वाह रे शिक्षा व्यवस्था! मप्र में कक्षा 5वीं में संस्कृ​त विषय का पेपर नहीं दिया फिर भी कर दिया फेल, कई स्कूलों का रिजल्ट जीरो

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Rahul Sharma
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वाह रे शिक्षा व्यवस्था! मप्र में कक्षा 5वीं में संस्कृ​त विषय का पेपर नहीं दिया फिर भी कर दिया फेल, कई स्कूलों का रिजल्ट जीरो

अजय छाबरिया, BHOPAL. मध्यप्रदेश में 13 साल बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल यानी एमपी बोर्ड ने कक्षा 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित की। प्राइवेट स्कूल ने बीच सत्र में इस तरह के निर्णय का विरोध भी किया, पर विभाग की ओर से दावा किया गया कि उनकी तैयारी पूरी है और बोर्ड परीक्षा आयोजित भी हो गई, लेकिन अब रिजल्ट आने के बाद कई आरोप लग रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ जब बड़ी संख्या में हर जिले में कई स्कूलों के रिजल्ट जीरो आए हैं। जबकि यह व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। कक्षा 5वीं में संस्कृत विषय तीसरी भाषा के रूप में होता है इसको छात्र अपनी इच्छा अनुसार ले सकता है। जबकि इस मामले में छात्र ने संस्कृत विषय न चुना न ही परीक्षा दी फिर भी ऑनलाइन रिजल्ट की अंकसूची में छात्र को फेल बताया गया है। इस तरह प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन शिक्षा विभाग की पूरी प्रणाली पर अब सवाल उठा रहे हैं।  



यह है जिलों में रिजल्ट की स्थिति




  • हरदा : हरदा जिले में अकेले हरदा विकासखण्ड की ही बात करें तो यहां 8 से 10 स्कूलों का रिजल्ट जीरो आया है। सांई आस्था इंटरनेशनल, इंटर पब्लिक स्कूल, वनस्थली एकेडमी, सेंट जॉन्स स्कूल, लाल बहादुर शास्त्री स्कूल में कक्षा 8वीं का रिजल्ट जीरो है। इसी तरह कई स्कूलों का 5वीं कक्षा का रिजल्ट जीरो है। 


  • उज्जैन : उज्जैन में 52 स्कूलों का कक्षा 8 में रिजल्ट जीरो आया है। इन स्कूलों के 449 स्टूडेंट ने परीक्षा दी थी और सब के सब फेल हो गए। इसी तरह 78 स्कूलों का कक्षा 5वीं का रिजल्ट जीरो आया है। इन स्कूलों के 614 बच्चों ने परीक्षा दी और सभी फेल हो गए हैं।  

  • नर्मदापुरम : जिले के माखननगर ब्लॉक के आरी ग्राम में बीजेपी के मंडल अध्यक्ष मनीष चतुर्वेदी का एक्सीलेंस कॉन्वेंट स्कूल है। इसका रिजल्ट भी जीरो आया है। वहीं माखननगर के सेंटमेरी स्कूल का रिजल्ट भी जीरो आया है। नर्मदापुरम जिले के और भी विकासखण्डों की सही स्थिति है। 



  • पहली बार ऑनलाइन रिजल्ट और उसी दिन वेबसाइट हुई क्रेश 



    2007-08 से कक्षा 5वी और 8वी बोर्ड परीक्षा बंद कर दी गई थी। उसके बाद बोर्ड पैटर्न के आधार पर इस साल परीक्षा आयोजित हुई। पहली बार कक्षा 5वीं का रिजल्ट 15 मई को आनलाइन घोषित किया गया, लेकिन उसी दिन वेबसाइट क्रेश हो गई। देर शाम शिक्षा विभाग ने सूचना दी की छात्र अपना रिजल्ट स्कूल से प्राप्त कर सकते हैं। 



    प्राइवेट स्कूलों ने पहले ही किया था बोर्ड परीक्षा का विरोध



    शैक्षणिक सत्र शुरू होने के काफी बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने 5वीं और 8वीं कक्षा बोर्ड पैटर्न पर आयोजित कराने का आदेश जारी कर दिया, जिसका उस समय कई प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने विरोध भी किया था। सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स यानी सोपास के उज्जैन जिलाध्यक्ष मनीष भारद्वाज ने कहा कि हमने उस समय भी राज्य शिक्षा केंद्र का कहा था कि अगले सत्र से बोर्ड परीक्षा लागू करे ताकि सभी को तैयारी का समय मिल जाए, लेकिन इन्होंने एक न सुनी। नतीजा सबके सामने है, इतिहास में पहली बार कई स्कूलों के रिजल्ट जीरो आए हैं।   



    राज्य शिक्षा केंद्र हाईकोर्ट में हार गया था केस



    माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से संबंधित कुछ प्राइवेट स्कूलों ने राज्य शिक्षा केंद्र के बोर्ड परीक्षा के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र संचालक धनराजू एस ने आदेश जारी किया कि हाईकोर्ट का आर्डर केवल याचिकाकर्ता के स्कूलों पर लागू होगा और वह भी केवल एक सत्र के लिए होगा। जिसके कारण याचिकाकर्ता स्कूलों के अलावा पूरे मध्यप्रदेश में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही परीक्षा आयोजित हुई। 



    शिक्षा मंत्री का जिला 39वें नंबर पर



    स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के गृहजिले शाजापुर का रिजल्ट ही संतोषजनक नहीं रहा। कक्षा 5वीं और 8वीं के रिजल्ट में शाजापुर 39वे नंबर पर है। वहीं कक्षा 5वी के रिजल्ट में राजधानी भोपाल 38वें नंबर पर और कक्षा 8वीं के रिजल्ट में भोपाल 35वें पायदान पर है। नरसिंहपुर जिला कक्षा 5वीं के रिजल्ट में टॉप पर है। वहीं कक्षा 8वीं के रिजल्ट में डिंडोरी जिला पहले नंबर पर है। टीकमगढ़ जिला 5वीं और 8वीं के रिजल्ट में 52वें पायदान पर है।



    हजारों बच्चों का भविष्य लगा दांव पर



    राज्य शिक्षा केंद्र यानी आरएसके की जिद की वजह से हजारों बच्चों का भविष्य दाव पर लग गया है। कक्षा 5वीं में 11 लाख 79 हजार 883 और कक्षा 8वीं में 10 लाख 66 हजार 405 स्टूडेंट ने इस बार बोर्ड परीक्षा दी। बड़ी संख्या में बच्चे फेल हुए हैं। सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स यानी सोपास के संस्थापक दीपक राजपूत ने कहा कि बच्चे भारी तनाव में है। डर है कहीं कोई गलत कदम न उठा ले। समय है सबको धीरज बधाने का। हमारी शासन से मांग है कि वह जल्द से जल्द रिजल्ट को सुधारे। 



    इन बच्चों का आखिर कसूर क्या? 



    13 साल पहले जब बोर्ड परीक्षा बंद की गई थी तब तर्क यह था कि बच्चों पर परीक्षा को लेकर मानसिक तनाव न बढ़े, लेकिन अब आरएसके की जिद ऐसी कि वह हर हाल में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर आमादा है। जो बच्चे फेल हुए हैं उन्हें दोबारा पेपर देने होंगे और यदि उसके बाद वह एक भी पेपर में फेल हो जाते हैं तो उन्हें फेल ही माना जाएगा, यानी एक साल बर्बाद। गौर करने वाली बात यह है कि 10वीं बोर्ड में बेस्ट 5 जैसी सुविधा है, मतलब 6 विषयों में से 5 में पास होने पर पास माना जाता है। रूक जाना नहीं योजना के अंतर्गत बच्चे को एक और मौका दिया जाता है, लेकिन 5वीं-8वीं बोर्ड परीक्षा देने वाले बच्चों को ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई जो समझ से परे हैं। 



    आरएसके डायरेक्टर ने प्राइवेट स्कूल के सिर ही फोड़ा ठीकरा



    राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस ने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के उस आरोप को सिरे से नकार दिया। इसमें प्राइवेट स्कूल ने आरोप लगाए थे कि बीच सत्र में जल्दबाजी में आरएसके बोर्ड पेटर्न पर परीक्षा कराने का फैसला लिया, ये उसी का नतीजा है। राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस ने प्राइवेट स्कूलों के सिर ही ठीकरा फोड़ दिया। धनराजू एस ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों ने अर्ध वार्षिक परीक्षा और प्रोजेक्ट के अंक समय पर अपडेट नहीं किए होंगे इसलिए भी रिजल्ट में दिक्कत आई। उन्होंने कहा कि साफ्टवेयर की वजह से यदि गड़बड़ी हुई है, जिसकी संभावना कम है, फिर भी यदि कहीं कोई दिक्कत है तो उसे सही किया जाएगा। हम इसकी डिटेल रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, इसके बाद एक्शन लिया जाएगा।


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