MUMBAI. अमिताभ बच्चन को किंवदंती कहा जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 1969 में सात हिंदुस्तानी से शुरू हुआ अमिताभ का फिल्मी सफर लगातार जारी है। वो 80 साल के हो गए हैं और आज भी उनके पास फिल्में हैं। वे कौन बनेगा करोड़पति का 14वां सीजन कर रहे हैं। 1969 में सात हिंदुस्तानी में उन्हें पहला ब्रेक मिला था। 1969 में ही मृणाल सेन की भुवन शोम में उन्होंने आवाज दी थी। ऋषिकेश मुखर्जी की 1971 में आई आनंद में उन्होंने डॉ. भास्कर बनर्जी का किरदार किया और बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्म फेयर जीतकर इरादे जता दिए। 1973 में आई प्रकाश मेहरा की जंजीर ने अमिताभ को स्टार बना दिया। इसके बाद आईं दीवार, शोले, मुकद्दर का सिकंदर, डॉन, अमर अकबर एंथनी ने अमिताभ को सुपरस्टार बना दिया। अमिताभ को उनके पिता ने इंकलाब नाम दिया था। अमिताभ कायस्थ (श्रीवास्तव) परिवार से आते हैं। कवि सुमित्रानंदन पंत ने उन्हें अमिताभ (कभी ना मिटने वाली आभा, बुद्ध को भी अमिताभ कहा जाता है) नाम दिया।
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मुंबई में काम ना मिलने पर पिता की सीख
बात उन दिनों की है, जब अमिताभ का मुंबई में स्ट्रगल चल रहा था। तमाम कोशिशों के बावजूद अमिताभ को काम नहीं मिल रहा था। अमिताभ ने ये बात पिता हरिवंश राय बच्चन से कही। हरिवंश जी ने चिट्ठी में लिखा- मन का हो तो अच्छा, मन का ना हो तो और अच्छा।
ख्वाजा अहमद अब्बास ने पूछा था- तुम्हें किसी ने फिल्म में क्यों नहीं लिया?
अमिताभ की पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी के डायरेक्टर ख्वाजा अहमद अब्बास थे। अब्बास ने अमिताभ बच्चने के साथ पहली मुलाकात का पूरा विवरण अपनी आत्मकथा, 'आई एम नॉट एन आईलैंड' में लिखा है...
अब्बास- बैठिए। आपका नाम?
अमिताभ- अमिताभ (बच्चन नहीं)
अब्बास- पढ़ाई?
अमिताभ- दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए।
अब्बास- आपने पहले कभी फिल्मों में काम किया है?
अमिताभ- अभी तक किसी ने मुझे अपनी फिल्म में नहीं लिया।
अब्बास- क्या वजह हो सकती है?
अमिताभ- उन सबने कहा कि मैं उनकी हीरोइनों के लिए कुछ ज़्यादा ही लंबा हूं।
अब्बास- हमारे साथ ये दिक्कत नहीं है, क्योंकि हमारी फिल्म में कोई हीरोइन है ही नहीं और अगर होती भी, तब भी मैं तुम्हें अपनी फिल्म में ले लेता।
अमिताभ- क्या मुझे आप अपनी फ़िल्म में ले रहे हैं? और वो भी बिना किसी टेस्ट के?
अब्बास- वो कई चीजों पर निर्भर करता है। पहले मैं तुम्हें कहानी सुनाऊंगा। फिर तुम्हारा रोल बताऊंगा। अगर तुम्हें ये पसंद आएगा, तब मैं तुम्हें बताऊंगा कि मैं तुम्हें कितने पैसे दे सकूंगा।
इसके बाद अब्बास ने कहा कि पूरी फिल्म के लिए उसे सिर्फ पांच हजार रुपए मिलेंगे। वो थोड़ा झिझका, इसलिए अब्बास ने उससे पूछा, क्या तुम इससे ज़्यादा कमा रहे हो?
अमिताभ ने जवाब दिया- जी हां। मुझे कलकत्ता की एक फर्म में सोलह सौ रुपए मिल रहे थे। मैं वहां से इस्तीफा देकर यहां आया हूं।
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पिता ने कहा था- तुम पूछकर बेटा पैदा करना
पढ़ाई पूरी करने के बाद अमिताभ नौकरी की तलाश में दिल्ली गए थे, वहां उन्होंने कई जगह पर नौकरी की तलाश की, लेकिन कहीं भी उन्हें नौकरी नहीं मिली, यहां तक कि आकाशवाणी में भी उन्हें ये कहते हुए अनाउंसर की नौकरी नहीं दी गई कि उनकी आवाज इस लायक नहीं है। इसी वजह से युवा अमिताभ बेहद हताश और परेशान हो चुके थे। एक दिन बेरोजगारी से हतोत्साहित होकर उन्होंने पहली बार अपने पिता के सामने जाने का फैसला किया। वो सीधे हरिवंश राय बच्चन के कमरे में घुसे और ऊंची आवाज में पूछा- आपने हमें पैदा ही क्यों किया? बेटे का ये सवाल सुनते ही हरिवंश जी चुप हो गए। हैरान पिता काफी देर तक अपने बेटे की ओर देखते रहे। उस वक्त वो अपने बेटे के सवाल का कोई जवाब नहीं दे पाए. कमरे में काफी देर तक सन्नाटा था। पिता से कोई जवाब न मिलने पर युवा अमिताभ को भी असहजता महसूस हुई और वे चुपचाप वहां से चले गए।
अगले दिन सुबह हरिवंश राय अमिताभ के कमरे में आये, उन्हें जगाया और उनके हाथ में एक लिफाफा थमाकर चले गए। अमिताभ ने जब वो लिफाफा खोला तो उसमें एक कागज पर एक कविता लिखी थी, जिसे हरिवंश राय ने अमिताभ के लिए लिखी थी। उस कविता का नाम था- ‘नयी लीक।’
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जिंदगी और जमाने की कशमकश से घबराकर,
मेरे लड़के मुझसे पूछते हैं,
"हमें पैदा क्यों किया था?
और मेरे पास इसके सिवा
कोई जवाब नहीं है कि,
मेरे बाप ने भी मुझसे बिना पूछे
मुझे पैदा किया था
और मेरे बाप से बिना पूछे उनके बाप ने उन्हें
और मेरे बाबा से बिना पूछे ,उनके बाप ने उन्हें...
जिंदगी और जमाने की कशमकश
पहले भी थी,
अब भी है, शायद ज्यादा,
आगे भी होगी, शायद और ज्यादा…
तुम ही नई लीक धरना,
अपने बेटों से पूछकर उन्हें पैदा करना!
10 दिसंबर की रात ही अमिताभ के घर के बाहर बधाई देने पहुंचे फैंस
#WATCH | Actor Amitabh Bachchan surprises fans gathered outside his residence 'Jalsa' in Mumbai, as he walks out at midnight to greet them on his birthday pic.twitter.com/9iijjaWRoi
— ANI (@ANI) October 10, 2022
लगातार फिल्मों के फ्लॉप होने से डिप्रेशन में चले गए थे बिग बी
अमिताभ ने 1993 से 2001 तक अपने फिल्मी करियर में काफी उतार चढ़ाव देखा। 1992 में उनकी फिल्म 'खुदा गवाह' ने सिनेमाघरों में धमाल मचा दिया था। लेकिन उसने बाद आई फिल्म इंसानियत, मृत्युदाता, मेजर साब, सूर्यवंशम और लाल बादशाह समेत कई अन्य फिल्में बुरी तरह से पिट गई थीं। बिग बी खुद यश चोपड़ा से काम मांगने गए थे। यश ने उन्हें मोहब्बते दी। इसमें लोगों को उनकी एक्टिंग खूब पसंद आई थी। इसके बाद 2001 में आई फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' सुपरहिट साबित हुई। एक समय बिग बी की लाइफ में ऐसा भी आया जब एक के बाद एक फिल्म फ्लॉप होने और साथ ही कर्जे में डूबने की वजह से वह डिप्रेशन में आ गए थे। अपने संघर्ष के दौरान उन्हें जिस भी तरह की फिल्में मिलती वह करते जाते।
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भोपाल से अमिताभ का खास कनेक्शन
अमिताभ की पत्नी जया बच्चन भोपाल से हैं। अमिताभ और जया की शादी 3 जून 1973 में भोपाल में हुई थी। अमिताभ कई बार इस बात का जिक्र कर चुके है कि उनका मध्यप्रदेश से गहरा लगाव है। जानकरी के मुताबिक बिग बी का ससुराल भोपाल के श्यामला हिल्स में है।
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