प्रदेश में पहली बार ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में पेड़ों पर लगाए बारकोड, वृक्ष ने कितनी ऑक्सीजन छोड़ी, ये मिल सकेगी जानकारी

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The Sootr
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प्रदेश में पहली बार ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में पेड़ों पर लगाए बारकोड, वृक्ष ने कितनी ऑक्सीजन छोड़ी, ये मिल सकेगी जानकारी

देव श्रीमाली, GWALIOR. जीवाजी विश्वविद्यालय (जेयू) प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसने अपने परिसर में लगे पेड़ों पर बारकोड लगाए है। हाल ही में जेयू के लक्ष्मीबाई कन्या छात्रावास में लगे नीम, सिरिस, जामुन, आश, चिरोल, आम, पाम, कटहल, बेल, महारूख, अमरूद, नींबू सहित 40 पेड़ों पर बारकोड लगाए गए हैं। अब बारकोड के जरिए छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को छात्रावास में लगे पेड़ों के संबंध में संपूर्ण जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। साथ ही शोध कर रही छात्राओं को इनसे डाटा एकत्रित करने में सहायता मिलेगी। 





शोधार्थियों को मिलेगा बड़ा फायदा





छात्रावास की वार्डन डॉ. निमिषा जादौन ने बताया कि विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के सहयोग से छात्रावास में भी पेड़ों पर बारकोड लगाने का कार्य किया गया है। एकेडमिक संस्थानों के अलावा छात्रावास में बारकोड लगाए जाने पर छात्राओं को संबंधित पेड़ों के बारे में जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। पेड़—पौधों का संरक्षण भी किया जा सकेगा। विश्वविद्यालय का यह बड़ा छात्रावास है, यहां अधिक संख्या में छात्राएं रहती हैं। इस प्रयोग से सभी छात्राओं को लाभ प्राप्त होगा। जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला में मध्य प्रदेश का पहला बारकोड लगाने का प्रयोग किया गया है।





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बारकोड स्कैन करने पर मिलेगी पेड़ की जानकारी





छात्रावास के चीफ वार्डन प्रो. केएस ठाकुर का कहना है कि बारकोड स्कैन करने पर छात्राओं को पेड़ के नाम, उसके महत्व और उपयोगिता के बारे में जानकारी मिलेगी। इसके साथ ही पेड़ का चिकित्सा के क्षेत्र में कितना फायदा है और यह पेड़ कितनी ऑक्सीजन छोड़ता है। इसके बारे में भी जानकारी मिल सकेगी।



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