मैनिट में फर्स्ट ईयर में हिंदी से इंजीनियरिंग करने 150 स्टूडेंट ने लिया था एडमिशन, दो साल बाद अब सिर्फ 27 बचे

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Rahul Sharma
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मैनिट में फर्स्ट ईयर में हिंदी से इंजीनियरिंग करने 150 स्टूडेंट ने लिया था एडमिशन, दो साल बाद अब सिर्फ 27 बचे

BHOPAL. देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू हुए 29 जुलाई को दो साल पूरे हो रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में संस्थानों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देने के लिए मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) भोपाल में 24 जुलाई, सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित हुई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हिंदी में टेक्नीकल और मेडिकल की पढ़ाई के लिए जोर दिया गया था। प्रेस कांफ्रेंस में जब इससे संबंधित सवाल किए गए तो पता चला कि मैनिट में ही 2020 में हिंदी में इंजीनियरिंग करने के लिए फर्स्ट ईयर में 150 स्टूडेंट ने एडमीशन लिया था, दो साल बाद इनमें से सिर्फ 27 स्टूडेंट ही बचे हैं। 





हिंदी में पढ़ाई छोड़ने की यह बताई वजह





82 प्रतिशत स्टूडेंट ने हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ दी। मैनिट डायरेक्टर केके शुक्ला ने भी स्वीकार किया कि इंजीनियरिंग की हिंदी में पढ़ाई के लिए उतनी सफलता नहीं मिल पाई जितनी की अपेक्षा की जा रही थी। दरअसल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद स्टूडेंट मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करना चाहते हैं, कई बार कंपनियां कुछ समय के लिए उन्हें विदेशों में भी भेजती है। स्टूडेंट का मानना है कि यदि उनकी डिग्री या मार्कशीट में लेंग्वेज में हिंदी लिखा जाएगा तो इसका असर उनके प्लेसमेंट पर पड़ेगा। दूसरी वजह यह भी बताई गई हिंदी के पाठ्यक्रम में टेक्नीकल एजुकेशन से जुड़े कुछ ऐसे शब्द हैं जिन्हें स्टूडेंट हिंदी में पढ़ने में कठिनाई महसूस कर रहे थे, जिसके कारण भी स्टूडेंट ने बीच में ही हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को छोड़ा है।





इस साल भी पहले सेक्शन में हिंदी में पढ़ने का मिलेगा विकल्प





मैनिट डायरेक्टर केके शुक्ला ने कहा कि मैनिट इस बार भी फर्स्ट ईयर के पहले सेक्शन में हिंदी में पढ़ाई के लिए एडमीशन देगा। एक सेक्शन के बाद इसका आंकलन किया जाएगा, यदि स्टूडेंट हिंदी में पढ़ना चाहेगा तो उसे आगे भी हिंदी में पढ़ाया जाएगा। मैनिट डायरेक्टर केके शुक्ला ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्टूडेंट को हिंदी या किसी भी भाषा में पढ़ने के लिए बाध्य नहीं करती है, यदि वह चाहे तो हिंदी में पढ़ सकता है और यदि वह उस लेंग्वेज के साथ कंफर्ट नहीं है तो आगे की पढ़ाई अंग्रेजी में जारी रख सकता है। केके शुक्ला के अनुसार मैनिट में स्टूडेंट को हिंदी में प्रश्न पूछने और उसका उत्तर हिंदी में जानने की स्वतंत्रता दी गई है।     





मातृभाषा पर फोकस नहीं किया इसलिए चीन—जापान से पिछड़े





आरजीपीवी के वीसी सुनील कुमार ने मातृभाषा में पढ़ाई के महत्तव को समझाते हुए कहा कि जिस भाषा को हम बालते हैं, समझते हैं, उस भाषा में ही हमें नवाचार आते हैं। चीन और जापान जैसे देशों ने मातृभाषा को अपनाया, जिसके कारण वे इनोवेशन और टेक्नोलॉजी में हमसे आगे निकल गए। जब मातृभाषा में ही कोई नवाचार हमारे दिमाग में आते हैं तो रिसर्च पेपर, इनोवेशन करने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। सुनील कुमार ने कहा कि अभी यह शुरूआत है, धीरे—धीरे टेक्नीकल एजुकेशन में स्टूडेंट हिंदी को अपनाने लगेंगे। आरजीपीवी 14 बुक का हिंदी में कन्वर्ट कर चुका है, 88 पर अभी काम चल रहा है। 





क्रेडिट स्कीम पर फोकस





प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत क्रेडिट स्कीम पर फोकस किया जा रहा है, जिससे स्टूडेंट को संबंधित संस्थान के अलावा इंडस्ट्रीज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों का भी लाभ मिल सके। इस क्रेडिट स्कीम का सबसे बढ़ा फायदा यह है कि यदि स्टूडेंट डिग्री लेने के लिए जरूर क्रेडिट हासिल नहीं कर पाता है तो उसे डिप्लोमा दिया जाएगा। बाद में वह जब पढ़ाई को कम्प्लीट करेगा तो उतने क्रेडिट जोड़ने के बाद उसे डिग्री दे दी जाएगी। प्रेस कांफ्रेंस में मैनिट डायरेक्टर केके शुक्ला, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) के वीसी सुनील कुमार, योजना एवं वास्तुकला विद्यालय (SPA) भोपाल डायरेक्टर कैलाश रॉव, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (NID) भोपाल डायरेक्टर धीरज कुमार, राष्ट्रीय संस्थान तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान (NITTR) भोपाल डायरेक्टर सीसी त्रिपाठी और केंद्रीय विद्यालय 02 के प्रिंसिपल एसके पाठक मौजूद थे।   







 



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