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रामानंद तिवारी @ भोपाल
नीट-यूजी 2025 के स्टेट लेवल काउंसलिंग का पहला चरण हाल ही में पूरा हुआ है, और इसके साथ ही छात्रों के लिए एमबीबीएस की सीटों का आवंटन भी किया गया है।
इस नीट यूजी काउंसलिंग ने प्रदेशभर में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए उत्सुक छात्रों को महत्वपूर्ण जानकारी दी है। कुल 4181 MBBS सीटें आवंटित की गई हैं, लेकिन इस प्रक्रिया के बीच कुछ अहम बदलाव भी देखने को मिले हैं।
📊 सीटों का आवंटन और कॉलेजों की स्थिति
इस बार प्रदेश में कुल 4775 एमबीबीएस सीटें हैं, जिनमें से 2575 सरकारी कॉलेजों और 2200 निजी मेडिकल कॉलेजों की हैं। पहले चरण में, सरकारी कॉलेजों की 2101 सीटों में से अधिकांश को अलॉट कर दिया गया, वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों की 1865 सीटों का भी आवंटन हो चुका है।
यह प्रक्रिया राज्य कोटे के तहत की गई, जबकि एनआरआई कोटा के लिए कुछ सीटें रिज़र्व रखी गई हैं।
🏫 गुरु गोविंद सिंह डेंटल कॉलेज का विवाद
इस NEETcounseling में एक दिलचस्प मामला भी सामने आया, जब बुरहानपुर के गुरु गोविंद सिंह डेंटल कॉलेज को भी एमबीबीएस सीटें आवंटित की गईं।
हालांकि, यह कॉलेज पहले ही 14 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्रालय के डेंटल एजुकेशन सेक्शन से अपनी मान्यता खो चुका था। इस बात को ध्यान में रखते हुए, मंगलवार को आनन-फानन में इस कॉलेज के लिए आवंटन निरस्त करने की घोषणा की गई।
इसके बाद, 20 अगस्त को फिर से नए सिरे से सीटों का आवंटन किया जाएगा।
📉 कट-ऑफ में गिरावट: छात्रों के लिए राहत
इस साल एमबीबीएस सीटों की कट-ऑफ में काफी गिरावट आई है। सामान्य (यूआर) वर्ग की अंतिम सीट 452 अंकों पर गई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 621 था।
वहीं, ओबीसी वर्ग की कट-ऑफ 451 अंक और ईडब्ल्यूएस की 496 अंक रही। कट-ऑफ में यह गिरावट छात्रों के लिए एक राहत लेकर आई, जिससे अधिक संख्या में छात्रों को सीट मिल सकी।
🏆 चरणवार आवंटन और रैंकिंग
प्रदेश में कुल 29 मेडिकल कॉलेज इस NEET-UG काउंसिलिंग में शामिल थे, जिनमें से 17 सरकारी और 12 निजी कॉलेज थे। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसे प्रमुख शहरों में छात्रों की पहली पसंद रही।
भोपाल में एक सरकारी और पांच निजी मेडिकल कॉलेज हैं, जबकि इंदौर का एमजीएम मेडिकल कॉलेज और ग्वालियर मेडिकल कॉलेज भी छात्रों के बीच टॉप चॉइस में रहे।
🏅 काउंसलिंग की चुनौतियां: छात्रों को मिले अपग्रेडेशन का मौका
कुछ छात्रों को नीट यूजी परीक्षा में उनकी रैंक के बावजूद मनचाहा कॉलेज नहीं मिल सका। अधिकारियों का कहना है कि यह स्थिति सीट मैट्रिक्स, कैटेगरी फिटमेंट और विकल्पों की प्राथमिकता के कारण बनी। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि ये छात्र अपग्रेडेशन और दूसरे राउंड में फिर से मौका पा सकते हैं।
ऐसे छात्रों के लिए अगले राउंड में बेहतर कॉलेज मिल सकते हैं।
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