सीएम के गृह जिले में तो डिजिटल क्लास पर राजधानी भोपाल में ठीक से बैठने तक की जगह नहीं, चोरी की बिजली से चल रहे स्कूल के पंखे!

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Rahul Sharma
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सीएम के गृह जिले में तो डिजिटल क्लास पर राजधानी भोपाल में ठीक से बैठने तक की जगह नहीं, चोरी की बिजली से चल रहे स्कूल के पंखे!

BHOPAL. प्रदेश में 20 जून से नया सत्र शुरू हो गया है। हालांकि गर्मी को देखते हुए कक्षा नर्सरी से पांचवी तक के स्कूल 1 जुलाई से खुलेंगे, लेकिन 6वी से 12वी तक की कक्षाएं 20 जून से शुरू हो गई है। इसी के साथ प्रदेश के सीएम राइज स्कूलों को भी पूरा 1 साल हो चुका है। द सूत्र की टीमों ने स्कूल खुलने के साथ ही सीएम राइज स्कूलों की ग्राउंड रिपोर्ट की। आपको जानकर हैरानी होगी कि सीएम के गृह जिले सीहोर में तो सीएम राइज स्कूल की व्यवस्था ठीक है, लेकिन राजधानी भोपाल में ही सीएम राइज स्कूल में स्टूडेंट की बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। एक स्कूल में तो चोरी की बिजली से स्कूल के पंखे चलाए जा रहे हैं। 



सीहोर के स्कूल में डिजिटल क्लास



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सीहोर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का गृह जिला है। यहां भी सीएम राइज स्कूलों के नए भवन बनना है, लेकिन वर्तमान में जिस भवन में स्कूल संचालित हो रहा है, वहां तमाम सुविधाएं मौजूद है। टीचर्स डिजिटल क्लास रूम में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। स्टूडेंट के बैठने के लिए बेंच है, पीने के लिए साफ पानी और साफ सुथरा परिसर। 



बर्रई स्कूल में बैठने तक की जगह नहीं



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अब हम आपको दूसरी तस्वीर दिखाते हैं। राजधानी भोपाल का बर्रई स्कूल। यह स्कूल भी सीएम राइज स्कूल है, लेकिन दूर से देखने में किसी तबेले से कम नहीं लगता। छोटे—छोटे कमरों में स्कूल का पुराना फर्नीचर तक इसलिए नहीं रखा गया है, क्योंकि फर्नीचर ज्यादा जगह ले लेता और ऐसे में जितनी जगह है वह भी कम पड़ जाती। अब आलम यह है कि यहां स्टूडेंट नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर है। 



निर्माण के कारण गड़बड़ाई व्यवस्था, टीचर्स की भी होगी कमी



सीएम राइज स्कूलों के लिए नए भवन का निर्माण होना है, इसके लिए कई जगहों पर पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर ही नया निर्माण शुरू किया जा रहा है। शासन की ओर से पहले से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से पूरा सिस्टम लड़खड़ा गया है। भोपाल के बर्रई और करोंद के सीएम राइज स्कूल इसी अव्यवस्था से गुजर रहे हैं। करोंद की पुरानी बिल्डिंग को तोड़ दिया गया है सिर्फ एक भवन ही बचा है, जहां स्कूल संचालित किया जाएगा। वहीं बर्रई स्कूल को तो पास के ही बीडीए के आफीस में शिफ्ट किया गया है। इन दोनो स्कूलों में बैठने की पर्याप्त जगह नहीं होने से अब दो शिफ्ट में स्कूल संचालित होगा। इससे कुछ शिक्षकों की कमी भी होगी। पहले एक शिफ्ट में स्कूल चलने से शिक्षकों की व्यवस्था उस हिसाब से थी, लेकिन दो शिफ्ट में स्कूल होने से दिक्कतें आएंगी। 



बर्रई के स्कूल में चोरी की बिजली



बर्रई का स्कूल इस पूरे सत्र बीडीए के एक अस्थायी आफीस में ही संचालित होगा। मध्याह्न भोजन के बाद जो बर्तन धोए जा रहे हैं, जगह बेहद कम होने की वजह से उसका पानी क्लास रूम और उसके सामने जमा हो रहा है। टीन की चादर होने से गर्मी इतनी है कि स्टूडेंट घर से हाथ से चलाने वाले पंखे ला रहे है। पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, टीचर हो या स्टूडेंट घर से ही पीने का पानी लाना पड़ रहा है। आलम यह है कि सीधे तार डालकर बिजली ली गई है, बीडीए से अभी कोई रेंट एग्रीमेंट नहीं होने से स्कूल ने मीटर कनेक्शन नहीं लिया है। मतलब साफ है स्कूल के पंखे चोरी की बिजली से चल रहे हैं। कक्षा 10वीं के स्टूडेंट विवेकानंद डेहरिया ने बताया कि जगह बेहद कम है, खेल सामग्री भी अभी नहीं आई है और पानी की भी दिक्कते हैं।



करोंद के सीएम राइज पर निगम का अतिक्रमण



भोपाल के एक सीएम राइज स्कूल में तो नगर निगम ने ही कब्जा कर रखा है। सीएम राइज स्कूल करोंद में एक ओर नगर निगम की अंत्योदय रसोई चल रही है तो दूसरी ओर वार्ड कार्यालय संचालित हो रहा है। इसी शिकायत भी जिला शिक्षा अधिकारी को की गई, लेकिन 1 साल होने के बाद भी यह अतिक्रमण नहीं हट सका। जब इस संबंध में स्कूल प्राचार्य से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया। 



रायसेन में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं



रायसेन के सीएम राइस स्कूल पाटनदेव में पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं है। यहां पीने के पानी के नाम पर टूटी हुई नल की टोटीया और गंदगी की भरमार है। वहीं कंस्ट्रक्शन साइट पर गहरे गहरे गड्ढे होने से स्टूडेंट को संकरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ रहा है।



कब घूमेंगे बसों के पहिए



प्रदेश में पिछले साल 275 सीएम राइज स्कूल बडे धूमधाम से शुरू किए गए थे। सीएम राइज स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट के लिए फ्री बस सेवा भी दी जाना है, पर 1 साल बाद भी यह सेवा शुरू नहीं हो पाई है। इस सत्र भी शुरू होगी या नहीं इसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं है। दरअसल लोक शिक्षण संचालनालय की कड़ी शर्तों के कारण एजेंसी इसमें रूचि नहीं ले रही है। दो बार स्कूलों ने बच्चों को लाने ले जाने के लिए रोडमैप तैयार कर लिया है, लेकिन स्टूडेंट को घरों से लाने ले जाने के लिए इन बसों के पहिए कब घूमेंगे इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। बच्चे फिलहाल अपनी व्यवस्थाओं से ही स्कूल आ रहे हैं। 



9वी से 12वी तक के स्टूडेंट की यूनिफार्म के लिए नया पेंच



सीएम राइज स्कूलों में बीते साल स्टूडेंट को यूनिफार्म नहीं मिल पाई थी, इस साल भी सत्र शुरू हो गया है, लेकिन स्टूडेंट को यूनिफार्म कब तक मिल सकेगी, इसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं है। हालांकि स्टूडेंट की ड्रेस के लिए नाप जरूर ले लिए गए हैं। नियमानुसार 8वी तक के स्टूडेंट को शासन की ओर से फ्री में यूनिफार्म मिलेगी, लेकिन 9वी से 12वी तक के स्टूडेंट को यह यूनिफार्म अपने खर्चे पर लेनी होगी। नाम न छापने की शर्त पर एक टीचर ने बताया कि विभाग की ओर से दबाव बनाया जा रहा है कि 9वी से 12वी के ऐसे स्टूडेंट जो अभी यूनिफार्म का पैसा जमा नहीं कर पा रहे हैं उनकी राशि स्कूल अपने फंड से जमा कर दे, जब स्टूडेंट से वह राशि वापस मिल जाए तब उसे वह स्कूल फंड में वापस जमा कर दें, पर दिक्कत यह है कि स्कूलों के पास इतना फंड है ही नहीं कि वह इतनी बड़ी संख्या में राशि जमा कर सके। बता दें कि ब्यॉज स्टूडेंट की यूनिफार्म 1030 रूपए और गर्ल्स स्टूडेंट की यूनिफार्म 1500 रूपए में आ रही है। 



(इनपुट:— भोपाल से अजय छाबरिया, रायसेन से पवन सिलावट और सीहोर से शशांक दीवान)


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