JABALPUR. बाबा बागेश्वर धाम सरकार का दरबार लगा हुआ है। रोज पर्ची निकल रही है। जनता सवाल पूछ रही है बाबा अपने देसी तरीके से जवाब दे रहे हैं। जनता को पनागर की भीड़ में पता चल रहा है कि उसका भविष्य आगे कैसा रहेगा। जयकारे लगवाते हुए बाबा अपने असली यजमान सुशील तिवारी (इंदु) की तारीफ भी कर देते हैं। सारा काम इतनी बारीकी से हो रहा है कि सामान्य बुद्धि से दिखाई नहीं देता। चुनाव साल में बड़े धार्मिक आयोजन के मायने तो बहुत हैं, लेकिन जो चर्चा हो रही है वो कुछ और ही कह रही है। दूसरी बड़ी चर्चा कांग्रेस नेता राहुल गांधी मामले की है। सजा सही हुई या गलत, आगे क्या होगा? हाई कोर्ट में वकीलों के बीच भी इस मसले को लेकर कानूनी बहस हो रही है। फैसले की कानूनी हैसियत पर यहां कोई उल्लेख नहीं कर रहा हूं, लेकिन यह बताना जरूरी है कि इस मसले में आगे कांग्रेस जो करने वाली है उसका जबलपुर से संबंध है। कांग्रेस के वकीलों कि फेहरिस्त में राज्य सभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा भी शामिल हैं। जो राहुल गांधी के बचाव की रणनीति बनाने में काम कर रहे हैं।
छिंदवाड़ा पर बीजेपी की विशेष निगाह
महाकौशल में पिछले चुनाव में बढ़त बना चुकी कांग्रेस के सामने अभी चुनौती यही है की बढ़त बरकरार रहे। उसके लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने धीरे-धीरे दौरे तो शुरू कर दिए हैं। अभी हाल ही में नरसिंहपुर में एक बड़ी सभा करके कांग्रेस सरकार आने पर महिलाओं और युवाओं को दी जाने वाली सुविधाओं की घोषणा की। बीजेपी की तरफ से गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभालते हुए कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में सभा करके सीधी चोट की है। ये पहला मौका है कि बीजेपी ने सूबे में कमलनाथ को उनके ही गढ़ में घेरने की कोशिश करते हुए विकास का पांसा फेंका है। जबकि महाकौशल के हर जिले के लोग जानते हैं कि कमलनाथ के चलते छिंदवाड़ा ने तेजी से विकास किया। ये जिला जबलपुर को टक्कर देने की स्थिति में खड़ा हो गया। कमलनाथ ये बात जानते हैं अगर सूबे में सरकार वापस करना है तो अपने इलाके महाकौशल को मजबूत रखना होगा। जितनी बढ़त अभी है उससे भी आगे जाना होगा और ये काम आसान नहीं है।
कांग्रेस में अकेल कमलनाथ, बीजेपी के पास कई नेता
दूसरी तरफ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ उनका मजबूत संगठन तो है, लेकिन सामने कमलनाथ जैसा मजबूत प्रतिद्वंदी भी है। जो कांग्रेस के जनाधार के अलावा अपने निजी जनाधार भी रखता है और सियासी तजुर्बे में भी बीस ही बैठता है। इन दोनों में एक अंतर और है जो सियासत में बड़ा मायने रखता है वो ये महाकौशल के सभी जिलों में कांग्रेस का ऐसा कोई नेता नहीं है जो कमलनाथ से ज्यादा समझ, पावर, अनुभव, दबाव, और दावं पेंच में आगे हो। वहीं संगठन के अनुशासन को छोड़ दें तो ऐसे कई नेता है जो राजनीती में बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा से ज्यादा अनुभवी, जनाधार, क्षेत्र में पकड़, पार्टी में चल फिर और सियासी समझ में आगे हैं। फिर चाहे वो पूर्व अध्यक्ष और सांसद राकेश सिंह, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते हों या पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन हों| इन धाकड़ नेताओं को एबीवीपी जैसे नहीं हांका जा सकता।
धर्म के सहारे सियासी नैया होगी पार
अब बात इन दिनों इस इलाके के सबसे बड़े इवेंट की। बाबा बागेश्वर के दरबार की धूम जबलपुर ही नहीं पूरे महाकौशल में है। हर दिन दो से तीन लाख लोगों की आमद से पनागर में चहल पहल है। कार्यक्रम धार्मिक है, लेकिन इसी बहाने जनता से संवाद और जुड़ाव भी चल रहा है। लोग आ रहे हैं, कलश यात्रा में जुटी क्षेत्रीय महिलाओं ने कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बना दिया। कार्यक्रम का ताना बाना ऐसा बना गया कि समाज के हर वर्ग कि भागीदारी हो जाये। 151 यजमानों का चयन करते समय पनागर विधान सभा क्षेत्र कि हर पंचायत और वार्ड से एक जोड़ा लिया गया। यजमान बनने कि पात्रता ये रही कि पंचायत तय करे कि उसकी पंचायत से कौन पात्र है। साधारण परिवार और आर्थिक हैसियत का व्यक्ति ही यजमान बनाया गया। जाति, ऊंच नीच का भेद मिटा कर मौका दिया गया। मतलब सोशल के साथ फाइनेंशियल इजीनियरिंग भी की गई। हर दिन एक लाख भक्तों को भोजन का पुख्ता इंतजाम के साथ प्रवचन तो सुनवाए जा रहे हैं और पर्ची निकलवाने का मौका भी है। ये आयोजन धार्मिक जरूर है, लेकिन सियासी नफा भी देगा। अभी किसी तरह का दावा करना जल्दबाजी हो सकती है, फिर भी इन सारी बातों पर नजर रखते हुए ही आगे का अनुमान लगाया जायेगा।