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फादर्स डे 2025 को खास बनाने के लिए आप अपने पिता के साथ बॉलीवुड की इन 7 फिल्मों को देख सकते हैं, जो पिता और बच्चों के रिश्ते को एक अलग ही नजरिए से पेश करती हैं।
यह फिल्में न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि आपको जीवन की महत्वपूर्ण सीख भी देती हैं। आइए जानते हैं, कौन सी फिल्में हैं, जो इस फादर्स डे को और भी खास बना सकती हैं।
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अंग्रेजी मीडियम (Angrezi Medium)
2020 में रिलीज हुई "अंग्रेजी मीडियम" में इरफान खान और राधिका मदान ने पिता और बेटी की शानदार भूमिका अदा की है। यह फिल्म एक ऐसे पिता की कहानी है जो अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी पूरी जिन्दगी झोंक देता है। पिता का अपने बच्चे के प्रति प्यार और समर्पण फिल्म में पूरी तरह से झलकता है, जो आपको दिल छूने वाला अनुभव देता है।
दंगल (Dangal)
"दंगल" (2016) एक बायोपिक है, जिसमें आमिर खान ने पहलवान महावीर फोगाट का किरदार निभाया है। यह फिल्म एक पिता की कड़ी मेहनत और अपनी बेटियों के सपनों को पूरा करने के संघर्ष की कहानी है।
महावीर ने अपनी बेटियों को रेसलर बनाने के लिए समाज और रिश्तेदारों के दबाव को नकारा और उन्हें प्रशिक्षित किया। यह फिल्म प्रेरणा से भरी हुई है और दर्शाती है कि एक पिता अपने बच्चों की सफलता के लिए कितनी कठिनाईयां सहन कर सकता है।
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पीकू (Piku)
"पीकू" (2015) में अमिताभ बच्चन, इरफान खान और दीपिका पादुकोण ने एक अद्भुत त्रिकोणीय रिश्ता निभाया। फिल्म में दिखाया गया है कि एक बूढ़े पिता की देखभाल करने में उसके बच्चों के बीच कैसे छोटे-छोटे संघर्ष होते हैं। फिल्म में पिता और बच्चों के रिश्ते को बेहद भावनात्मक और सजीव तरीके से चित्रित किया गया है।
छिछोरे (Chhichhore)
2019 की फिल्म "छिछोरे" में सुशांत सिंह राजपूत ने एक ऐसे पिता का रोल अदा किया, जो अपने बेटे को जीवन के टफ स्ट्रगल से जूझने की प्रेरणा देता है।
जब उनका बेटा आत्महत्या करने की कोशिश करता है, तो वह पिता अपने बेटे को न केवल यह सिखाता है कि असफलता जीवन का हिस्सा है, बल्कि उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है। यह फिल्म प्रेरणा और उम्मीद से भरी हुई है।
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तारे जमीन पर (Taare Zameen Par)
"तारे जमीन पर" (2007) में आमिर खान ने एक शिक्षक की भूमिका निभाई, जो एक बच्चे के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचानता है। इस फिल्म में एक बच्चे और उसके पिता के रिश्ते को बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है, जिसमें पिता को अपने बेटे की जरूरतों और समस्याओं को समझने में चुनौती आती है। यह फिल्म बच्चों और पिता के रिश्ते की जटिलताओं को बहुत अच्छे से दर्शाती है।
बागबान (Bagbaan)
"बागबान" (2003) में अमिताभ बच्चन और होमायुन कौर ने उन माता-पिता की भूमिका निभाई जो अपने बच्चों की परवरिश करने के बाद वृद्धावस्था में अपनी संतान से प्यार और सम्मान की उम्मीद करते हैं। यह फिल्म पिता और बच्चों के बीच भावनात्मक दूरी को और समझदारी से दिखाती है।
जोश (Josh)
"जोश" (2000) में आदित्य शिवलानी और शाहरुख खान ने भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाया है। फिल्म में यह दिखाया गया है कि एक पिता के लिए बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य के लिए उसका प्यार कितना गहरा होता है। फिल्म में युवा पीढ़ी और उनके परिवार के रिश्ते की ताकत को बड़े अच्छे तरीके से पेश किया गया है।
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