गंगेश द्विवेदी/RAIPUR. छत्तीसगढ़ में धान की नाव पर सवार होकर चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए राजनीतिक पार्टियों में होड़ सी मच गई है। धान के समर्थन मूल्य से लेकर प्रति एकड़ धान की मात्रा बढ़ाई जा रही है, लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है किसानों की कर्जमाफी उसके लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकती है। इसकी वजह यह है कि कर्जमाफी के जरिए कांग्रेस किसानों के जेब में इस साल जो रकम डालने जा रही है, उसके मुकाबले बीजेपी का दो साल का धान बोनस हो या एमएसपी को लेकर सोशल मीडिया में जारी किए जा रहे आंकड़े कहीं नहीं लगते। द सूत्र ने इस मामले की तह तक जाकर पड़ताल की तो पाया है कि किसानों की कर्जमाफी के बहाने कांग्रेस ने किसानों के बीच जो खामोश संदेश दिया है, उसे समझने में बीजेपी सहित दूसरी पार्टियां उसकी काट तलाश में जुटी हुई।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में बीजेपी-कांग्रेस पिछड़े
धान के समर्थन मूल्य सहित वनोपज के समर्थन मूल्य की सियासत में बीजेपी पूरी तरह फेल हो गई है। कांग्रेस ने पिछली बार दो बड़ी घोषणाएं की थी जिससे 2018 में सरकार बनाने के लिए उसे छप्परफाड़ बहुमत मिला था। आते ही सरकार ने किसानों की कर्ज माफी की और पांच साल तक 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया। केंद्र ने इसका पुरजोर विरोध किया और कांग्रेस से सवाल किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा करते वक्त क्या उन्होंने केंद्र से पूछा था, इसके बाद कांग्रेस ने घोषणा की एमएसपी के बाद वे अंतर की राशि देंगे। पांच साल तक एमएसपी के बाद किसानों को अंतर की राशि दी। इस बार बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने केंद्रीय नेताओं पर दबाव बनाकर धान उन्हें कांग्रेस से बेहतर एमएसपी देने के लिए मना लिया। और अपने घोषणापत्र में किसानों के लिए धान की एमएसपी 3100 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया। इसी तरह कांग्रेस की ओर से घोषित 20 एकड़ प्रति क्विंटल धान खरीदने की घोषणा के काट के रूप में 21 क्विंटल प्रति एकड़ की घोषणा की गई। साथ ही जोश-खरोश के दो साल का रुका हुआ धान का बोनस सरकार बनने के 15 दिनों के भीतर देने की घोषणा भी कर दी। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में इनका तोड़ निकालते हुए। धान की एमएसपी 3200 घोषित कर दी। कांग्रेस और बीजेपी की इस घोषणा से एक कदम आगे बढ़कर आम आदमी पार्टी ने प्रति क्विंटल 3600 रुपए एमएसपी की घोषणा कर दी। यानि बीजेपी और कांग्रेस दोनों आप से इस मामले में पिछड़ गई।
धान बोनस के मुकाबले फायदेमंद है कर्जमाफी
2013 चुनाव में बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 2100 एमएसपी, धान का बोनस देने की घोषणा की थी। सरकार बनी तो केवल एक साल बोनस देकर हाथ खींच लिया। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनी तो प्रति एकड़ केवल 10 क्विंटल धान खरीदी का आदेश जारी हुआ। इस आदेश के आने के बाद किसानों का असंतोष भड़क गया। किसान लगातार स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2500 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी की मांग कर रहे थे। वह बढ़ी नहीं उल्टे धान खरीदी में कटौती कर दी गई। तत्कालीन सीएम डॉ. रमन ने केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री से मुलाकात कर इसे प्रति एकड़ 15 क्विंटल तक बढ़वाया। इसके बाद भी पेंच बोनस पर फंसा रहा। किसान हर साल धान बोनस की मांग करते रहे लेकिन उन्हें नहीं मिला। इस मुद्दे को कांग्रेस ने पकड़ लिया और अपने घोषणापत्र में धान की एमएसपी 2500 करने के साथ कर्जमाफी का दांव खेलकर बीजेपी को 15 सीटों पर समेट दिया था।
बोनस पर भारी कर्ज माफी
बीजेपी ने अपने शासन काल के 2 साल का बोनस किसानों को सरकार बनने के बाद देने की घोषणा की है, लेकिन किसान या जो किसानी का गणित समझते हैं उन्हें पता है कि कर्जमाफी के मुकाबले ये 2 माह का बोनस किसानों के लिए बहुत ज्यादा घाटे का सौदा है। बीजेपी ने अपने अंतिम कार्यकाल में 2 साल का धान बोनस देने की घोषणा की थी। एक साल का बोनस 300 रुपए प्रति क्विंटल है। 2 साल का यानि 600 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस मिलेगा जो 15 क्विंटल प्रति एकड़ के औसत से 9 हजार रुपए और बीजेपी की घोषणापत्र के मुताबिक 21क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से 12 हजार 600 रुपए प्रति एकड़ होता है। जबकि कर्जमाफी का मतलब है बीज, खाद और दवा के अलावा लेबर कॉस्ट जोड़कर लिया गया अल्प कालिक ऋण। सिंचिंत जमीन के लिए करीब 23 हजार 500 औसतन बीज का और 14 हजार प्रति एकड़ खाद के लिए कर्ज मिलता है। इसमें यानि 37 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ खाद-बीज का प्रति एकड़ कर्ज हुआ। इसमें दवा और लेबर कॉस्ट का कर्ज जोड़ दें तो यह राशि 40 हजार से अधिक प्रति एकड़ हो जाता है। यह गणना 2 फसली जमीन के लिए है। एक फसली जमीन के लिए इसकी लागत आधी की जाए तो न्यूनतम 20 हजार से अधिक प्रति एकड़ होता है। यह कर्ज धान की फसल बोने से पहले मार्कफेड की समितियों के माध्यम से जून माह में लिया जाता है। किसान यह कर्ज एक लाख से लेकर 5 लाख तक सामान्य लेते हैं। वहीं बड़े किसानों के मामले में एक करोड़ या ज्यादा तक पहुंच जाता है। 4 माह बाद जब किसान सोसायटियों में धान बेचने जाता है तो कर्ज की यह राशि बगैर ब्याज काटे माइनस करके बाकी बची राशि किसानो के खाते में अंतरित की जाती है। लेकिन कर्ज माफी का सीधा मतलब है कि धान की पूरी फसल की लागत का फ्री होना। यानी भुगतान के वक्त सीधे 3200 रुपए प्रति क्विंटल किसानों के खाते में आएगा।
10 हजार 100 रुपए पहले साल किसानों के जेब
बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता केदार गुप्ता ने बताया कि कांग्रेस सरकार 3200 रुपए प्रति क्विंटल का एमएसपी घोषित कर किसानों को झांसा दे रही है। कांग्रेस ने 20 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदने की घोषणा की है, इस हिसाब से प्रति एकड़ किसानों के खाते में 64 हजार रुपए जाएगा। हमारे घोषणापत्र में हमने 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल फसल की कीमत 65100 होती है। इस तरह बीजेपी को किसानों के जेब में कांग्रेस के मुकाबले 1100 रुपए प्रति एकड़ अधिक देने का वादा कर रही है। इसमें 600 रुपए प्रति क्विंटल बोनस का जोड़ दें तो 9 हजार प्रति एकड़ अलग से मिलेगा। यानी 10 हजार100 रुपए पहले साल किसानों के जेब में जाएगा।
आंकड़ों का भ्रमजाल फैलाती है बीजेपी
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि बीजेपी केवल आंकड़ों का भ्रमजाल बुनती है। कांग्रेस ने पिछली बार किसानों की कर्ज माफी की थी जिसमें करीब 8 हजार करोड़ रुपए किसानों के खातों में सीधे गए थे। इस बार केवल कर्जमाफी में हम किसानों को 10 हजार करोड़ रुपए का भ्रुगतान करेंगे। वहीं कुल 25 हजार करोड़ रुपए प्रदेश के 26 लाख से अधिक किसानों के खाते में जाने वाले हैं।