चक्रेश @ BHOPAL
चुनाव सिर पर हैं और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बड़े मंचों पर चुप्पी चर्चा का विषय बनी हुई है। पहले तो ग्वालियर में प्रियंका गांधी की सभा के दौरान और अब हाल ही में शाजापुर में राहुल गांधी की सभा में भी दिग्विजय सिंह ने मंच से भाषण नहीं देकर कई तरह की चर्चाओं को बल दे दिया है। हमेशा ही दिग्विजय सिंह के भाषणों और बयानों से मुद्दे निकालकर हंगामा करने वाली बीजेपी को भी इससे कोई ऐसा मुद्दा नहीं मिल पा रहा है, जिसे लेकर BJP हमलावर हो सके। आखिर राजा साहब इतने चुप- चुप से क्यों हैं?
जनाक्रोश यात्रा में भी हुई थी घेरने की कोशिश
इससे पहले कांग्रेस की जनाक्रोश यात्रा के पोस्टरों पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम और फोटो नहीं होने को लेकर बीजेपी मुद्दा बन चुकी है। उस दौरान भाजपा का कहना था कि क्या कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को किनारे कर चुकी है, जो उनसे छोटे कद के नेताओं को तो पोस्टरों पर जगह दी गई है। जबकि दिग्विजय सिंह पूरी तरह से पोस्टरों से नदारद हैं। BJP के इस आरोप का खंडन करते हुए दिग्विजय सिंह ने साफ किया था कि वह मुख्यमंत्री रहते हुए भी कभी पोस्टर प्रचार में भरोसा नहीं करते थे। इसलिए जनाक्रोश यात्रा के पोस्टरों पर उनके नाम और फोटो ना होने का कोई दूसरा मतलब नहीं है। यह सब खुद उनकी मर्जी से ही हो रहा है।
मिस्टर बंटाधार की छवि भुनाती है BJP
प्रतिद्वंद्वी नेताओं के बयानों में मीन मेख निकालने का काम तो सभी राजनीतिक पार्टियों करती ही हैं, मगर दिग्विजय सिंह के बयान भाजपा नेताओं के निशाने पर होते हैं। उनके हर बयान पर बीजेपी उन्हें “मिस्टर बंटाधार” कहते हुए हमला करती है और उनके कार्यकाल को याद दिलाती है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लेकर मिस्टर बंटाधार की छवि बनाने की कोशिश भाजपा हमेशा से ही करती आई है।
आखिर क्यों चुप हैं राजा साहब
बहरहाल कांग्रेस के हर बड़े इवेंट और आयोजन में सक्रिय दिखाई देने वाले 76 वर्षीय दिग्विजय सिंह विधानसभा चुनाव के ठीक पहले होने वाली राजनीतिक सभाओं में मंच पर तो नजर आते हैं, लेकिन वे किसी तरह का भाषण नहीं देते। हाल ही में ग्वालियर में जब प्रियंका गांधी की राजनीतिक सभा हुई उस दौरान भी उनका नाम मंच से पुकारा गया, लेकिन उन्होंने भाषण देने से इनकार कर दिया। इसी तरह शाजापुर जिले के कालापीपल में आयोजित राहुल गांधी की सभा के दौरान भी वे मंच पर तो उपस्थित रहे, लेकिन भाषण नहीं दिया। ऐसे समय में जब छोटे से छोटा नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सामने भाषण देने का मौका नहीं खोना चाहता दिग्विजय सिंह की यह रहस्यमयी चुप्पी कई चर्चाओं को बल देती है।
क्या पार्टी ने मना किया है?
जब दिग्विजय सिंह की इस चुप्पी का जवाब तलाशने की कोशिश की गई तो दो जवाब सामने आ रहे हैं। पहला तो यह कि खुद दिग्विजय सिंह ने ही फैसला किया है कि वह बीजेपी को किसी भी तरह का मौका नहीं देना चाहिए, जिससे कि भाजपा उनके किसी बयान को चुनाव में मुद्दा बना सके। इसीलिए दिग्विजय सिंह पार्टी के सभी कार्यक्रमों में सक्रिय तो नजर आते हैं वह मीडिया से बात भी करते हैं, लेकिन मंच से भाषण नहीं देते। दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि उनको खुद पार्टी नहीं सार्वजनिक मंच से भाषण देने से रोका है, ताकि किसी भी तरह का फाउल प्ले ना हो सके। क्योंकि इस चुनाव में कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व के साथ जनता के बीच जा रही है जबकि दिग्विजय सिंह जब तब बीजेपी के हिंदुत्व, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों पर खुले तौर पर हमलावर हो जाते हैं।