सर्राफा बाजार ज्वेलर्स कर रहे चुनाव का बहिष्कार, 30 करोड़ रुपयों के आभूषणों की जब्ती

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The Sootr
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सर्राफा बाजार ज्वेलर्स कर रहे चुनाव का बहिष्कार, 30 करोड़ रुपयों के आभूषणों की जब्ती

RATLAM. प्रामाणिकता से व्यवसाय के मामले में देश-विदेश में ख्यात रतलाम का सर्राफा बाजार ईन दिनों चुनाव के बहिष्कार को लेकर चर्चाओं का केंद्र बन हुआ है। जानकारी के मुताबिक रतलाम के छोटे बड़े कई व्यवसायियों के लगभग 30 करोड़ रुपयों के आभूषणों की विगत दिनों जब्ती की कार्रवाई हुई थी। आभूषणों के ये पार्सल रतलाम और राजस्थान की पुलिस ने अलग-अलग स्थानों से सर्च के दौरान आंगड़ियों से बरामद किए थे।

चुनाव का हो रहा बहिष्कार

त्योहारी और लग्नसरा के इस समय में आचार संहिता के नाम पर हुई इस कार्रवाई से व्यवसायी नाराज है। व्यवसाइयों का कहना है कि सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें ज़ब्त माल की सुपुर्दगी नहीं दी जा रही है। साथ ही अलग-अलग शासकीय एजेंसियों का हवाला देकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं होने से नाराज सर्राफा व्यवसाइयों ने चुनाव के बहिष्कार का बड़ा निर्णय लिया है। बता दें कि व्यवसाइयों का यह निर्णय अब जोरदार चर्चाओं में आ गया है।

सामुहिक बैठक में लिया गया निर्णय

रतलाम के चाँदनीचौक क्षेत्र में स्थित बाजार में छोटे-बड़े सभी प्रतिष्ठान काले पर्दो पर लिखित संदेश से मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा और अपील कर रहे हैं। रतलाम सर्राफा असोसिएशन पुलिस की कार्रवाई को ज्यादती करार दे रही है। असोसिएशन के अध्यक्ष झमक भरगट का कहना है कि यह सामुहिक बैठक में लिया गया निर्णय है। अभी त्योहार के कारण चुनाव के बहिष्कार आंदोलन के इस निर्णय का दायरा सिर्फ रतलाम और सराफा बाजार तक सीमित है। साथ ही अन्य व्यवसायीक संगठनों का समर्थन भी हमें मिल रहा है। लेकिन इससे चुनाव के अंतिम चरण मतदान के पूर्व आंदोलन का स्वरूप और क्षेत्र दोनों बदलेगा। हम इसे प्रदेश स्तर तक ले जाएंगे। बता दें कि रतलाम को स्वर्ण नगरी के नाम से जाना जाता है और यहां का व्यवसायी वर्ग अमूमन विरोध या दलीय राजनीति से परे रहता ह। लेकिन यह पहला अवसर है कि व्यवसायी वर्ग इस तरह उत्तेजित हो गया है।

युवा व्यवसाइयों में गहरे आक्रोश

माना जाता है कि सर्राफा व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल गत दिनों केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर से मिला था। इसके पूर्व स्थानीय स्तर पर भी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत करा चुका था। सर्राफा असोसिएशन से जुड़े सूत्रों के अनुसार मसले का निराकरण करने की जगह बीजेपी के स्थानीय बड़े नेता ने व्यवसाइयों के तौर तरीकों पर प्रश्नचिन्ह लगाने शुरू कर दिए। इससे व्यवसायी पहले तो हतप्रभ रह गए। चुनावी समय और युवा व्यवसाइयों में इसके कारण गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया। इस तरह कटु वचनों के कारण आंदोलन का कटु निर्णय न सिर्फ रतलाम अपितु देश भर के आभुषण मार्केट की सुर्खियों में है। व्यवसायिक संगठनों की एकजुटता के लिए चर्चित रतलाम में सर्राफा असोसिएशन का यह आंदोलन त्यौहारों के बाद क्या नया मोड़ लेगा? यह देखना रोचक रहेगा।

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