AMBIKAPUR. मध्य छत्तीसगढ़ में चुनाव पूर्व हो रहे सामाजिक ध्रुवीकरण और कांग्रेस, भाजपा के भीतर निरंतर बदल रहा समीकरण विधानसभा चुनाव के छह महीने पूर्व निरंतर आईपीएल के 20-20 के समान हालात को रोचक बनाए हुए है। कांग्रेस की भूपेश सरकार जहां लगातार घोषणाएं कर सत्ता से उम्मीद पाले लोगों तक पहुंच बनाने की कोशिश में है। वहीं भाजपा अब बेमेतरा कांड के बाद पूरी तरह आक्रामक होकर इसे चुनावी हथियार के रूप में पूरे प्रदेश में इस्तेमाल करने में जुट गई है।
13 जिलों के 38 सीटों पर उतार-चढ़ाव से बढ़ा संघर्ष
उत्तर सरगुजा के 13 जिलों के 38 सीटों पर बीते दो महीनों में लगातार उतार-चढ़ाव से भाजपा और कांग्रेस का संघर्ष और तेज तथा नजदीकी होने लगा है। अभी तक मुकाबले में बीते चुनाव में तीसरी ताकत की भूमिका निभाने वाली बसपा और जोगी कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने के बाद अपने किले से बाहर निकलने में सफल नहीं हो रही है। वहीं तेजी से घोषणा कर कांग्रेस के फ्रंट फुट पर खेलने की रणनीति अब बेमेतरा कांड के बाद रक्षात्मक होने लगी है। भाजपा तीन महीने पहले जहां संघर्ष में आने के लिए संघर्ष कर रही थी, उसे अब कांग्रेस के साथ सीधी लड़ाई का अवसर हाथ में आते देख उत्साह बढ़ने लगा है।
सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर कोई खास परिवर्तन नहीं
उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर अभी हालात में कोई खास परिवर्तन नहीं है। कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के रूख में हल्की नर्माहट के बावजूद भूपेश खेमे से अभी तक कोई विशेष उत्साहजनक रास्ता नहीं निकला है। ऊपरी तौर पर एक-दूसरे की तारीफ के बावजूद मैदानी स्तर में कड़वाहट पहले के समान ही बनी हुई है। वहीं मध्य छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग में कांग्रेस की अंर्तकलह पहले के समान ही बरकरार है, लेकिन मरवाही में विजय के बाद अब कोटा जैसी महत्वपूर्ण सीट भी हाथ में आने की उम्मीद लगा कांग्रेस भाजपा से बेलतरा, मुंगेली, मस्तुरी और बिल्हा के साथ लोरमी की सीट पर भी उम्मीद लगाने लगी है।
बसपा कैडर स्तर पर तेजी से चल रहा है अभियान
जांजगीर जिले में बसपा अभी भी अपने वोट बैंक को बिखरने से रोकने के लिए कैडर स्तर पर अभियान तेजी से चला रही है। पामगढ़, जैजैपुर के साथ अकलतरा की सीट पर भी खुद का वजूद बनाने में लगी हुई है। जोगी कांग्रेस के भविष्य को लेकर अभी भी उनके पारंपरिक मतदाता अनिश्चय की स्थिति में है तो भाजपा जोगी कांग्रेस से टूटने वाले मतों को एकजुट करने के लिए कांग्रेस के मुकाबले अभी भी काफी पीछे है। हालात यही रहे तो उत्तर मध्य के 38 सीटों में कांग्रेस भाजपा के बीच चल रहा मुकाबला रोचक और निर्णायक हो सकता है। भाजपा अगर जातीय ध्रुवीकरण बनाने में सफल रहती है तो उसे सरगुजा, बिलासपुर संभाग के साथ-साथ रायपुर, दुर्ग संभाग में भी उम्मीद के मुताबिक सफलता मिल सकती है। अभी तक कांग्रेस के मुकाबले काफी पीछे रहने वाली भाजपा सीधे मुकाबले में सत्ता के निकट पहुंचने का प्रयास कर सकती है।