राजीव तिवारी@JAIPUR
राजस्थान समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है। जिस वजह से सियासी पारा सातवें आसमान पर है। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अमित शाह, जेपी नड्डा, बीएल संतोष जैसे नेता ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। मोदी ने कमल के चिन्ह पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर राज्य बीजेपी नेताओं में एकता का प्रयास किया है, लेकिन इसमें वे कितने सफल होंगे इसका पता उम्मीदवारों की पहली सूची आने पर ही चलेगा।
बीजेपी नेताओं के बीच कैसा माहौल है ?
फिलहाल तो वसुंधरा, गजेंद्र सिंह, मेघवाल, राजेंद्र राठौड़ में तलवारें खिंची हुई हैं। किरोड़ी मीणा फिलहाल खामोश हैं। संतोष, प्रह्लाद जोशी के एकजुटता के प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं। बीजेपी स्थानीय मुद्दों से ज्यादा मोदी की छवि, लोकप्रियता और राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्भर दिखती है। गहलोत की दनादन लोकप्रिय घोषणाओं ने प्रधानमंत्री को भी सकते में डाल रखा है। उन्हें नहीं सूझ रहा कि जनसभाओं में क्या कहें। लाल डायरी के अंधेरे में तीर चल रहे हैं।
कांग्रेस में अंदर ही अंदर सुलग रही चिंगारी
कांग्रेस भले ही आज ऊपरी तौर पर बीजेपी से आगे जरूर दिख रही है, लेकिन पार्टी में अंदर ही अंदर चिंगारी सुलग रही है। खड़गे और राहुल यह भली-भांति जान रहे हैं। यही वजह है कि चुनाव से 2 महीने पहले प्रत्याशियों की घोषणा का दावा धरा रह गया। केंद्रीय चयन समिति कई बैठकों के बाद भी असहाय है। गहलोत मेवाड़, मारवाड़ और शेखावाटी में RLP से तालमेल के इच्छुक दिखाई देते हैं, तो पायलट बेनीवाल से गठबंधन के खिलाफ हैं। कांग्रेस में भी पहली सूची के बाद घमासान बढ़ने की आशंका है।
राजस्थान में एंटी इन्कंबेंसी नहीं
गहलोत सरकार के पक्ष में अच्छी बात ये है कि एंटी इन्कंबेंसी नहीं दिखाई दे रही। मतदाता नई योजनाओं और घोषणाओं के नफा-नुकसान के आकलन में लगा है। बीजेपी हो या कांग्रेस आग दोनों ओर सुलग रही है। आलाकमान असमंजस में है। इंतजार तारीखों की घोषणा का है। फिलहाल तो कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है। कांग्रेस को 10 में से 8 और बीजेपी को 6 नंबर मिल रहे हैं।