बच्चों को पढ़ाई में बेहतर बनाने का क्रिएटिव तरीका है Peer-to-peer learning, जानें इसके फायदे

पीयर-टू-पीयर लर्निंग एक सहयोगी तरीका है, जिसमें बच्चे एक-दूसरे से सीखते हैं, जिससे उनकी समझ, आत्मविश्वास और टीमवर्क में वृद्धि होती है। यह तरीका शिक्षा और कार्यस्थल में ज्ञान साझा करने और सहयोग को बढ़ावा देता है।

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Kaushiki
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आजकल शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह के टीचिंग मेथड्स का यूज किया जाता है, जिनमें से एक प्रमुख तरीका है पीयर-टू-पीयर लर्निंग। यह एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें छात्र एक दूसरे से सीखते हैं और जहां टीचर का रोल लिमिटेड रहता है। इसमें कोई शिक्षक नहीं होता, बल्कि सभी पार्टिसिपेंट एक-दूसरे के साथी होते हैं।  

बच्चों को एक दूसरे से सीखने का अवसर देने से न केवल उनकी समझ में वृद्धि होती है, बल्कि उनके बीच आपसी कोऑपरेशन और रेस्पेक्ट भी डेवलप होता है। पीयर-टू-पीयर लर्निंग एक हाइली इफेक्टिव और कोलैबोरेटव टीचिंग मेथड है जो बच्चों के ज्ञान, समझ और सामाजिक कौशल में सुधार करने में मदद करती है।

इसे सही तरीके से लागू करने से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है, उनके बीच सहयोग की भावना विकसित होती है और उनका सोचने का तरीका भी बदलता है। इस मेथड में हर कोई सीखने और सिखाने में शामिल होता है, जिससे सीखने का अनुभव अधिक इंटरेक्टिव और इफेक्टिव होता है।

यह विधि न केवल बच्चों को बेहतर बनाती है, बल्कि यह होलिस्टिक एजुकेशन प्रोसेस को भी सुधारती है। तो आइए इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पीयर-टू-पीयर लर्निंग क्या है और इसे कैसे लागू किया जा सकता है।

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एमएससी के साथ स्कूलों में पीयर टू पीयर लर्निंग – STEM लर्निंग

🤔 पीयर-टू-पीयर लर्निंग क्या है

पीयर-टू-पीयर लर्निंग एक टीचिंग मेथड है जिसमें छात्र अपने साथियों से सीखते हैं। इस प्रक्रिया में एक छात्र दूसरे छात्र को किसी विशेष विषय में मदद करता है, जो खुद उस विषय में कुशल नहीं होता।

यह तरीका ट्रेडिशनल टीचिंग मेथड्स से थोड़ा हटकर है, क्योंकि इसमें शिक्षक का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मार्गदर्शन देना और वातावरण तैयार करना होता है, न कि केवल जानकारी देना। पीयर-टू-पीयर लर्निंग में छात्र एक दूसरे से बात-चीत करते हैं, ग्रुप्स में काम करते हैं और किसी विशेष प्रॉब्लम या टॉपिक पर विचार-विमर्श करते हैं।

इस तरह, यह विधि न केवल बच्चों के लिए नॉलेज गेन करने का एक तरीका है, बल्कि यह उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास में भी मदद करती है।

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📚💡पीयर-टू-पीयर लर्निंग के फायदे

आज के तेजी से बदलते हुए युग में निरंतर शिक्षा और ज्ञान शेयर करने की जरूरत है। पीयर-टू-पीयर लर्निंग ट्रेडिशनल एजुकेशन मेथड्स के मुकाबले कई फायदे देता है, जैसे कि:

💡 आत्मविश्वास में वृद्धि

  • जब छात्र दूसरों को सिखाते हैं, तो उनके अंदर आत्मविश्वास की भावना विकसित होती है। वे अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करके उसे और बेहतर समझते हैं।

💡 सहयोग और टीमवर्क

  • इस विधि के माध्यम से छात्रों में कोलैबोरेशन की भावना विकसित होती है। वे अपने साथियों के साथ मिलकर काम करते हैं और आपसी विचार-विमर्श से नए पर्सपेक्टिव गेन करते हैं। ये दोनों एजुकेशनल और प्रोफेशनल सेटिंग्स में जरूरी होते हैं।

💡 बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स

  • पीयर-टू-पीयर लर्निंग छात्रों के संवाद कौशल को बेहतर बनाता है। जब वे अपने विचारों को स्पष्ट रूप से दूसरे को समझाते हैं, तो उनकी सोच और बोलने की क्षमता में सुधार होता है।

💡क्रिएटिविटी और थिंकिंग एबिलिटी

  • यह विधि बच्चों को सोचने और समस्याओं का हल निकालने में मदद करती है। वे डिफरेंट व्यूपॉइंट्स से चीजों को समझने की कोशिश करते हैं, जिससे उनकी क्रिएटिविटी बढ़ती है।

💡 मजबूत सामाजिक संबंध

  • इस प्रक्रिया से बच्चों के बीच दोस्ती और रिश्ते मजबूत होते हैं। वे एक-दूसरे के साथ अधिक सहज होते हैं, जिससे सामाजिक संबंधों में सुधार होता है।

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How to Foster Peer Learning in the Digital Classroom - MagicBox™ Blog

👩‍🏫 पीयर-टू-पीयर लर्निंग के टाइप

📚 पीयर मेंटरिंग (Peer Mentoring)

  • पीयर मेंटरिंग में एक एक्सपेरिएंस्ड पार्टनर, कम अनुभव वाले साथी को मार्गदर्शन और समर्थन देता है।
  • यह ट्रेडिशनल मेंटरिंग से अलग होता है, क्योंकि इसमें दोनों पार्टनर्स के बीच समानता होती है और वे एक-दूसरे से सीखते हैं।

📚 पीयर-आधारित शिक्षा (Peer-Based Education)

  • यह तब होता है जब विद्यार्थी, छोटे समूहों में, शिक्षक और विद्यार्थी दोनों का रोल निभाते हैं।
  • इसमें वे एक-दूसरे से विभिन्न समस्याओं का हल ढूंढ़ते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।

📚 सहयोगी सीखने के समूह (Collaborative Learning Groups)

  • इसमें विद्यार्थी एक साथ मिलकर किसी परियोजना या कार्य को पूरा करने के लिए काम करते हैं।
  • यह समूह एप्रोच बेस्ड आइडियाज का आदान-प्रदान करता है और बात-चीत को बेहतर बनाता है।
  • कार्यस्थल पर भी यह समस्या समाधान, ब्रेनस्टॉर्मिंग या सहयोगी परियोजनाओं पर केंद्रित हो सकता है।

📚 शिक्षा में पीयर-टू-पीयर लर्निंग

शैक्षिक सेटिंग्स में, पीयर-टू-पीयर लर्निंग बेहद प्रभावी साबित हुई है। जो विद्यार्थी पीयर मेंटरिंग या पीयर-आधारित शिक्षा में भाग लेते हैं, वे अधिक अच्छा प्रदर्शन करते हैं क्योंकि वे अपनी समझ को और गहरा करते हैं। छात्रों को चर्चा में भाग लेने, संचार कौशल सुधारने और सवाल पूछने में आसानी होती है जब वे एक साथी से सीखते हैं।

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🏆 बिजनेस में पीयर-टू-पीयर लर्निंग

बिजनेस में, पीयर मेंटरिंग और पीयर-आधारित शिक्षा को कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में तेजी से शामिल किया जा रहा है। इन मेथड्स से कर्मचारियों को अपनी विशेषज्ञता साझा करने, नए कौशल सीखने और एक-दूसरे को वैल्युएबल फीडबैक देने का अवसर मिलता है। वर्कप्लेस पर पीयर-टू-पीयर लर्निंग सहयोग, ज्ञान साझा करने और टीम प्रदर्शन में सुधार करने में मदद करती है।

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📝 पीयर-टू-पीयर लर्निंग के इफेक्टिव स्टेप्स

यहां कुछ जरूरी कदम हैं जिन्हें बच्चों को पीयर-टू-पीयर लर्निंग के दौरान अपनाना चाहिए:

🏆 एक्टिव पार्टिसिपेशन 

  • बच्चों को कक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और अपने साथियों के साथ चर्चा में शामिल होना चाहिए।
  • वे केवल सुनने के बजाय दूसरों से सवाल करें और उनकी राय पर विचार करें।

🏆 सहानुभूति और समर्थन

  • बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि उन्हें हमेशा एक-दूसरे के प्रति सिम्पैथेटिक और सप्पोर्टीव एप्रोच से काम करना चाहिए। 
  • यह जरूरी है कि वे एक-दूसरे की मदद करें और एक सकारात्मक वातावरण बनाए रखें।

🏆 समस्याओं का हल निकालना

  • उन्हें यह सिखाया जाए कि वे केवल जानकारी देने के बजाय समस्याओं का हल निकालने में एक-दूसरे की मदद करें।
  • इससे उनकी सोच और विश्लेषण क्षमता में सुधार होगा।

🏆 समय प्रबंधन

  • पीयर-टू-पीयर लर्निंग के समय सभी को समय प्रबंधन की कला सिखानी चाहिए।
  • यह सुनिश्चित करेगा कि वे अपनी समयसीमा के भीतर काम कर सकें और दूसरों के साथ मिलकर अच्छे परिणाम ले सकें।

🏆 फीडबैक

  • बच्चों को नियमित रूप से फीडबैक देनी चाहिए।
  • यह उन्हें यह समझने में मदद करता है कि वे क्या सही कर रहे हैं और कहां सुधार की जरूरत है।
  • पॉजिटिव और क्रिएटिव फीडबैक से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में तेजी आती है।

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🎯 पीयर-टू-पीयर लर्निंग आजकल स्कूलों, कॉलेजों, और कार्यस्थलों पर तेजी से अपनाया जा रहा है। इसे न केवल जानकारी में ग्रोथ होती है, बल्कि यह टीमवर्क और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

लोग अपनी समस्याओं को एक साथ हल करते हैं और नए विचारों को साझा करते हैं, जिससे एक मजेदार और कोआपरेटिव एनवायरनमेंट बनता है।

यह तरीका सीखने को अधिक दिलचस्प और उपयोगी बनाता है। इसे लागू करने के लिए बच्चों को जिम्मेदारी देना, मार्गदर्शन करना और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना जरूरी है।

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