गजल के बादशाह, सुरों के सरताज जगजीत सिंह (Jagjit Singh) की आज 81वीं बर्थ एनिवर्सरी है। जगजीत सिंह अपनी जादुई आवाज से दुनियाभर के लोगों को रोमांचित कर दिया करते थे। संगीत और गजल की दुनिया में एक दौर आया था जब भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया से लोग जगजीत सिंह की गजलों को सुनते थे। ये सिलसिला आज भी कायम है। आइए उनके जन्मदिन के मौके पर आपको कुछ अनसुने किस्से बताते हैं।
ज्योतिषी के कहने पर बदला नाम: 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में श्री अमर सिंह धीमन और बचन कौर के यहां हुआ था।चार बहन और दो भाइयों में जगजीत सिंह को सभी जीत के नाम से बुलाया करते थे। पहले उनका नाम जगमोहन धीमन था, बाद में ज्योतिषी की सलाह पर उन्होंने अपना नाम जगजीत सिंह रख लिया। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई श्रीगंगानगर के खालसा हाई स्कूल से की थी, अपनी स्नातक उन्होंने जालंधर के डीएवी कॉलेज से आर्ट विषय के साथ की और स्नातकोत्तर की डिग्री उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से ली थी।
एक्टिंग का ऑफर ठुकराया था: संघर्ष के दिनों में जगजीत सिंह को मनोरंजन जगह से जुड़ने का पहला मौका एक्टिंग के जरिए मिला। उन्हों एक गुजराती फिल्म में नायक की भूमिका निभाने का ऑफर दिया गया था। हालांकि जगजीत सिंह ने विनम्रता से इस ऑफर को ठुकरा दिया क्योंकि वह गायन में आगे बढ़ना चाहते थे। हालांकि, उन्होंने उस फिल्म में एक गुजराती भजन जरूर गाया था।
डिजिटल एल्बम रिकॉर्ड करने वाले पहले संगीतकार: मुंबई में अपने शुरुआती दिनों में जगजीत सिंह ने जिंगल्स की रचना करके अपना जीवन यापन किया। यहां तक कि वह फिल्मों में ब्रेक पाने की उम्मीद में फिल्म पार्टियों में गाना भी गाते थे। उन्होंने डबिंग आर्टिस्ट के रूप में भी काम खोजने की कोशिश की लेकिन किस्मत उनके साथ नहीं थी। जगजीत सिंह 1987 में 'बियॉन्ड टाइम' शीर्षक से एक डिजिटल एल्बम रिकॉर्ड करने वाले पहले भारतीय संगीतकार थे।
जब टूटा दुख का पहाड़: एक समय ऐसा भी आया था जब जगजीत सिंह ने गायकी से ब्रेक ले लिया था। वहीं उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने गायकी से रिश्ता ही खत्म कर लिया था। एक हादसे में जगजीत सिंह और चित्रा सिंह के बेटे विवेक का निधन हो गया था। उनकी उम्र महज 18 साल थी। असमय बेटे का यूं जाने से जगजीत सिंह और चित्रा सिंह टूट गए थे।
2011 में दुनिया को कहा अलविदा: साल 2011 में जगजीत सिंह को यूके में गुलाम अली के साथ परफॉर्म करना था लेकिन ब्रेन हैमरेज के कारण 23 सितंबर 2011 को उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. वो करीब 2 हफ्ते तक कोमा में रहे. उनकी हालत बिगड़ती चली गई और 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह का निधन हो गया था.