MUMBAI. आज 28 सितंबर को लता मंगेशकर की बर्थ एनिवर्सरी हैं। आज भले ही लता हमारे साथ न हो लेकिन उनके गाने हमेशा फैंस को याद रहेंगे। देश के साथ साथ विदेशों में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है। लता का जन्म 28 सितंबर 1929 को हुआ था। 6 फरवरी 2022 को लता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। लता ने 36 भारतीय भाषाओं में गाने रिकॉर्ड कराए हैं।
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हिंदी भाषा में गाए है 1,000 से ज्यादा गाने
लता ने 13 साल की उम्र में सिंगिंग करियर शुरू किया था। हिंदी भाषा में लता ने 1,000 से ज्यादा गाने गाए है। उन्हें असली पहचान फिल्म महल के गाने 'आएगा आने वाला' से मिली थी। लता ने दुनियाभर की 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गाना गाए है। उन्हें कई अवार्ड से नवाजा जा चुका है। 1989 में लता को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है। 2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न'से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लता-राज सिंह डूंगरपुर प्यार करते थे, पर शादी नहीं कर पाए
कहते हैं कि लता मंगेशकर डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह को बेहद पसंद करती थीं और राज सिंह भी लता को पसंद करते थे। दोनों की नजदीकियां बढ़ीं और दोनों एक-दूसरे को प्यार करने लगे थे। राज सिंह लता के भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर के दोस्त भी थे। लता और राज की मुलाकात हृदयनाथ मंगेशकर के जरिए ही हुई थी। कहा जाता है कि राज सिंह ने अपने माता-पिता से वादा किया था कि वह किसी भी आम घर की लड़की को उनके घराने की बहू नहीं बनाएंगे।
लता के शादी न करने की एक वजह घर की जिम्मेदारियां भी थीं। वह महज 13 साल की थीं जब उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था, जिसके बाद लता ने अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाई। लता की तरह राज सिंह ने भी शादी नहीं की। राज, लता से 6 साल बड़े थे और वह लता को प्यार से मिट्ठू पुकारते थे। राज का लता के लिए प्यार इस बात से समझा जा सकता है कि उनकी जेब में हमेशा एक टेप रिकॉर्डर रहता था, जिसमें लता के चुनिंदा गाने होते थे।
लता के सुपरहिट गानें
आपकी नजरों ने समझा, कोरा कागज था ये मन मेरा, मेरा साया साथ होगा,लग जा गले,जिया जले,कभी खुशी कभी गम,यारा सिली सिली,जानें क्यों लोग मोहब्बत,ऐ मेरे वतन के लोगों,शीशा हो या दिल हो,दिल तो पागल है,बाहों में चले आओ,जानें क्या बात है,परदेसिया ये सच है पिया,दो पल रुका ख्वाबों का कारवां। इसके अलावा भी कई ऐसे गाने है जो आज भी लोगों के दिलों को छूते हैं। लता का आखिरी गाना लुका छुपी था।
सिर्फ ओपी नैयर ने लता से नहीं गवाया
लता ने अपने करियर में शंकर-जयकिशन, मदन मोहन, सचिन देव बर्मन, आरडी बर्मन, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे कई दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया। ओपी नैयर अपने समय के दिग्गज संगीतकार में से एक थे, लेकिन वह लता मंगेशकर से कभी गाना नहीं गवाते थे। नैयर का मानना था कि लता की आवाज उनके संगीत के मुताबिक नहीं थी। ओपी नैयर की जोड़ी हिंदी की मशहूर गायिका शमशाद बेगम के साथ काफी जमी। ओपी नैयर और शमशाद बेगम ने 'कभी आर कभी पार', 'ले के पहला पहला प्यार', 'कजरा मोहब्बत वाला' और 'कहीं पे निगाहें कही पे निशाना' जैसी कई सुपरहिट गाने गाए। नैयर साहब ने अपने संगीत में तांगे की आवाज को बेहद शानदार अंदाज में इस्तेमाल किया था। आगे जाकर यही तांगे की आवाज उनके संगीत का सिग्नेचर मार्क भी बन गया। नैयर साहब थोड़े गुस्सैल थे। एक बार मोहम्मद रफी के देर से आने की वजह से उन्होंने गाना गवाने के लिये दूसरे गायक को चुन लिया था।
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कुकिंग का भी था बेहद शौक
लता को कुकिंग का भी बहुत शौक था। बताया जाता है कि लता चिकन बहुत अच्छा बनाती थी। एक बार जो उनके हाथ का चिकन खा लेता था, वह उसे कभी भुला नहीं पाया। इसके अलावा लता सूजी का हलवा भी बहुत अच्छा बनाती थीं। लता मंगेशकर को सी फूड भी काफी पसंद था। खासकर गोवा की फिश और समुद्री झींगे उनकी पसंदीदा डिश थी।