नितिन चौबे, RAIPUR. 2018 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए जारी अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों की कर्ज माफी से लेकर बिजली का बिल आधा करने समेत कई वादे किए थे। इसके अलावा उसने सत्ता में आने पर रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष जोर देने का वादा भी किया था। 2018 में कांग्रेस ने दावा किया था कि उसका चुनावी घोषणा पत्र जनता के बीच पहुंचकर और 1 लाख लोगों से पूछकर तैयार किया गया है।
कांग्रेस का 'जन घोषणा पत्र'
कांग्रेस ने अपने उस मेनिफेस्टो को जन घोषणा पत्र का नाम दिया था। इस घोषणा पत्र के मुताबिक जहां तक कर्ज माफी और किसानों को समर्थन मूल्य देने की बात करें, कांग्रेस उसमें सफल रही, लेकिन शराबबंदी, शहरी विकास अधोसंरचना और कानून व्यवस्था पिछड़ती नजर आती है। वहीं बात करें अगर रोजगार और व्यापार के लिए आम जनता के लिए रास्ते सुगम किए गए। कुल मिलाकर कांग्रेस के 5 साल जिसमें अगर अगर कोरोना काल को भी सम्मिलित किया जाए तो कांग्रेस को 10 में से 8 नंबर देना गलत नहीं होगा।
आखिरी 5 सालों में पिछड़ती नजर आई बीजेपी
बीजेपी ने 'नवा छत्तीसगढ़ संकल्प पत्र 2018' के नाम से जारी इस मेनिफेस्टो में बीजेपी ने मेधावी छात्राओं को मुफ्त स्कूटी देने और 9वीं कक्षा में दाखिला लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं को निशुल्क साइकिल देने का वादा किया था। इसके अलावा बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों के लिए पक्के घर बनवाने, 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लघु और सीमांत किसानों और भूमिहीन खेत मजदूरों को हर महीने 1 हजार रुपए पेंशन देने, किसानों को 2 लाख नए पंप कनेक्शन देने जैसे वादे किए थे। उसके पहले 15 सालों में बीजेपी के छत्तीसगढ़ में अधोसंरचना के विकास को नकारा नहीं जा सकता। दूरस्थ अंचलों और घुर नक्सली क्षेत्रों में किए गए सड़कों के निर्माण कार्य और नवा रायपुर सहित एक्सप्रेस वे, केनाल लिंकिंग रोड बीजेपी के कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि है, लेकिन वहीं नक्सली मामलों में और व्यापारिक माहौल बनाने में खासकर की अंतिम 5 वर्षों में बीजेपी पिछड़ती नजर आई। इसको देखते हुए बीजेपी के 15 वर्षों के कार्यकाल को 10 में से 6 नंबर देना गलत नहीं कहा जा सकता।