Lucknow. फिल्म आदिपुरुष में दिखाए गए कुछ आपत्तिजनक डायलॉग के मामले में लगाई गई याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 26 जून को सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट ने सेंसर बोर्ड से सख्त लहजे में सवाल किया। कोर्ट ने पूछा, ‘सेंसर बोर्ड क्या करता रहता है? आप आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हैं’। वकील कुलदीप तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के निर्माता-निर्देशक को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- रामायण-कुरान, गुरु ग्रन्थ साहिब और गीता जैसे पवित्र ग्रंथों को तो बख्श दीजिए। बाकी जो करते हैं वो तो कर ही रहे हैं। लखनऊ बेंच में सेंसर बोर्ड की तरफ से वकील अश्विनी सिंह पेश हुए। कोर्ट ने पूछा- क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड? सिनेमा समाज का दर्पण होता है। आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हो? क्या सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है? अब मामले की अगली सुनवाई मंगलवार 27 जून को होगी।
मेकर्स सहित अन्य प्रतिवादियों के कोर्ट में नहीं आने पर कोर्ट नाराज
वहीं कोर्ट ने फिल्म के मेकर्स सहित अन्य प्रतिवादियों के कोर्ट में नहीं आने पर भी नाराजगी जताई। सीनियर एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री ने सेंसर बोर्ड की ओर से अभी तक जवाब दाखिल नहीं करने पर आपत्ति जताई और कोर्ट को फिल्म के आपत्तिजनक फैक्ट के बारे में बताया।
आलोचकों से लेकर समीक्षकों तक ने जताई आपत्ति
पवित्र ग्रंथ रामायण से कथित रूप से प्रेरित फिल्म आदिपुरुष का निर्देशन ओम राउत ने किया है, जिसकी रिलीजिंग के बाद काफी आलोचना हुई थी। फिल्म में कुछ डायलॉग ऐसे हैं, जिन पर आलोचकों से लेकर समीक्षकों तक सभी ने संदेहात्मक आपत्ति जताई। फिल्म में दिखाए गए डायलॉग ‘मरेगा बेटे’, ‘बुआ का बगीचा है क्या’ और ‘जलेगी तेरे बाप की’ हैं, जिनकी बहुत ज्यादा ट्रोलिंग हुई है।
मनोज मुंतशिर को पक्षकार बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई आज
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ‘आदिपुरुष’ फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को पक्षकार बनाए जाने की मांग वाली एक अर्जी पर मंगलवार (27 जून) को सुनवाई करेगी। यह अर्जी पहले से दायर एक जनहित याचिका में दायर की गई है। यह याचिका फिल्म रिलीज के काफी पहले याची कुलदीप तिवारी की ओर से दाखिल की गई थी जो कि अभी विचाराधीन है।
नई जनहित याचिका भी दाखिल
आदिपुरुष फिल्म के विरुद्ध एक नई जनहित याचिका भी दाखिल कर दी गई है। यह याचिका भी मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो गई है। याचिका पिछले वर्ष फिल्म का टीजर जारी होने के बाद ही दाखिल की गई थी। याचिका में सीता का चरित्र निभाने वाली अभिनेत्री को अमर्यादित वस्त्रों में दिखाए जाने को लेकर आपत्ति की गई है। अभिनेता प्रभाष, कृति सेनन, सैफ अली खान, देवदत्त नागे, सनी सिंह, निर्माता और निर्देशक ओम राउत याचिका में प्रतिवादी हैं।
नोटिस मिलने के बाद भी सेंसर बोर्ड ने अवमानना का जवाब नहीं दिया
याचिकाकर्ता ने बताया कि 2 अक्टूबर 2022 को फिल्म का टीजर रिलीज हुआ था। इसमें कई आपत्तिजनक तथ्य का पता चला। इस पर 17 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में टीजर और फिल्म दोनों पर बैन लगाने के लिए याचिका डाली थी। याचिकाकर्ता ने बताया- चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस ब्रिज राज सिंह ने 10 फरवरी 2023 को सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था। नोटिस मिलने के बाद भी सेंसर बोर्ड ने कोर्ट की अवमानना की और कोई जवाब नहीं दिया। फिल्म मेकर्स ने अपनी रिलीज डेट 6 महीने के लिए यह कहकर टाल दिया कि हम सुधार करेंगे। फिल्म आने पर पता चला कि श्रीराम कथा को ही बदल दिया है।
याचिका में क्या उठाए गए हैं सवाल?
- फिल्म का टीजर बिना सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के रिलीज किया गया। जो कि सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 के सेक्शन 5A/5B का उल्लंघन है। सेंसर बोर्ड ने इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया? सेंसर बोर्ड बना किस लिए है?