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भारत में कई छात्रों का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है लेकिन जब वे अपने गोल को अचीव करते हैं, तो उनका संघर्ष प्रेरणा बन जाता है। 14 जून को NEET UG 2025 का परिणाम घोषित किया गया। इसमें राजस्थान बालोतरा जिले के एक छोटे से गांव के 19 साल के श्रवण कुमार ने नीट परीक्षा पास किया।
श्रवण ने अपने तीसरे प्रयास में नीट एग्जाम को सफलतापूर्वक पास की। श्रवण का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था और उनकी ये सफलता उनके कठिन संघर्ष की मिसाल है। उनके पिता रेखाराम सियाग शादी समारोहों में जूठे बर्तन धोते हैं और खेती-बाड़ी करके घर चलाते हैं।
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गरीबी और संघर्ष
श्रवण कुमार के पिता, रेखाराम सियाग शादी-ब्याह में जूठे बर्तन धोने का काम करते हैं। साथ ही, खेती-बाड़ी में भी हाथ बंटाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी और उनके पास एक पक्का मकान तक नहीं था। जब नीट का रिजल्ट आया, तब रेखाराम अपने घर की झोपड़ी की मरम्मत कर रहे थे।
बता दें कि, श्रवण के लिए पढ़ाई इतना आसान नहीं थी। 10वीं के बाद, जब उसे आगे पढ़ाई के लिए पैसे नहीं मिले, तो उसने दिहाड़ी मजदूरी शुरू कर दी।
इस दौरान, उसे फिफ्टी विलेजर्स संस्था का समर्थन मिला, जिसने उसे अपनी पढ़ाई में मदद दी। यह संस्था आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करती है और श्रवण को उनकी मदद से अपनी पढ़ाई जारी रखने का अवसर मिला।
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तीसरे प्रयास में मिली सफलता
श्रवण का परिवार आज भी झोपड़ी में रहता है। उनके परिवार में पिता, मां, छोटी बहन और दादी शामिल हैं। जब रिजल्ट आया, तो गांव के लोग और संस्था के सदस्य मिठाई लेकर श्रवण के घर पहुंचे। श्रवण ने तीसरे प्रयास में नीट UG पास किया।
उसने 700 में से 556 नंबर हासिल किए और ऑल इंडिया 9754वीं रैंक प्राप्त की। ओबीसी कैटेगरी में उसकी रैंक 4071 रही। इससे पहले दो बार वह परीक्षा में शामिल हुआ था, लेकिन कटऑफ पार नहीं कर पाया था।
श्रवण ने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ नीट की तैयारी की। पहले दो प्रयासों में उसे सफलता नहीं मिली, लेकिन उसने हार मानने के बजाय तीसरी बार कोशिश की।
मां की मदद और स्मार्टफोन
श्रवण की मां को अक्टूबर 2023 में सरकारी योजना के तहत स्मार्टफोन मिला। वह इस स्मार्टफोन का इस्तेमाल अपनी पढ़ाई के लिए करता था। छुट्टियों में घर जाते समय, वह उसी स्मार्टफोन का उपयोग अपने डाउट्स क्लियर करने के लिए करता था।
यूट्यूब पर सवालों को सर्च करता और परीक्षा में पूछे गए आंसरों को हल करने में मदद मिलती थी। जब NEET का रिजल्ट आया और श्रवण ने सफलता हासिल की, तो उसके पिता की खुशी का ठिकाना नहीं था। रेखाराम ने कहा, "अब बर्तन नहीं धोने पड़ेंगे, बेटे ने हमारी उम्मीदों को पूरा किया।"
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सफलता की प्रेरक कहानी
श्रवण कुमार की कहानी उन हजारों छात्रों के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते। उनका जीवन यह साबित करता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।
श्रवण ने यह दिखा दिया कि मेहनत और संघर्ष से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनका आत्मविश्वास और संघर्ष निश्चित रूप से दूसरों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
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