देशभर के स्कूलों में लागू होगा कोरियन एजुकेशन मॉडल, भोपाल से होगी इसकी शुरुआत

देशभर के स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए कोरियन तर्ज पर मेकाट्रॉनिक्स शिक्षा शुरू होगी। भोपाल से पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी, जिसमें प्रैक्टिकल और इंडस्ट्री स्किल्स पर फोकस रहेगा।

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Kaushiki
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देशभर के स्कूलों में अब कोरियन एजुकेशन मॉडल (Korean Education Model) के आधार पर पढ़ाई का एक नया तरीका अपनाया जा रहा है, जिसे मेकाट्रॉनिक्स शिक्षा (Mechatronics Education) कहा जाता है। यह केवल किताबी पढ़ाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि छात्रों को प्रैक्टिकल स्किल्स और इंडस्ट्री से जुड़े ज्ञान पर आधारित शिक्षा मिलेगी। 

इस नई पहल का उद्देश्य छात्रों को केवल परीक्षाओं के लिए नहीं, बल्कि जीवन और रोजगार के लिए भी तैयार करना है। यह संपूर्ण बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसमें वोकेशनल एजुकेशन (Vocational Education) को बढ़ावा देने की बात प्रमुखता से कही गई है।

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भोपाल से होगी शुरुआत

बता दें कि, इस योजना की पायलट शुरुआत राजधानी भोपाल से की जा रही है। यहां कोरिया की सरकारी एजेंसी के सहयोग से लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत से एक अत्याधुनिक मेकाट्रॉनिक्स लैब (Mechatronics Lab) स्थापित की जाएगी।

यह सुविधा विशेष रूप से कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए होगी। फिलहाल यह एक डेमो प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू होगा, और यदि यह सफल रहा, तो इसे देशभर के स्कूलों में लागू किया जाएगा।

क्या होगा इस कोरियन मॉडल में नया

पुराने शिक्षा मॉडल में छात्रों को मुख्य रूप से सैद्धांतिक (theoretical) ज्ञान मिलता था। लेकिन कोरियन तर्ज पर शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव लाए जाएंगे:

पहले:

  • केवल किताबी पढ़ाई
  • रटने पर जोर
  • सीमित रोजगार-उन्मुख ज्ञान

अब:

  • व्यावहारिक और इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स
  • रियल-लाइफ प्रॉब्लम सॉल्विंग पर फोकस
  • करियर ओरिएंटेड शिक्षा

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कोरियन शिक्षा मॉडल के प्रमुख उद्देश्य

इस पहल का मूल उद्देश्य छात्रों को ऐसा हुनर देना है, जो उन्हें भविष्य में नौकरी और करियर के बेहतर अवसर प्रदान कर सके। इसके साथ ही उन्हें लीडरशिप और टेक्नोलॉजिकल क्षमता विकसित करने का भी मौका मिलेगा।

शिक्षा प्रणाली को ग्लोबल एजुकेशन स्टैंडर्ड की ओर ले जाने का यह एक जरूरी प्रयास है।

किन छात्रों के लिए लागू होगा यह मॉडल

इस योजना के अंडर फिलहाल यह शिक्षा केवल कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए ही लागू की जाएगी। उन्हें स्कूल की नियमित शिक्षा के साथ-साथ वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

अगले अकादमिक सेशन से इसकी शुरुआत प्रस्तावित है और शुरू में यह केवल डेमो स्तर पर लागू होगी।

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