BHOPAL: मध्यप्रदेश के दमोह जिले में गंगा-जमुना सीनियर सेकेंड्री स्कूल में हिजाब कंट्रोवर्सी सामने आने के बाद उसकी निलंबित मान्यता को रद्द करके स्कूल फिर से खोलने की मांग लेकर राज्य की स्वयंसेवी संस्थाओं के समूह शिक्षा जागरण मंच ने आज राजधानी भोपाल में प्रेसवार्ता आयोजित की।
बता दें कि स्कूल की मान्यता रद्द करने का एक्शन तब हुआ जब जून में ये ख़बरें सामने आई कि इस स्कूल में हिंदू छात्राओं को भी हिजाब पहनाया जाता है। विवादों में आए इस स्कूल पर बाद में धर्मांतरण कराए जाने का भी आरोप लगा। मान्यता नीलबन और स्कूल के एक हिस्से को तोड़ने की सरकारी कार्यवाही के दौरान अधिकारियों द्वारा ये बताया गया कि स्कूल मान्यता नियमों का पालन नहीं कर रहा था और इस स्कूल में कई अनियमितताएं पाई गईं, जिसके इसकी मान्यता निरस्त कर दी गई।
शिक्षा जागरण मंच के सदस्य अमित सदगोपाल ने कहा कि दमोह गंगा-जमुना स्कूल के सस्पेंशन को रोकना और उसका संचालन एक बार फिर से शुरु करना जरुरी है। ये सिर्फ स्कूल की परीक्षा की घड़ी नहीं बल्कि ये मामला तो सत्ता के मूल्यों और संविधान की परीक्षा है।
वहीँ शिक्षा जागरण मंच की अन्य सदस्य शिवानी का कहना है की मंच की फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने दमोह जाकर ये पता करने की कोशिश की है की आखिर स्कूल बंद करवाना सही है या गलत? मंच ने स्कूल से जुड़े करीब 300-350 लोगो से बात की है। और जो तथ्य निकलकर सामने आए हैं स्कूल के मामले में वास्तविकता को नकारते हुए जबरन धर्म का रंग दिया गया है। स्कूल केंद्र और राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त था और 2010 से अच्छे तरीके संचालित हो रहा था और बढ़िया रिजल्ट दे रहा था। एक धार्मिक संस्था और सोशल मीडिया में आ रही ख़बरों के प्रेशर में आकर स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई। इससे 1200 बच्चों के भविष्य पर सवाल उठ गया है।
टीचर्स के धर्मांतरण का मामला भी वैसा नहीं है जैसा दिखाया जा रहा है। तीनों टीचर्स स्कूल से जुड़ने से पहले ही अपने निजी कारणों से मुस्लिम बने थे, इससे स्कूल का कोई लेना देना नहीं है। साथ ही जिस गाने 'लब पर आती यही दुआ' पर विवाद हुआ है, वो MP सरकार की कक्षा 5 की उर्दू पाठ्यपुस्तक में है।
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