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MUMBAI. 13 मार्च का दिन भारतीय मनोरंजन के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। आज भारत के सिनेमा जगत में खुशी की लहर दौड़ रही है और इस खुशी का कारण है भारतीय फिल्मों को मिले ऑस्कर अवॉर्ड। जी हां भारतीय फिल्म आरआरआर के गाने नाटू-नाटू बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग और द एलिफेंट व्हिस्परर्स' को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म की कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड मिला है।
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आरआरआर के बारे में तो तमाम किस्से आपने पढ़े और सुने हैं, लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं उस शॉर्ट फिल्म के बारे में जिसने आज अपनी मेहनत के बूते इस सबसे बड़े पुरस्कार को हासिल किया है। भारत की शॉर्ट फिल्म 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म की कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। इस फिल्म की डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विस और प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा हैं। इस फिल्म 39 मिनट की इस शार्ट फिल्म में इंसान और जानवरों के बीच की बॉन्डिंग को दिखाया है।
5 साल में 400 घंटे से ज्यादा के वीडियो रिकॉर्ड किए
इस शॉर्ट फिल्म की कहानी दक्षिण भारतीय दंपत्ति बोमन और बेली पर है, जो रघु नाम के एक छोटे अनाथ हाथी की देखभाल करते हैं। इस डॉक्यूमेंट्री को तमिल भाषा में बनाया गया था, और दिसंबर 2022 में इसकी स्ट्रीमिंग नेटफ्लिक्स पर की गई थी। इस कैटेगरी की फिल्में बनाने के लिए लोगों की असली जिंदगी को फॉलो किया जाता है। फिल्म की डायरेक्टर कार्तिकी ने पांच साल तक बोमन और बेली की जिंदगी को करीब से देखा। कार्तिकी ने बेबी एलिफेंट रघु के साथ जितना समय बिताया उसे कैप्चर किया गया। छोटे हाथी रघु के शॉट कैप्चर करने के लिए उसे नारियल का मिक्सचर खिलाया जाता था। जिसे खाकर वह झूमने लगता था और इसके बाद उसके वीडियो रिकॉर्ड किए जाते थे। इस तरीके से करीब चार सौ घंटे से ज्यादा के वीडियो रिकॉर्ड किए गए।
फिल्म में समझाया प्रकृति का महत्व
इस फिल्म की शूटिंग तमिलनाडु के मदुमलाई रिजर्व में की गई है। इसमें प्राकृतिक सुंदरता दिखाई गई है। इसके साथ ही प्रकृति के लिए आदिवासियों का प्यार और समर्पण दर्शाया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे आदिवासी प्रकृति के रक्षक हैं। ये फिल्म पर्यावरण संरक्षण की भारतीय संस्कृति और परंपरा को भी दिखाती है। इस फिल्म की डायरेक्टर कार्तिकी का कहना है कि वे बस रघु से दोस्ती करने की अपनी कोशिशों को शूट कर रही थी। लेकिन इस कोशिश के दौरान जो प्यारे पल कैप्चर हुए उन्हें देखकर लगा कि 15 मिनट की कोई छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बना ली जाए।
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कार्तिकी ने बताया कि- कुछ वीडियो कैमरे में शूट किए थे, कुछ फोन में रिकॉर्ड किए थे। बोमन, बेली और रघु की हर सिंगल चीज को बस कैमरे में कैद करते जा रही थी। तीनों के बीच कमाल का बॉन्डिंग थी, दोनों रघु को अपने बेटे की तरह मानकर चल रहे थे। इन बातों से मैं काफी ज्यादा प्रभावित थी।
फिल्म का नेटफ्लिक्स तक पहुंचने का सफर...
इस शॉर्ट फिल्म की प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने बताया कि डायरेक्टर कार्तिकी ने कहानी ढूंढी। वो बोमन, बेली और रघु के बारे में जानती थीं। फिल्म बनाने के लिए उन्होंने रघु से दोस्ती भी की। इस दोस्ती को करने में एक साल लग गया। छोटे हाथी बहुत ही शरारती और प्यारे होते हैं। ये काफी हद तक इंसानों की तरह दिल बर्ताव करते हैं जैसे हंसी, खुशी सब फीलिंग होती है। कार्तिकी ने सब कुछ शूट किया। उसका ट्रेलर बनाया। फिर कार्तिकी ने ट्रेलर नेटफ्लिक्स के साथ शेयर किया, जो नेटफ्लिक्स को पसंद आया। इस तरह ये कहानी नेटफ्लिक्स पर आ सकी थी।
जंगलों में बीती डायरेक्टर की आधी जिंदगी
'द एलिफेंट विस्परर्स' की डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विसने बताया था कि उनकी आधी जिंदगी जंगल में बीती है। उन्होंने कहा था- 18 महीने की उम्र से मेरा जंगलों में आना जाना लगा रहा है। मेरा बचपन घुड़सवारी, नदियों के किनारे बीता है। मेरी मां भी नेचुरल हिस्ट्री और कल्चरल फोटोग्राफी में रही हैं। मुझे काफी छोटी उम्र में ही एनिमल बिहेवियर के बारे में काफी जानकारी मिल गई थी। मैं एनिमल प्लैनेट और डिस्कवरी चैनल के शो के लिए भी काम कर चुकी हूं।