शिव-हरि का 15 मई को कॉन्सर्ट होना था, फैंस इंतजार कर रहे थे और पंडित जी चले गए

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Pratibha Rana
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शिव-हरि का 15 मई को कॉन्सर्ट होना था, फैंस इंतजार कर रहे थे और पंडित जी चले गए

Mumbai. देश-दुनिया में संतूर का परचम लहराने वाले पंडित शिव कुमार शर्मा का 10 मई को निधन हो गया। संगीत की दुनिया का एक और सितारा अस्त हो गया। बड़ी बात ये कि 15 मई को पंडित शर्मा और बरसों से उनके साथी रहे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का कॉन्सर्ट होने वाला था, फैंस इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन पंडित जी दुनिया से रुखसत हो गए। इनके निधन की खबर सुनकर फैंस बेहद दुखी हैं। 



इस समस्या से जूझ रहे थे



शिव कुमार, किडनी की समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। पहाड़ी धुनों वाले एक कश्मीरी लोकवाद्य को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में पिरोने का श्रेय पंडित शर्मा को ही जाता है। संतूर की धुन के साथ उनकी बोली भी मीठी थी। 



इस उम्र में सीखा तबला और गायन



शिव कुमार ने महज 5 साल की उम्र में तबला और गायन सीख लिया था। इसके अलावा उन्होंने 13 साल की उम्र में संतूर थाम लिया। सूत्रों के मुताबिक शिव कुमार के पिता चाहते थे कि वे जम्मू या श्रीनगर में रहकर आकाशवाणी में नौकरी करें और फिर सरकारी नौकरी में अपना फ्यूचर बनाए। इसके बाद शिव अपना घर छोड़कर चले गए थे। 



इतने रुपए लेकर आए मुंबई



घर छोड़ते समय शिव कुमार अपने साथ में सिर्फ संतूर और 500 रुपए लेकर मुंबई पहुंचे थे। सूत्रों के मुताबिक शिव कुमार ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि ''मैंने ऐसे भी दिन गुजारे, जब जेब में एक रुपए भी नहीं होता और खाने के लिए भी कुछ नहीं होता था। संगत देने के लिए तबला बजाना पड़ता था। उस वक्त संतूर को लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे, इस कारण मुझे खुद को दिखाने का कभी मौका ही नहीं मिल पाता था। इसी वक्त फिल्मों के कुछ असाइनमेंट्स से मुझे खुद का एक वजूद बनाने का मौका मिला। 



फिल्म इंडस्ट्री में शिव कुमार की एक अलग ही पहचान थी। बॉलीवुड में 'शिव-हरि' नाम से पॉपुलर शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी ने कई सुपरहिट गानों में संगीत दिया था। शिव कुमार ने 1955 में मुंबई में पहली बार स्टेज पर परफॉर्म किया था। 1956 में झनक-झनक पायल बजे मूवी के एक पार्ट में बैकग्राउंड म्यूजिक को कंपोज किया था। 



कई अवार्डस से हुए थे सम्मानित



शिव कुमार को 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके साथ 2001 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। 



ये हैं इनके कुछ सुपरहिट गाने




शिव-हरि ने देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए, मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां, ये लम्हें, ये पल हम बरसों याद करेंगे, तू है मेरी किरन जैसे मशहूर गानों की धुनें बनाई थीं।


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