शाह का इशारा दे गया कई सवालों के जवाब, कैप्टन कोई रहे राजस्थान में तो बल्लेबाज वसुंधरा ही

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Chakresh
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शाह का इशारा दे गया कई सवालों के जवाब, कैप्टन कोई रहे राजस्थान में तो बल्लेबाज वसुंधरा ही

JAIPUR. राजस्थान भाजपा के चुनावी चेहरे को लेकर भाजपा हालांकि अभी भी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह रही है, लेकिन गुरूवार को भरतपुर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और शुक्रवार को उदयपुर में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जनसभाओं में पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को जिस तरह महत्व दिया गया, उसने कुछ हद तक यह संकेत दे दिए हैं कि पार्टी घोषित भले ही ना करे, लेकिन पार्टी के चुनाव अभियान में वसुंधरा राजे अग्रणी भूमिका में रहेंगी।



शाह और नड्डा ने कुछ इस तरह दिए संकेत



उदयपुर की सभा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड मंच का संचालन कर रहे थे और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के भाषण के बाद जब राठौड़ ने सीधे अमित शाह का नाम पुकारा तो शाह ने पहले वसुंधरा राजे का भाषण कराने के लिए कहा और अमित शाह से पहले राजे को बोलने का मौका दिया गया। ऐसा ही कुछ गुरूवार को भरतपुर मंे भी हुआ था। वहां भी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के बाद पहले राजे का भाषण हुआ और इसके बाद नड्डा का उद्बोधन हुआ। जबकि आम तौर पर प्रदेश अध्यक्ष के बाद सीधे केन्द्रीय नेताओं का भाषण होता है। केन्द्रीय नेताओं की मौजूदगी में और उनसे ऐन पहले राजे का भाषण होना उन्हंें मिल रहे महत्व की ओर संकेत कर रहा है। पार्टी के अन्य नेताओ जैसे गजेन््रद ंिसंह शेखावत, सतीश पूनिया आदि के भाषण तो शाह के सभास्थल पर पहुंचने से पहले ही करा लिए गए थे।



शाह ने की राजे की तारीफ



अपने भाषण की शुरूआत में अमित शाह ने जहां अन्य नेताओं के सिर्फ नाम लिए, वहीं राजे का नाम लेने के साथ ही उन्होंने उनके पिछले कार्यकाल में किए गए कामों की तारीफ करते हुए कहा कि जिन्होंने राजस्थान के विकास में एक नई राह बनाने का काम किया है ऐसी श्रीमती वसुंधरा राजे। इसके बाद भाषण में भी उन्होंने दो-तीन बार राजे के कार्यकाल में हुए काम याद किए।



केन्द्रीय नेताओं के साथ ही पहुंची राजे



गुरूवार को भरतपुर हो या शुक्रवार को उदयपुर हो, दोनों ही जगह राजे केन्द्रीय नेताओं के साथ मंच पर पहुंची। भतरपुर में नड्डा हैलीपैड से उन्हें अपने साथ गाड़ी में लेकर सभास्थल पहुंचे, वहीं उदयपुर में शाह ने भी ऐसा ही किया। यहां भी राजे शाह के साथ ही सभास्थल पर पहुंची।



राजे ने भी दिए संकेत



इन दो प्रमुख जनसभाओं में मिले महत्व से राजे भी काफी खुश दिखाई दीं। भरतपुर में भी उन्होंने अपनी सरकार के समय हुए काम गिनाए और भरतपुर के लिए जो कुछ किया गया था, उसे अलग से गिनाया, वहीं उदयपुर में भी उन्होंने बताया कि उदयपुर के लिए उनकी सरकार के समय क्या काम हुए थे। इसके साथ ही उदयपुर में राजे ने अपने भाषण की शुरूआत उदयपुर सम्भाग के दिवंगत नेताओं को याद कर की और अंत में कार्यकर्ताओं को जीत का संकल्प दिलाते हुए यह चेताया भी कि समय बहुत कम है। संकल्प लेकर जुटना है। जीत का विश्वास लेकर चलना है लेकिन अति आत्मविश्वास में मत आना, क्योंकि घर बैठे गंगा नहीं आती है। उन्होंने कहा कि हमें अमित शाह को भरोसा दिलाना है कि भाजपा को प्रचंड जीत दिलाएंगे।



अब तक नहीं मिल रहा था ऐसा महत्व



पार्टी के दो बड़े केन्द्रीय नेताओं की जनसभाओं में जिस तरह का महत्व राजे को मिला है, वैसा अब तक नहीं मिल रहा था। हालांकि उनकी कुर्सी प्रधानमंत्री या अन्य केन्दीय नेताओं के पास ही लगाई जाती रही है, लेकिन जिस तरह के संकेत इन दो सभाओं में दिए गए, वे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पार्टी औपचारिक तौर पर भले ही मोदी सरकार के काम और कमल के निशान पर चुनाव लड़ने की बात कहे, लेकिन वसुंधरा राजे को चेहरा आगे रहेगा। अब इंतजार आठ जुलाई का रहेगा जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बीकानेर आएंगे। हालांकि वे एक एक्सप्रेस वे के लोकार्पण के सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आ रहे हैं, लेकिन यदि यहां राजनीतिक सभा भी होती है और राजे को ऐसा ही महत्व मिलता है तो स्थिति लगभग स्पष्ट हो जाएगी।



एक नजर इधर भी





  • 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही राजस्थान बीजेपी में किनारे कर दी गईं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजनीति का सूर्य एक बार फिर उदय होने लगा है। पार्टी के बैनर- पोस्टरों तक से गायब वसुंधरा फिर लौट आई हैं।




  • जून के दूसरे सप्ताह की शुरुआत में राजे को अचानक दिल्ली बुलाया गया। यह बैठक गोपनीय रही, लेकिन वीकेंड होते- होते राजे एकदम से सक्रिय हुईं और ऋषिकेश पहुंचकर साधु संतों से आशीर्वाद लेने लगीं।




  • द सूत्र ने तभी खुलासा कर दिया था कि राजे को दिल्ली से इशारा मिल गया है। राजस्थान में उनको सक्रिय होने के कह दिया गया है। और जून समाप्त होते- होते यह साबित भी हो गया।




  • गुरुवार के भरतपुर में बीजेपी से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और ठीक एक दिन बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली से द सूत्र की खबर सच साबित हो गई।





  • क्यों किनारे कर दी गईं थी वसुंधरा





    • अपने दबंग अंदाज के लिए चर्चित वसुंधरा राजे को मोदी लहर और  अपने काम के कारण पूरा यकीन था कि वे 2018 का विधानसभा चुनाव जीत ही जाएंगी। इसी कारण उन्होंने किसी की दखलअंदाजी को स्वीकार नहीं किया। यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्त में भी सर्वेसर्वा रहीं। इससे स्थानीय बीजेपी नेता और केंद्रीय नेतृत्व भी नाराज हो गया।




  • 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान यह चर्चा आम रही कि वसुंधरा राजे ने अमित शाह के भी दरकिनार करके टिकट वितरण और चुनाव प्रचार में इकतरफा निर्णय लिए, लेकिन उनकी पार्टी चुनाव हार गई और वसुंधरा मुख्यधारा की राजनीति से किनारे कर दी गईं।




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