पायलट की जॉब छोड़ फिल्मी दुनिया में रखा था कदम, इन फिल्मों से मिली थी दुनियाभर में पहचान

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Pratibha Rana
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पायलट की जॉब छोड़ फिल्मी दुनिया में रखा था कदम, इन फिल्मों से मिली थी दुनियाभर में पहचान

MUMBAI: प्यार की जीत, बड़ी बहन, परदेस, प्यासा जैसी फिल्मों के अभिनेता रहमान का  आज (23 जून 2022) को 101 वां जन्मदिन है।  पायलट की नौकरी छोड़ रखा था फिल्मी दुनिया में कदम। पश्तूनी पगड़ी बांधने पर मिली थी पहली फिल्म। रहमान की आवाज की दुनिया दीवानी थी लेकिन कैंसर के चलते आवाज चली गई।



रहमान प्यार की जीत, बड़ी बहन, परदेस, प्यासा जैसी फिल्मों के लिए प्रसिद्ध हैं। 1940 से 1970 तक रहमान ने कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया। रहमान काफी पढे़ लिखे व्यक्ति थे। वह पाकिस्तान की एक रॉयल पश्तून फैमिली से बिलॉंग करते थे। रहमान की इंडियन एयर फोर्स में नौकरी भी लगी, लेकिन उनके एक्टिंग के जुनून के चलते वो नौकरी छोड़ दी और बॉम्बे आकर एक्टर बन गए। 



रॉयल फैमिली में हुआ जन्म



भारत में ब्रिटिशर्स हूकूमत में  रहमान खान का जन्म एक रॉयल पश्तून फैमिली में 23 जून 1921 को हुआ। देश आजाद  होने पर रहमान लाहौर से भारत आकर बस गए। रहमान ने अपनी पढ़ाई जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज की और बाद में इंडियन एयर फोर्स की ट्रेनिंग लेकर फोर्स में जॉईन कर ली। और फोर्स में रहमान की नौकरी एक पायलट की पोस्ट पर लगी।



रहमान का मन एयरफोर्स में नहीं क्योंकि रहमान को शुरू से ही एक्टिंग में दिलचस्पी थी। फिर कुछ समय बाद रहमान ने एयरफोर्स की जॉब छोड़ दी और बॉम्बे (मुम्बई) शिफ्ट हो गए। बॉम्बे आकर रहमान ने डायरेक्टर कम राइटर विश्राम बेडेकर के साथ थर्ड असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया। एक दिन डायरेक्टर को एक ऐसे अदाकार की तलाश थी जो पश्तूनी पगड़ी बांधता हो। रहमान पश्तूनी फैमिली से थे और उन्हें इसका फायदा मिल गया। फिर क्या इस पश्तूनी पैश्नेट पगड़ी बांधने के साथ अपना पहला रोल मिलाऔर उनके करिअर की शुरुआत हुई। 



गुरु दत्त के साथ जुड़े थे रहमान 



फिल्मों में काम के चलते रहमान की मुलाकात गुरु दत्त से हुई। गुरू दत्त से मुलाकात रहमान के करिअर का एक नया  हिस्सा बनी और रहमान गुरू दत्त की टीम से जुड़े। दोनों ने साथ में कई बेहतरीन और यादगार फिल्में बनाईं। जिनमें 1948 की फिल्म प्यार की जीत, 1949 की बड़ी बहन, 1950 की परदेस 1960 में आई चौधवी का चांद, 1962 में साहिब बीबी और गुलाम जैसी बेहतरीन फिल्म उनके हुनर का सबूत बनीं।



रहमान की मूवी प्यार की जीत और बड़ी बहन बड़ी हिट रहीं। दोनों फिल्मों में रहमान की ऑपोजिट एक्ट्रेस सुरैया नजर आईं। फिल्म प्यार की जीत का गाना "एक दिल के तुकड़े हजार हुए, एक यहां गिरा एक वहां गिरा" के लोग काफी दीवाने हुए। रहमान ने फिल्मी जगत की प्रसिद्ध व सुंदरी मधुबाला के साथ फिल्म पारस और परदेस में काम किया। दोनों ही फिल्में हिट हुईं।



कैंसर ने छीनी रहमान की आवाज



रहमान की बुलंद आवाज उनकी एक्टिंग की तरह प्रसिद्ध थी। उनकी आवाज उनके होने का एहसास कराती थी। 1977 तक रहमान को 3 हार्ट अटैक आ चुके थे, लेकिन फिर भी उनका हौसला बरकरार रहा। बता दें रहमान शराब पीने के आदी थे जिसकी कारण उन्हें गले में कैंसर हो गया। गले में कैंसर की वजह से उनकी बुलंद आवाज खामोश पड़ गई। रहमान ने कैंसर की बीमारी से लंबे समय तक जूझने के बाद 1984 में दुनिया से अलविदा किया। लेकिन मलाल ये था कि उनके आखिरी पलों में उनकी आवाज के नजराने न सुन सके। रहमान को उनके 101 वें जन्मदिन पर याद करते हैं और "एक दिल के तुकड़े हजार हुए, एक यहां गिरा एक वहां गिरा" गुनगुनाते हैं।


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