कल से शारदीय नवरात्रि शुरु होने जा रहा है। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मध्य प्रदेश में इंदौर का मैंका मंदिर, जबलपुर का चामुंडा देवी मंदिर, भोपाल का बिजासन माता मंदिर और खजुराहो में चिंध्वारा देवी मंदिर आदि हैं। जानिए मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिरों के बारे में
कालिका माता मंदिर- एमपी के रतलाम जिले में कालिका माता मंदिर है, जो मां दुर्गा का एक स्वरूप हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह एक चमत्कारी मंदिर है। इस मंदिर को लेकर लोगों में गहरी आस्था है। लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं।
चौंसठ योगिनी मंदिर- जबलपुर के भेड़ाघाट में माता का लोकप्रिय मंदिर चौंसठ योगिनी मंदिर है। इस मंदिर का यह नाम इसके कक्षों के अंदर अनेक शिवलिंगों की उपस्थिति के कारण रखा गया है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां देवी दुर्गा के साथ 64 योगिनियां निवास करती हैं।
श्री मांढरे माता मंदिर- श्री मांढरे माता मंदिर काफी प्राचीन है। यह मंदिर कंपू क्षेत्र के कैंसर पहाड़ी पर स्थित है। कहा जाता है कि यहां माता के दर्शन करने और सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
बिजासन माता मंदिर- मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में माता का लोकप्रिय मंदिरों में से एक बिजासन मंदिर है। माना जाता है कि सलकनपुर नामक गांव में स्थित इस पर्वत पर विजासन देवी मां दुर्गा का अवतार है। नवरात्रों में यहां लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
पीतांबरा मंदिर- पीताम्बरा पीठ दतिया शहर मे स्थित देश का एक सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ है। श्री गोलोकवासी स्वामीजी महाराज के द्वारा इस स्थान पर “बगलामुखी देवी ” तथा “धूमवाती माता ” की स्थापना की गयी थी। मान्यता है कि सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई थी। देवी को पीला रंग बहुत प्रिय है। मां पीले वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए इन्हें माता पीताम्बरा के नाम से जाना जाता है।
मैहर देवी मंदिर- मध्य प्रदेश के सतना जिले में सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध मैहर देवी का मंदिर है। बता दें कि मैहर देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि यहां मां सती का हार गिरा था इसीलिए इसकी गणना शक्तिपीठों में की जाती है। करीब 1,063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता के दर्शन होते हैं।
बगलामुखी मंदिर- इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय के उद्देश्य से भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने की थी। बता दें कि यहां की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है, जिनमें से एक है बगलामुखी। मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है।