RAIPUR. छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार का दिन खास रहा। दूसरे चरण के दौरान विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जिन प्रत्याशियों ने फॉर्म भरा था, उनके लिए नाम वापस लेने का आखिरी दिन रहा। दोपहर तीन बजे के बाद अब 70 सीटों से करीब 1 हजार प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन इन सबके बीच, कई सीटों पर बागियों ने दावेदारी बरकरार रखी है। उनके इस कदम से बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों को परेशानी नें डाल दिया है।
बागी और नाराज नेताओं ने बढ़ाई टेंशन
विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के प्रत्याशियों के नाम तय हो चुके हैं। नाम वापसी के बाद 70 सीटों पर एक हजार से ज्यादा प्रत्याशी अब मैदान में हैं। अब संग्राम इन्हीं के बीच होना है, लेकिन इन सबके बीच वो चंद नाम बेहद खास हैं, जिनकी पहचान फिलहाल बागी के तौर पर की जा रही है। 30 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल करने के बाद तीन दिन का समय नाम वापसी के लिए दिया गया था, इस दौरान दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी ने अपने बागी और नाराज नेताओं को मनाने की तमाम कोशिश की। इसमें कई जगह सफलता मिली, तो कई जगह नाकामी हाथ लगी।
नहीं माने अजीत कुकरेजा, अब निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव
रायपुर उत्तर ऐसी ही सीट बन गई है, यहां से कांग्रेस के बागी अजीत कुकरेजा नाम वापसी को तैयार नहीं हुए, और अब निर्दलीय प्रत्याशी के तौर कांग्रेस को टक्कर देने जा रहे हैं, लेकिन रायपुर दक्षिण सीट से कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के पक्ष में करीब डेढ़ दर्जन निर्दलीयों को नाम वापस लेने के लिए तैयार कर लिया। बाकायदा प्रेस कांफ्रेस में ये प्रत्याशी मीडिया के सामने भी आए।
कांग्रेस के बागी JCCJ के टिकट से लड़ रहे चुनाव
बिल्हा से कांग्रेस के बागी सागर सिंह अब जेसीसीजे के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पामगढ़ सीट पर कांग्रेस से बागी गोरेलाल बर्मन भी जेसीसीजे की ओर से ताल ठोंक रहे हैं। मरवाही से भी कांग्रेस के बागी गुलाब सिंह राज चुनाव मैदान में हैं। तीन दिनों तक हर तरह से मान मनौवल करने वाली पार्टी अब अपने बागी नेता के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रही हैं।
बीजेपी से नाराज चांदनी भारद्वाज भी तैयार नहीं हुई
प्रदेश की कई दूसरी विधानसभा सीटों पर भी बागी ऐसे ही टेंशन दे रहे हैं, मस्तुरी में बीजेपी की बागी चांदनी भारद्वाज नाम वापसी के लिए तैयार नहीं हुई। अब वो मैदान में हैं। नाम वापसी के अंतिम दिन बीतने के साथ ही अब रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और सरगुजा संभाग में चुनावी संग्राम भी तेज हो जाएगा, लेकिन बड़ी पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों के सामने असल चुनौती उनकी ही पार्टी से खड़े बागी प्रत्याशी ही होंगे, जो निश्चित रूप से परिणाम को इधर से उधर करने की कोशिश करेंगे।