मशहूर राइटर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) इस बार अपनी बयानबाजी में फंस गए। रविवार (5 सितंबर) को जावेद ने मुस्लिमों (Muslims) के खिलाफ बढ़ते हेट क्राइम (Hate Crime) को लेकर बातचीत में तालिबान की तुलना आरएसएस (RSS) से कर दी। इसके बाद बीजेपी संघ ने नाराजगी जताई। जावेद के तालिबान और आरएसएस के बयान के बाद विवाद पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका पुतला भी फूंका और जमकर विरोध किया। साथ ही उनके घर के बाहर उनके खिलाफ मोर्चा भी निकाला गया। हालांकि, बीजेपी से अलग हुई शिवसेना ने अख्तर के बयान से सहमति नहीं जताई।
तालिबान से कैसे अलग?
अख्तर ने कहा था कि जो लोग आरएसएस और बजरंग दल (Bajrang Dal) जैसे संगठनों (Organisation) का समर्थन करते हैं, उन्हें खुद आत्ममंथन (Introspection) करने की जरूरत है। वे उनसे (तालिबान) कैसे अलग हैं? इसपर बीजेपी के विधायक (MLA) राम कदम ने एक वीडियो शेयर करते हुए जावेद अख्तर को चेतावनी दी।
मांगनी होगी माफी
कदम ने कहा कि अख्तर को बयान देने से पहले कम से कम ये सोचना चाहिए था कि जो संघ और पार्टी आज देश को चला रहे हैं, यदि तालिबान विचारधारा (Ideology) होती तो क्या वह आज इस तरह की बयानबाजी कर पाते। उनका बयान कितना खोखला है। जब तक जावेद अख्तर हाथ जोड़कर देश के लिए समर्पित करने वाले संघ से माफी नहीं मांगते, तब तक उनकी कोई भी फिल्म (Film) इस देश में रिलीज (Release) नहीं होगी।
शिवसेना ने भी कहा- संघ-तालिबान की तुलना सही नहीं
जावेद अख्तर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और तालिबान की तुलना किए जाने पर शिवसेना (Shivsena) ने जवाब दिया है। अपने मुखपत्र (Mouthpiece) सामना में शिवसेना ने लिखा कि यह तुलना सही नहीं है। संघ अगर तालिबान विचारों वाला होता तो तीन तलाक के खिलाफ कानून ना बना होता। लाखों मुस्लिम महिलाओं को आजादी नहीं मिलती। अख्तर अपने मुखर बयानों के लिए जाने जाते हैं। देश में जब-जब राष्ट्रदोही विकृतियां उफान पर आती हैं, जावेद अख्तर उन लोगों के मुखौटे फाड़ते हैं। कट्टरपंथियों की परवाह किए बगैर उन्होंने वंदे मातरम गाया। फिर भी संघ की तालिबान से तुलना हमें स्वीकार नहीं है।