अमिताभ को जिस घर में पिता ने दी थी जीवन की सबसे बड़ी सीख, बिग बी ने उसे बेच दिया

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jagrati barsaley
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अमिताभ को जिस घर में पिता ने दी थी जीवन की सबसे बड़ी सीख, बिग बी ने उसे बेच दिया

बॉलिवुड स्टार अमिताभ बच्चन ने दिल्ली के गुलमोहर पार्क का अपना पुश्तैनी बंगला सोपान बेच दिया। सोपान से अमिताभ की कई यादें जुड़ी रही हैं। हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के लिए इस घर का अलग महत्व था। आइए आपको बताते हैं इसी घर से जुड़ी अमिताभ की एक याद। जिसका उनके जीवन पर काफी असर हुआ था। 



 



हरिवंश राय बच्चन ने अमिताभ को पढ़ाया था जिंदगी का सबसे बड़ा पाठ :



अमिताभ बच्चन ने खुद एक इंटरव्यू में अपने पिता की जीवटता की कहानी बताई थी। हरिवंशजी रोज सुबह सैर यानी मॉर्निंग वॉक के लिए जाया करते थे। जिस समय की ये बात हो रही है, उस समय हरिवंश जी दिल्ली में रहा करते थे। सैर के दौरान रास्ते में उन्हें जिन पत्थरों में कोई शेप सरीखा दिखाई देता था, उन्हें घर ले आते थे। घर लाकर वो उन पत्थरों पर कलर करते और उसे किसी इंसान या जानवर की शक्ल दे देते थे। एक दिग्गज कवि के रूप में तो हम उन्हें जानते ही हैं, पर वे आर्टिस्ट भी थे।





एक सुबह हरिवंशजी ने अमिताभ को उठाया और कहा कि थोड़ी मदद करो। जब अमिताभ पिता के पास पहुंचे तो देखा कि घर की दहलीज पर पत्थर की बड़ी से शिला रखी हुई है। शिला को देखकर अमिताभ चौंक गए और बोले- बाबूजी ये तो बहुत भारी है, हम दोनों इसे उठा नहीं पाएंगे। मैं कुछ लोगों को बुला लाता हूं। पर इसे यहां लाया कौन?'





हरिवंशजी ने बेहद सादगी से कहा- इस शिला को मैं लेकर आया हूं। अमिताभ ने फिर हैरान होकर पूछा- आप इतने भारी पत्थर को लेकर कैसे लेकर आए? हरिवंशजी ने जो जवाब दिया, यकीन मानिए उसे जिंदगी में उतारकर आप महान बन सकते हैं। उन्होंने कहा- मैं रोज इस पत्थर को थोड़ा-थोड़ा खिसकाता था। ऐसा करते हुए मुझे 3 महीने हो गए, तब जाकर इस पत्थर को यहां तक ला पाया। पिता की ये बात अमिताभ के दिल में घर कर गई। उन्हें समझ आ गया था कि सफलता एक दिन में नहीं मिलती। इसके लिए निरंतर मेहनत करनी पड़ती है।





आत्मकथा का आखिरी अध्याय यहीं लिखा था: हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्मकथा का आखिरी चैप्टर इसी सोपान में रहते हुए लिखा था। खुद अमिताभ बच्चन ने इसकी जानकारी साझा की थी। 2016 में सुजीत सरकार की फिल्म पिंक की शूटिंग के सिलसिले में अमिताभ बच्चन दिल्ली आए थे। उस समय अमिताभ यहीं सोपान में रहते थे। उन्होने एक फोटो ट्वीट की थी, जिसमें लिखा कि पिता जी की कुर्सी पर बैठा हूं। चारो तरफ उनकी किताबें रखी हुई हैं। यहीं पिता ने अपनी आत्मकथा का आखिरी चैप्टर और कई अन्य कविताएं लिखी थी।



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