स्वतंत्रता दिवस पर इस साल दो फिल्में रिलीज हुई पहली शेरशाह और दूसरी भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया। कारगिल हीरो विक्रम बत्रा पर बनी शेरशाह को तो लोगों ने खूब पसंद किया लेकिन भुज द प्राइड पर्दे पर बुरी तरह से पिट गई है। फिल्म में ढेरों खामियां है। इस फिल्म को काल्पनिक बताया जा रहा है जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है। फिल्म में देशभक्ति की भावना कम और हंसी ज्यादा आ रही है।
फिल्म की पूरी कहानी
फिल्म 1971 के इंडो-पाक वॉर पर आधारित है, जिसमें ईस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान अलग-अलग हो गए है। साथ ही पाकिस्तानी सेना बंगाली मुसलमानों पर जुल्म कर रही है। इसके बाद पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खान भारत के भुज एयरबेस पर कब्जा करने की तैयारी करने लगते हैं। इसके लिए वो हमले भी करते है, जिसकी वजह से भुज एयरबेस को काफी नुकसान होता है। पाक इसका फायदा उठाकर कब्जा करने की कोशिश करता है, लेकिन भारतीय सैनिक जल्द ही रिकवर हो जाते हैं और गांव की महिलाओं के साथ पाकिस्तान के हमले को रोकने की तैयारी करते हैं।
देशभक्ति के नाम पर काल्पनिक कहानी
फिल्म की शुरुआत में फिल्म काफी उबाऊ लगती है। फिर नोरा फतेह एक जासूस बनी हुई हैं जो मोर्स कोड करने की जगह बॉल बनाकर उसे घर के बाहर फेंकती है। लोगों ने इसे बचकाना बताया है। सोनाक्षी सिन्हा ने गांव में तेंदुआ मारकर इतना बड़ा कारनामा कर दिखाया है कि एयर फॉर्स के लीडर विजय कार्णिक (अजय देवगन) खुद उन्हें सम्मान मिलता देखने अपनी पत्नी को साथ लेकर आ जाते हैं।
सोनाक्षी के पास मदद के लिए गए अजय देवगन कविता सुनाकर गांववालों को अपनी मदद के लिए मंजूर कर लेते हैं। अकेले एक मिर्ची पाउडर की थाल लेकर पाकिस्तान के 10 जासूसों से अकेले भिड़ जाते हैं। संजय दत्त उड़कर दुश्मन के टैंक पर जा रहे हैं। और भी ऐसी बहुत सी बातें हैं, जो इस फिल्म को वॉर ड्रामा नहीं बल्कि कॉमेडी बनाती हैं।