भोपाल. अमिताभ बच्चन ने 11 अक्टूबर को जिंदगी के 79 साल पूरे करके 80वें वर्ष में प्रवेश कर लिया। सामान्य रूप से ये उम्र काम करने की नहीं मानी जाती। लेकिन अमिताभ के पास सिर्फ काम नहीं, बहुत काम है। फिल्मों में कामयाब होने से पहले उन्होंने काफी नाकामयाबी झेली। शुरुआती 9 फिल्में कतार से फ्लॉप हुई। इससे पहले भी जब अमिताभ रेडियो में वॉइस टेस्ट देने गए तो उन्हें रेडियो के सरताज कहे जाने वाले अमीन सयानी ने फेल कर दिया। इसके बाद 1973 में आई जंजीर ने उन्हें एंग्री यंग मैन का दर्जा दिला दिया। जिस आवाज को लेकर वे रिजेक्ट किए गए थे, आज उसी के लाखों दीवाने हैं। अमिताभ की आवाज को आप पर्दे पर दहाड़ती हुई आवाज भी कह सकते हैं।
बाबूजी की सीखें याद रखीं
कुछ बातों से परेशान होकर एक बार अमिताभ ने बाबूजी यानी हरिवंश राय बच्चन से पूछ लिया कि मुझे क्यों पैदा किया? इस पर हरिवंश जी ने उस वक्त तो कुछ नहीं कहा, अगले दिन एक कविता लिखकर अमिताभ के सिरहाने रख गए। उसमें लिखा था- जिंदगी और जमाने की कश्मकश से घबराकर मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें क्यों पैदा किया? और मेरे पास इसके सिवाय कोई जवाब नहीं है कि मेरे बाप में मुझसे बिना पूछे मुझे पैदा किया था। और मेरे बाप को उनके बाप ने बिना पूछे। जिंदगी और जमाने की कश्मकश पहले भी थी और आज भी है। शायद ज्यादा कल भी होगी, तुम ही नहीं लीक रखना, अपने बेटों से पूछकर उन्हें पैदा करना। वहीं, अमिताभ को जब इंडस्ट्री में लगातार नाकामी मिल रही थी, तब बच्चन जी कहा था- मन का हो तो अच्छा, ना हो तो और भी अच्छा।
73 के बाद मुड़कर नहीं देखा
1973 में आई जंजीर ने अमिताभ को स्टार बना दिया। 1975 में आई शोले और दीवार से वे बड़ा नाम हो गए। इसके बाद मुकद्दर का सिकंदर, डॉन, काला पत्थर, त्रिशूल, सिलसिला आईं और अमिताभ छाते चले गए। 1977 में अमिताभ को अमर अकबर एंथनी के लिए पहला फिल्म फेयर मिला।
मौत से भी लड़े, 25% लिवर ठीक
1982 में अमिताभ को एक जोरदार झटका लगा। कुली के सेट पर उन्हें भयंकर और अंदरूनी चोट लगी। तीन दिन तक अमिताभ को बेतहाशा दर्द हुआ, लेकिन अल्ट्रासाउंड के बावजूद चोट पकड़ में नहीं आ पाई। चौथे दिन वेल्लोर के डॉक्टर ने चोट देखते ही कहा कि इन्हें फौरन ऑपरेशन की जरूरत है। तेज बुखार के बाद अमिताभ कोमा में चले गए। ऑपरेशन के दौरान पता चला कि अमिताभ की पेट की झिल्ली और छोटी आंत फट गई है।
अमिताभ को पहले से ही अस्थमा और डायबिटीज था। ऑपरेशन के अगले ही दिन निमोनिया भी हो गया। आनन- फानन में उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ले जाया गया। जिंदगी और मौत की इस जंग में आखिरकार अमिताभ 2 महीने बाद (24 सितंबर 1982) डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे। इसके बाद बाद उन्होंने फिल्म की शूटिंग पूरी की और 2 दिसंबर 1983 को कुली रिलीज हुई। अमिताभ आज भी हेपेटाइटिस और टीबी के मरीज हैं। उनका सिर्फ 25% लीवर ही काम करता है।
करियर के कठिन दिन
बीमारी से उबरने के बाद अमिताभ ने शराबी, मर्द, शहंशाह, तूफान, हम अग्निपथ और खुदा गवाह जैसी फिल्में की। हॉलीवुड की तर्ज पर 1995 में अमिताभ ने एक एंटरटेनमेंट कंपनी शुरू की, जिसका नाम था अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ABCL)। ABCL ने 3 से 8 करोड़ वाली 15 फिल्में लॉन्च कीं। बॉम्बे और बैंडिंट क्वीन के डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स हासिल किए। दिलजले, रक्षक तेरे मेरे सपने जैसी फिल्मों का म्यूजिक बनाया। ABCL में उन्हें काफी घाटा हुआ। 2001 में AB Corp के नाम से ये कंपनी दोबारा शुरू की।
रिजेक्ट आवाज का जादू चलता रहा
रेडियो में अमिताभ की आवाज भले ही रिजेक्ट हो गई हो लेकिन पर्दे पर तो कभी पर्दे के पीछे तो कभी माइक्रोफोन पर उनका जादू चलता रहा। मृणाल सेन ने भुवन शोम उनकी आवाज ली। ऋषिकेश मुखर्जी की बावर्ची, तरुण मजूमदार की बालिका वधू और लगान में पर्दे के पीछे उनकी आवाज सुनाई दी। नीला आसमां सो गया, मेरे अंगने में और रंग बरसे जैसे गाने भी उन्होंने गाए। उनका एक एलबम एबी बेबी भी आया था, जिसमें बल्ली सागू का म्यूजिक था।