MUMBAI. हिंदी फिल्मों के मशहूर सिंगर भूपेंद्र सिंह (82) का 18 जुलाई को मुंबई के क्रिटिकेयर हॉस्पिटल में निधन हो गया। भूपेंद्र को हिंदी फिल्मों के कई मशहूर गानों- नाम गुम जाएगा, एक अकेला इस शहर में, कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन के लिए जाना जाता है।
अमृतसर में पैदा हुए
भूपेंद्र का जन्म 6 फरवरी 1940 को अमृतसर में हुआ था। उन्होंने अपने पिता से संगीत सीखा था। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो से करियर की शुरुआत की थी। बाद में वे दिल्ली दूरदर्शन से जुड़ गए। 1962 में मशहूर संगीतकार मदन मोहन ने उन्हें एक पार्टी में गिटार बजाते सुना और मुंबई आने का न्योता दे दिया। भूपेंद्र ने सिंगर मिताली से शादी की। उनका एक बेटा निहाल सिंह है।
भूपेंद्र के वो गाने, जिनमें उन्होंने गिटार बजाई
- महबूबा महबूबा (शोले, म्यूजिक- आरडी बर्मन)
कई फिल्मों में प्लेबैक किया
भूपेंद्र सिंह मुख्य रूप से एक गजल गायक थे। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग की। उन्होंने किशोर कुमार और मोहम्मद रफ़ी के साथ कुछ मशहूर गाने गाए। भूपिंदर सिंह को 'मौसम', 'सत्ते पे सत्ता', 'आहिस्ता आहिस्ता', 'दूरियां', 'हकीकत' और कई अन्य फिल्मों में उनके यादगार गीतों के लिए याद किया जाता है। उनके कुछ प्रसिद्ध गीत हैं- 'होके मजबूर मुझे, उसे बुलाया होगा', (मोहम्मद रफी, तलत महमूद और मन्ना डे के साथ), 'दिल ढूंढता है', 'दुक्की पे दुक्की हो या सत्ते पे सत्ता', ‘एक अकेला इस शहर में’, ‘हुजूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए’, ‘बादलों से काट-काट के, रातभर नाम जोड़ना’, ‘बीती ना बिताई रैना’।