बीजेपी का मैनेजमेंट ही दिला सकता है उसे सफलता

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Rajeev Khandelwal
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बीजेपी का मैनेजमेंट ही दिला सकता है उसे सफलता

BETUL. वर्ष 2023 में होने वाले मध्य-प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम का आकलन आरंभ किए हुए ढाई महीने व्यतीत हो चुके हैं। बीते इन पंद्रह दिनों में राजनीतिक पटल पर जितने भी प्रभावी बदलाव हुये है, आइये ! उन सबका का चुनावी परिणाम की दृष्टि से आकलन करते हैं। क्योंकि पिछले आकलन में बीते गुजरे दो महीनों का आकलन किया जा चुका है। 




नारायण से बीजेपी को कितना नुकसान ?



बीजेपी के विधायक नारायण त्रिपाठी का नये प्रदेश विंध्य प्रदेश के गठन के लिए एक ‘‘विंध्य जनता पार्टी’’ का गठन किया जाने से बीजेपी को कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है?  यह देखने की बात होगी या बीजेपी हमेशा की तरह अपने ऊपर आए संकटों को अंतिम समय तक मैनेज करने का प्रयास करती है, उसमें उसे कितनी सफलता मिलेगी? यह तो वक्त ही बताएगा। क्योंकि पिछले विधानसभा की विंध्य प्रदेश की कुल 30 सीटों में से 27 पर बीजेपी उम्मीदवारों की जीत हुई थी। इसका आकलन अलगे कुछ महीने इस पार्टी के गठन से संबंधित होने वाली सक्रियता पर निर्भर करेगा। एक और महत्वपूर्ण बात पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी कि अगले 6 महीने में 153 सीटों पर लगभग 500 धार्मिक सभाएं, प्रवचन, कथा कथावाचक बागेश्वर धाम सरकार, पंडित धीरेंद्र कृष्ण गर्ग (शास्त्री), बागेश्वर धाम, पंडोखर गांव स्थित पंडोखर धाम के महाराज गुरु चरण शर्मा, पंडोखर सरकार व पंडित प्रदीप मिश्रा उर्फ रघुराम, कुबरेश्वर धाम सीहोर की होगी। कौन-कौन आयोजक होगें व इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी कल्पना व आकलन भली भांति किया जा सकता है। 



बागेश्वर के सहारे बीजेपी!



यह भी चर्चा का विषय है कि बागेश्वर सरकार की को सेवाएं बीजेपी आगामी चुनाव में पूरी शिद्दत से लेने वाली है। उन्हें खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव लडाए जाने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही रही हैं। इससे बुंदेलखंड में बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री के प्रभाव का कुछ फायदा निश्चित रूप से बीजेपी को मिलेगा।



गोविंद सिंह के बयान से कांग्रेस को होगा नुकसान ?



भिंड में अंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रतिपक्ष के नेता गोविंद सिंह ने यह कहा कि हम अभी गंज रेलवे स्टेशन का नाम भोपाल की आदिवासी रानी कमलापति किए जाने पर उनका यह  बयान की रानी कमलापति को कोई नहीं जानता बीजेपी ढूंढ-ढूंढ कर नाम ला रही है। यह कितना कांग्रेस की संभावनाएं को धूमिल करेगा? यह भी देखने की बात होगी। 



शिवराज का अंबेडकर कार्ड कितना कारगार?



ग्वालियर में अंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंच क्रांति की घोषणा की है। मतलब शिक्षा क्रांति, रोजगार क्रांति, आवास क्रांति, जमीन क्रांति व सभी वर्गों के सम्मान की क्रांति। ये सब क्रांति कितने क्रांतिकारी कदम होगी?  धरातल में कितनी क्रांतिकारी तरीके से उतरेगी, लागू होगी?  उस पर भी शिवराज की आगामी विधानसभा चुनावी आशा टिकी हुई है। इसी के साथ शिवराज सिंह ने यह भी घोषणा की है कि राज्य सरकार बाबा साहब के पंच स्थल जन्मस्थली महू, दीक्षा भूमि नागपुर, मुंबई की इंदु मिल (जहां उन्होंने वकालत की),  लंदन का वह घर जहां रहकर डॉ. अंबेडकर ने कानून की शिक्षा ग्रहण की और दिल्ली के हलीपुर का वह घर जहां उन्होंने अंतिम सांस ली, पांच स्थल शामिल किए गए हैं। पंच तीर्थ इन सभी स्थानों के दर्शन मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल किये जायेंगे। प्रदेश का एक बड़ा वर्ग अंबेडकर वादी को इस प्रकार खुश कर उन्हें अपने ही पक्ष में कर आगामी चुनाव में बढ़त लेने का प्रयास शिवराज सिंह कर रहे है। 



कमलनाथ ने लगाई चुनावी वादों की झड़ी



कमलनाथ जो आगामी विधानसभा चुनाव के वचन पत्र को अंतिम रूप दे रहे,  उसमें कर्मचारियों के दिलों को जीतने के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाली व महिलाओं के वोट के लिए रियायती दर पर 500 रू. में सिलेंडर देने का वचन शामिल किया है। बीजेपी छोडकर कांग्रेस में जाने का काम अभी भी चालू है। बसपा की पूर्व विधायक शीला त्यागी ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।



बीजेपी में चरम पर असंतोष!



बीजेपी हाइकमांड कार्यकर्ताओं के असंतोष को कम करने के लिए प्रदेश में 14 प्रमुख नेताओं की  जिम्मेदारी दी है। परंतु अभी तक इसके कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिले हैं। अभी तो यह कार्यकर्ताओं के असंतोष का मामला है। परंतु चुनाव के लिए टिकट वितरण में टिकट करने वाले नेताओं के बीच असंतोष उत्पन्न होगा, उससे फिर भाजपा केसी निपटेगी। बडा प्रश्न है ? क्योंकि ऐसे एंटी इनकंबेंसी फेक्टर से निपटने के लिए लगभग 60-70 निवर्तमान विधायकों की टिकट कटने की संभावनाओं से असंतोष पैदा होना स्वभाविक ही होगा।



कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी को थोड़ी बढ़त



अंत में वर्तमान स्थिति में कांग्रेस प्रचारित प्रर्दशन के बिना बीजेपी पर एक अंक बढत लेते हुए दिख रही है। यह परसेप्शन राजनैतिक क्षेत्रों में व मीडिया में काम करने वालो के बीच बढ़ रहा है। तथापि इस परसेप्शन का प्रदर्शन मीडिया में जाकर परिलक्षित नहीं हों रहा है।


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