MUMBAI. हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार की आज (11 दिसंबर) 100वीं बर्थ एनिवर्सरी है। दिलीप का जन्म 11 दिसंबर को 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। एक्टर का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था, लेकिन फिल्मों में कदम रखने के उन्होंने अपना नाम दिलीप कुमार रख लिया था। दिलीप फिल्मों में आने से पहले आर्मी क्लब में एक सैंडविच स्टॉल चलाते थे। एक्टर ने 1943 में पुणे के आर्मी क्लब में ये सैंडविच स्टॉल चलाया था।
दिलीप की यादगार फिल्में
आज दिलीप कुमार भले ही हमारे बीच न हो लेकिन उनकी फिल्में आज भी फैंस को याद हैं। इसमें शहीद, मेला, बाबुल,देवदास, नाय दौर, मुगल ए आजम, गंगा जमुना, राम और श्याम, कर्मा,आन,राम और श्याम,शक्ति समेत कई अन्य फिल्में शामिल हैं। एक्टर ने फिल्म ज्वार भाटा से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। ये फिल्म 1944 में रिलीज हुई थी। हालांकि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। दिलीप को असली पहचान 1947 में आई फिल्म जुगनू से मिली थी। इस फिल्म के बाद वह दुनियाभर में फेमस हो गए थे। एक्टर की आखिरी फिल्म 'किला' थी। ये फिल्म सिनेमाघरों में 1998 में रिलीज हुई थी।
सायरा से 1966 में की थी शादी
दिलीप, सायरा बानो के साथ 1966 में शादी के बंधन में बंधे थे। जिस समय दोनों की शादी हुई थी तब सायरा की उम्र 22 साल थी। जबकि दिलीप 44 साल के थे। दिलीप को भारत द्वारा 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा 1994 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। दिलीप ने 7 जुलाई, 2021 को 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा था।
10-11 दिसंबर को दिखाई जा रहीं दिलीप की हिट फिल्में
बता दें 11 दिसंबर को दिलीप की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन में 10, 11 दिसंबर को उनकी हिट फिल्में दिखाई जा रही हैं। 27 शहरों में उनकी फिल्में दिखाई जा रही हैं। इसमें आन, देवदास और शक्ति समेत कई अन्य फिल्में हैं।
यूसुफ को देविका रानी फिल्मों में लाईं और दिया नया नाम
दिलीप कुमार को फिल्मों में लाने का श्रेय देविका रानी को जाता है। देविका का मानना था कि एक रोमांटिक हीरो पर यूसुफ खान नाम अच्छा नहीं लगेगा। यूसुफ खान के लिए नए नाम की तलाश शुरू हुई और वे दिलीप कुमार बन गए। 1943 में दिलीप कुमार की मुलाकात चर्चगेट पर डॉक्टर मसानी से हुई। उन्होंने दिलीप से बॉम्बे टॉकीज में काम करने को कहा। यहीं पर युसूफ की मुलाकात देविका रानी से हुई। देविका रानी ने उन्हें 1250 रुपए की सैलरी पर कंपनी में नौकरी दी। शुरुआत में युसूफ यहां पर स्टोरी लिखने और स्क्रिप्ट सुधारने में मदद करते थे, क्योंकि अंग्रेजी के साथ उनकी उर्दू भी काफी अच्छी थी। यहीं उन्होंने एक्टिंग की बारीकियां सीखीं। उस वक्त उनकी उम्र महज 19 साल थी।
शाहरुख को बेटा मानते थे दिलीप
दिलीप और सायरा के बच्चे नहीं थे। दिलीप ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'द सबस्टांस एंड द शैडो' में बताया, 1972 में सायरा पहली बार प्रेग्नेंट हुईं। यह बेटा था (हमें बाद में पता चला)। 8 महीने की प्रेग्नेंसी में सायरा को ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई। इस दौरान पूर्ण रूप से विकसित हो चुके भ्रूण को बचाने के लिए सर्जरी करना संभव नहीं था और दम घुटने से बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद सायरा कभी प्रेग्नेंट नहीं हो सकीं। दिलीप कुमार, शाहरुख खान को अपना अपना मुंह बोला बेटा मानते थे। शाहरुख अक्सर दिलीप साहब के घर पर उनका हालचाल जानने जाते थे। सायरा कई मौकों पर कह चुकी हैं कि अगर उनका बेटा होता तो वो शाहरुख जैसा ही होता।
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मधुबाला और दिलीप कुमार पहली बार 1951 में 'तराना' की सेट पर मिले थे। मधुबाला और दिलीप मिले तो दोनों के बीच एक रिश्ता बन गया। दोनों करीब 9 साल तक रिलेशनशिप में थे। मुगल ए आजम, तराना, संगदिल और अमर में दोनों की जोड़ी तो खूब पसंद किया गया था। दोनों एक-दूसरे को बेइंतेहां चाहते थे। दिलीप मधुबाला से शादी तो करना चाहते थे लेकिन उन्होंने एक शर्त रख दी। दिलीप जब मधुबाला के पिता से बातचीत करने पहुंचे थे तब उन्होंने कहा कि मैं अपनी तरीके से फिल्में चुनता हूं। ये बात मधुबाला के पिता को पसंद नहीं आई, उन्हें दिलीप कुमार जिद्दी और अड़ियल लगे थे। जब दिलीप ने शादी की बात मधुबाला से की तो कहा कि मैं तुमसे अभी शादी कर सकता हूं लेकिन तुम कभी अपने पिता से नहीं मिलोगी। मधुबाला कुछ नहीं बोलीं और चुपचाप वहां खड़ी रहीं। कोई जवाब ना मिलने पर थोड़ी देर में दिलीप कुमार वहां से चले गए थे।