चीते हमारी जिम्मेदारी पर कूनो से कहीं और शिफ्ट नहीं होंगे: मध्य प्रदेश में चीतों की मौतों पर बोले भूपेंद्र यादव

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Ruchi Verma
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चीते हमारी जिम्मेदारी पर कूनो से कहीं और शिफ्ट नहीं होंगे: मध्य प्रदेश में चीतों की मौतों पर बोले भूपेंद्र यादव

BHOPAL: मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 9 चीतों की मौतों के बाद अब केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बयान दिया है। दरअसल, ग्वालियर में भाजपा की संभागीय बैठक में शामिल होने आये केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हमारे फॉरेस्ट ऑफिसर और यंग वेटेरीनेरियन बहुत मेहनत से काम कर रहे हैं। अभी यह चीता ट्रांसलोकेशन का पहला साल है और प्रोजेक्ट पर यहाँ के मौसम से जो प्रभाव पड़ा है उसपर लगातार कार्य चल रहा है।





'हमें हर चीते की चिंता, नामीबिया और साउथ एशिया के एक्सपर्ट से बातचीत जारी'





भूपेंद्र यादव ने प्रोजेक्ट की संवेदनशीलता स्वीकारते हुए कहा कि हर चीते के लिए हमारी जिम्मेदारी है। और इसीलिए नामीबिया और साउथ एशिया के एक्सपर्ट से हमारी लगातार जानकारी शेयर कर रहें हैं। हम कूनो के चीता प्रोजेक्ट में पूरी गंभीरता से लगे हुए हैं। हर चीते की हमें चिंता है और हम चाहते हैं कि यह प्रोजेक्ट सफल हो। चीता प्रोजेक्ट एक लंबा प्रोजेक्ट है जिसमें हर वर्ष चीते आने हैं। इस प्रोजेक्ट की संवेदनशीलता को हम स्वीकार करते हैं।





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'कूनो से शिफ्ट नहीं होंगे चीते'





चीतों को कूनो से शिफ्ट करने के किसी भी तरह के प्लान को ख़ारिज करते हुए वन मंत्री ने फिर कहा कि चीतों की लोकेशन शिफ्ट करने का कोई प्लान नहीं चल रहा।





'मानसून के इंसेक्ट्स के कारण 2 चीतों की मौत'





उन्होंने कुछ चीतों की मौत पर कहा कि मानसून के इंसेक्ट्स के कारण चीतों को संक्रमण हुआ और उसकी वजह से चीतों की 2 चीतों की मौत भी हुई है। संक्रमण से मौतों की इस जानकारी को हमने साउथ एशिया और नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ शेयर किया है। और हम कूनो में चीतों के बेहतर प्रबंधन पर काम कर रहे हैं।





गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के कूनो अभ्यारण में लगातार चीतों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी तक कूनो अभ्यारण में 9 चीतों की मौत हो चुकी है। अभी हाल में ही जिन 2 चीजों की मौत हुई है, उनकी मौत की वजह कॉलर आईडी बनाई गई, क्योंकि कॉलर आईडी की वजह से गहरा घाव हो गया और इस कारण उनकी मौत हो गई है। 2 अगस्त को मादा चीता ‘धात्री’ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी ये कन्फर्म हुआ  कि फ्लाईलार्वा संक्रमण से मादा चीता धात्री की मौत हुई। यही कारण है कि अब लगातार इस प्रोजेक्ट पर वन विभाग के अधिकारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वन विभाग अधिकारियों पर आरोप लग रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट पर लगातार उनके द्वारा लापरवाही बरती जा रही है।





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कब-कब हुई चीतों की मौत?





26 मार्च को किडनी इन्फेक्शन से साशा की मौत





23 अप्रैल को नर चीता उदय की हार्ट अटैक से गई जान





9 मई को मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान लगी चोटों और इंटरनल ऑर्गन्स कमज़ोर होने से मौत





23 मई को ज्वाला के एक शावक की मौत





25 मई को ज्वाला के दो और शावकों की मौत





11 जुलाई को नर चीता तेजस की जान गई





14 जुलाई को मेल चीता सूरज ने दम तोड़ा





2 अगस्त को मादा चीता धात्री की इन्फेक्शन से मौत



MP Congress CHEETAH CONSERVATION FUND NTCA MADHYA PRADESH GOVERNMANT CHEETAH DEATHS IN KUNO NATIONAL PARK THE CHEETAH PROJECT केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव