के पीछे कोई तर्क नहीं दिया है। अगर इंप्रूवमेंट एग्जाम देने के बाद मार्क्स कम हो गए, और अगर उन्हें फाइनल माना गया तो इससे उनके एडमिशन पर असर पड़ेगा।
ये थी CBSE की स्कीम: नियम के अनुसार, इंप्रूवमेंट एग्जाम में मिले नंबर को ही फाइनल माना जाता था। इस कारण कुछ मामलों में यह देखा गया कि छात्रों के नंबरों में सुधार होने के बजाय नंबर कम हो गए। इसी पर फैसला लेते हुए कोर्ट ने इस स्कीम को खत्म कर दिया। बेंच ने CBSE से पूछा कि 'हमें कारण बताइए कि ऐसा क्यों संभव नहीं है? जो भी मार्क्स स्टूडेंट के लिए सही है, उसे स्वीकार करने में क्या आपत्ति है? पहले भी बोर्ड ने ऐसा किया है, तो अब उसी नियम को लागू करने कमें क्या गलत है?'