RAIPUR. पिछले पखवाड़े भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ की 21 विधानसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की एका-एक घोषणा कर चुनावी माहौल में सरगर्मी बढ़ा दी। सरगर्मी के लिए पहला मुद्दा तो यही था कि भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा क्यों किया, और दूसरा यह कि क्या इस घोषणा से उसे कोई अतिरिक्त राजनीतिक लाभ मिल सकता है या इससे कोई नकारात्मक वातावरण भी तैयार हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने जिन सीटों के लिए अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं वे पार्टी के लिए पिछले चुनावों में कठिन रही हैं। इन प्रत्याशियों में केवल एक वह है जिसे पिछले चुनाव में टिकट मिली थी और शेष अपनी सीटों के लिए नए-सरीखे हैं। यह बात अलग है कि इनमें से कुछ पुराने राजनेता हैं, जैसे- सांसद विजय बघेल, जिन्हें पाटन से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरूद्ध उतारा गया है या पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री रामविचार नेताम जिन्हें रामानुजगंज से बृहस्पति सिंह के विरूद्ध उतारा गया है। एक उल्लेखनीय बात यह है कि लगभग सभी प्रत्याशी पंचायत या नगर पालिका संस्थाओं के पदाधिकारी रह चुके हैं। दूसरी बड़ी बात यह है कि इन 21 प्रत्याशियों में पांच महिलाएं हैं। इस सूची से संकेत मिलता है कि पुराने जिताऊ भाजपा नेताओं को फिर से टिकट मिल सकती है और कुछ अन्य महिलाओं को मैदान में उतारा जा सकता है।
बीजेपी की पहल के साथ आंतरिक विरोध
यह जरूर है कि भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशियों की घोषणा कर पहल अपने हाथ में ली है लेकिन इसके साथ ही उसे कुछ स्थानों पर आंतरिक विरोध का भारी सामना करना पड़ रहा है। भाजपा नेतृत्व यह सोच रहा है कि इस विरोध को सुलझाया जा सकता है और समय रहते ये प्रत्याशी अपने लिए लाभकारी स्थिति बना सकते हैं। विद्रोही कार्यकर्ताओं और नेताओं को अनुशासित किया जाएगा। इस बीच एक और आई.ए.एस. अधिकारी नीलकंठ टेकाम ने नौकरी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। यह उम्मीद है कि भाजपा हाई कमान शीघ्र ही कुछ और प्रत्याशियों की घोषणा कर सकता है। किंतु अपेक्षा के विपरीत, भाजपा नेता रमन सिंह ने यह घोषणा कर दी है कि टेकाम को केशकाल से टिकट दी जा सकती है। कुछ अन्य स्थानों पर भी कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपा के सदस्य बन रहें हैं। बहरहाल, इस आवागमन से छत्तीसगढ़ के चुनाव के परिणाम पर कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस में 90 सीटों के लिए 900 से ज्यादा उम्मीदवार
इधर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को ब्लाक स्तर पर आवेदन करने के लिए कहा है। ब्लाक स्तर से जिला स्तर पर पांच नामों का पैनल आएगा। जिला स्तर से नामों की अनुशंसा राज्य स्तर पर आएगी और फिर कांग्रेस हाई कमान टिकटों की घोषणा करेगा। इस प्रक्रिया में 90 सीटों के लिए 900 से अधिक आवेदन दाखिल किए गए हैं। केवल पांच सीटों पर एक-एक ही प्रत्याशी आवेदक हैं। कांग्रेस ने घोषणा की है कि 06 सितम्बर तक उसके प्रत्याशियों की पहली सूची आ सकती है। इस बीच मुख्यमंत्री बघेल संभाग स्तर पर युवा सम्मेलनों में धड़ा-धड़ मनमोहक घोषणाएं कर रहे हैं। कांग्रेस के घोषणा-पत्र की भी तैयारी चल रही है जिसमें कुछ लोक लुभावन घोषणाएं शामिल की जा सकती हैं जैसे- कम दर पर गैस सिलेण्डर का प्रदाय, ज्यादा दर पर गोबर की खरीद, धान पर और अधिक बोनस देने, छात्रों के लिए अपने स्कूल कॉलेज जाने के लिए मुफ्त बस का सफर, सरकारी कर्मचारियों के लिए कुछ और सुविधाएं।
धान की एमएसपी और पुरानी पेंशन परेशानी का सबब
भारतीय जनता पार्टी अपने घोषणा-पत्र के लिए जनता से सुझाव मांग रही है। बताया जाता है कि उसे 50 हजार से अधिक सुझाव मिले हैं। परंतु मुख्य समस्या धान के लिए 2600 रू. से अधिक खरीद मूल्य को लेकर बनी हुई है, जो छत्तीसगढ़ में चुनाव का एक प्रमुख मुद्दा है। इसी तरह कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का बिंदु परेशानी का सबब है। इस सबके बीच भाजपा छत्तीसगढ़ सरकार के तथा-कथित भ्रष्टाचार को लेकर हर दिन किसी न किसी आंदोलन की घोषणा करती है। ई.डी., आई.टी. और अन्य केन्द्रीय एजेंसियों के द्वारा नियमित रूप से छत्तीसगढ़ में अधिकारियों, व्यवसायियों और अन्य के निवास और कार्यालयों पर छापे डाले जा रहे हैं। इस सिलसिले में इस सप्ताह, मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और मुख्यमंत्री के दो विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारियों तथा एक कारोबारी के घर पर छापा डाला गया। मुख्यमंत्री ने इस छापे को लेकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर गहरा कटाक्ष किया है। यह चर्चा है कि चुनाव की घोषणा होने तक कुछ और अधिकारियों को छापों का सामना करना पड़ सकता है।
भ्रष्टाचार बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं
भाजपा ने इन छापों को अत्यंत गंभीरता से लेकर, मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर कठोर आक्षेप किये। भाजपा यह मानती है कि इन छापों से कांग्रेस सरकार की छवि धूमिल हो रही है और उसका लाभ भाजपा को मिल सकता है। बहरहाल, कांग्रेस, जो विकास और छत्तीसगढ़िया जगार को केन्द्रीय विषय बनाकर चुनाव मैदान पर सामने हैं, यह मानती है कि ऐसे छापों से भाजपा को नुकसान होगा। यह बात जरूर है कि अब राष्ट्रीय परिदृश्य पर यह स्पष्ट हो चुका है कि भ्रष्टाचार बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं बन रहा है। अगर कहीं वह मुद्दा है तो वह पांच से सात प्रतिशत वोटरों को प्रभावित करता है।
चुनावी वादों के लिए पैसा कहां से आएगा
इसी दौरान भारत निर्वाचन आयोग ने एक बड़ी टीम के साथ रायपुर का दौरा किया और विभिन्न राजनीतिक दलों तथा समुदायों से चर्चा की। राजनीतिक दलों के आग्रह पर राज्य में मतदाता सूची के संशोधन की प्रक्रिया की अंतिम तारीख 11 सितम्बर तक बढ़ा दी गई है। इस चुनाव में 01 अक्टूबर, 2023 को 18 वर्ष पूर्ण करने वाले वोट दे सकेंगे। आयोग ने राजनीतिक दलों से कहा कि उन्हें अपने घोषणा पत्र में किये जाने वाले लोक लुभावन वादों के संबंध में यह बताना होगा कि उन वादों को पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा।
चुनावी परिदृश्य में अभी कांग्रेस को बीजेपी से बढ़त
आयोग ने राज्य के सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ अधिकारियों से सुदीर्घ विमर्श किया। बताया जाता है कि आयोग ने कुछ जिलाधिकारियों को बहुत फटकारा और संकेत दिया कि त्रुटिकर्ता अधिकारियों को हटाया जाएगा। आयोग ने विशेषकर शराब के परिवहन तथा अन्य अवैध परिवहन पर कठोरता से रोक लगाने के लिए कहा। आयोग की इस बैठक से राज्य के शासकीय अधिकारियों के मन में एक दहशत का भाव शायद पैदा हो सकता है। ये अधिकारी पहले से ही केन्द्र की अन्य एजेंसियों के छापों को लेकर शंका कुशंका में रहते हैं। कुल मिलाकर यह कि राज्य के अधिकारियों को बहुत ही सजगता और पारदर्शिता से अपना काम, विशेषकर चुनाव संबंधी काम, करना होगा। राज्य में अन्य दल अपनी छोटी ढपली पर धीमे राग बजाने में लगे हैं। अंत में हम पाते है कि दस बिन्दुओं के चुनावी-स्केल पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 5.50 और भाजपा 4.50 पर बनी हुई है।