सीएम के गृह जिले में 37.50% शिक्षकों के पद खाली, स्कूल शिक्षा मंत्री के गृह जिले में 500 शिक्षकों की जरूरत

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Rahul Sharma
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सीएम के गृह जिले में 37.50% शिक्षकों के पद खाली, स्कूल शिक्षा मंत्री के गृह जिले में 500 शिक्षकों की जरूरत

BHOPAL. मध्यप्रदेश में 1 लाख 54 हजार 64 स्कूलों में 5 लाख 79 हजार 424 टीचर्स के पद हैं। 26 हजार नए शिक्षकों की भर्ती हुई है। इसके बावजूद स्कूलों में अभी भी 60 हजार से ज्यादा शिक्षकों की जरूरत है। इनमें 54% ग्रामीण क्षेत्रों के है। बावजूद इसके सरकार 50 प्रतिशत पदों पर भी भर्ती नहीं कर रही है। जिसके कारण युवा आंदोलन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की ही बात करें तो यहां 37.50 फीसदी शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं। सीहोर में शिक्षकों के कुल पद 9543 है, इनमें से 5964 पदों पर शिक्षक नियुक्त है, शेष रह गए 3579 पद खाली है। वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार के गृह जिले शाजापुर में शिक्षकों के 500 पद खाली है। जबकि 4 हजार पदों पर शिक्षक तैनात है। यह तो सिर्फ सीएम और विभागीय मंत्री के गृह जिले की स्थिति है, प्रदेशभर की बात करे तो शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं। 





8307 स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे





मध्यप्रदेश के स्कूलों में पिछले डेढ़ साल में 26 हजार नए शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इसके बाद भी करीब 8307 ऐसे स्कूल हैं, जहां आज अभी भी सिंगल टीचर ही है। सिंगल टीचर के भरोसे ही उस स्कूल की सभी क्लास की जिम्मेदारी है।सबसे ज्यादा खराब स्थिति ग्रामीण स्कूलों की है। 8307 स्कूलों में से 7725 स्कूल ग्रामीण इलाकों के ही हैं। पिछले साल तक सिंगल टीचर स्कूलों के मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार हमसे बेहतर स्थिति में थे। 





7 साल बाद ली परीक्षा, 5 साल में भी भर्ती नहीं हो सकी पूरी





प्रदेश में 2011 में शिक्षकों की भर्ती की गई थी। इसके बाद 2018 में नए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। अक्टूबर 2021 में शिक्षकों को नियुक्ति को पहली सूची जारी की गई। 5 साल बीत गए, लेकिन अभी भी भर्ती प्रक्रिया चल ही रही है। कछुआ चाल से चल रही इस प्रक्रिया के कारण कई पात्र अभ्यर्थी ओवरऐज तक हो चुके हैं। पात्रता परीक्षा के तहत चयनित हुए अलग-अलग कैटेगरी के 6000 से ज्यादा शिक्षकों को अभी भी नियुक्ति का इंतजार है। 





बिन शिक्षक स्कूलों के हाल





प्रदेश के 16 जिलों में पांचवी क्लास में एक भी स्टूडेंट्स ए प्लस ग्रेड हासिल नहीं कर सका। इनमें ग्वालियर दतिया, श्योपुर, भिंड, मुरैना, अशोकनगर, खरगोन, विदिशा, शिवपुरी, गुना अलीराजपुर नि उज्जैन, आगर मालवा, रतलाम और टीकमगढ़ शामिल है। राजधानी भोपाल में पांचवीं में पिछले साल 10 हजार 546 स्टूडेंट्स परीक्षा में शामिल हुए थे। इनमें से सिर्फ 12 स्टूडेंट्स 85 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लाए। आठवीं में शामिल हुए 10 हजार 291 स्टूडेंट्स में से सिर्फ 54 स्टूडेंट्स से ए प्लस ग्रेड हासिल कर पाए।





सरकार पदवृद्धि कर भर्ती करने को तैयार नहीं  





नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के रंजीत किसानवंशी ने कहा कि हजारों पद खाली पड़े हैं लेकिन सरकार पद वृद्धि कर भर्ती करने के लिए तैयार नहीं है। जब विद्यालयों में गुरू ही नहीं होंगे तो हम विश्वगुरू कैसे बनेंगे? मध्यप्रदेश में कई स्कूल ऐसी है जहां एक भी शिक्षक नहीं है। कई स्कूल ऐसी है जहां 3 से 4 कक्षाओं को एक ही शिक्षक पढ़ा रहा है। इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि 51 हजार पदों पर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की जाए। 





9 मई को भोपाल में जुटेंगे युवा





प्राथमिक शिक्षक यानी वर्ग—3 के अभ्यर्थी मंगल सिंह ने कहा कि 9 मई को प्रदेशभर से पात्र अभ्यर्थी भोपाल पहुंचेंगे और लोक शिक्षक संचालनालय के साथ ही आदिमजाति कल्याण विभाग को ज्ञापन देंगे। हमारी मांग है कि 12 साल बाद भर्ती की जा रही है, इसलिए कम से कम 51 हजार पदों पर भर्ती हो, क्योंकि 2011 के समय ही 24 हजार पद खाली थे। इसके बाद हजारों शिक्षक रिटायर भी हुए। बावजूद इसके इतने कम पदों पर भर्ती का कोई मतलब नहीं रह जाता है।



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