MUMBAI. 'शायराना-सरताज' मशहूर गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर और उनकी पत्नी शबाना आजमी का एक उर्दू एल्बम है। जिसे अभी हाल में उन्होंने लॉन्च किया है। इस इवेंट में जावेद अख्तर ने उर्दू भाषा के महत्व के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि उर्दू हिंदुस्तान की भाषा है। और जो ये मानते हैं कि उर्दू का ताल्लुकात पाकिस्तान से है तो वो गलत सोचते हैं। पाकिस्तान भी बंटवारे के बाद ही बना है। उनका मानना है कि किसी भी भाषा को किसी विशेष धर्म से कोई संबंध नहीं होता है।
उर्दू पाकिस्तान या इजिप्ट की भाषा नहीं
जावेद अख्तर ने इस इवेंट में कहा कि उर्दू किसी और जगह से नहीं आई है। ये हमारे मुल्क हिंदुस्तान की भाषा है। ये हिंदुस्तान के बाहर नहीं बोली जाती। ये पाकिस्तान या इजिप्ट की भाषा नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तान का पहले कोई वजूद नहीं था। वो भी हिंदुस्तान में से ही बना है। जावेद अख्तर के कहा कि उर्दू के विकास में पंजाब का बहुत बड़ा रोल है।
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उर्दू को अटेंशन की जरूरत
जावेद अख्तर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 'पंजाब का उर्दू में बहुत बहुमूल्य योगदान रहा है और यह भारत की भाषा है। लेकिन आपने इस भाषा को छोड़ क्यों दिया? पार्टीशन की वजह से या पकिस्तान की वजह से? उर्दू को अटेंशन की जरूरत है। पहले सिर्फ़ हिन्दुस्तान हुआ करता था। पकिस्तान बाद में हिन्दुस्तान से अलग होकर बना'।
पाक जाकर उसे सुनाई थी खरी-खरी
जावेद अख्तर पाकिस्तान के लाहौर में 17 से 19 फरवरी के बीच 'फैज फेस्टिवल' में गए थे। वहां उर्दू शायर फैज अहमद फैज की याद में एक समारोह आयोजित किया गया था। इस दौरान एंकर ने जावेद अख्तर से कहा कि पाकिस्तान बड़ा फ्रेंडली, लविंग और पॉजिटिव मुल्क है। हम बम नहीं मारते, फूल भी पहनाते हैं और प्यार भी करते हैं। इस बारे में उनके क्या ख्याल हैं। जावेद अख्तर ने इस पर कहा था कि हम तो बंबई के लोग हैं, हमने देखा हमारे शहर पर कैसे हमला हुआ था। वो लोग (आतंकी) नॉर्वे से तो नहीं आए थे, ना इजिप्ट से आए थे। वो लोग अभी भी आपके मुल्क में घूम रहे हैं। तो ये शिकायत अगर हर हिंदुस्तानी के दिल में है तो, आपको बुरा नहीं मानना चाहिए।